पहले दुनिया को दी सबसे खतरनाक राइफल एके-47, अब दिया ‘सुसाइड’ ड्रोन, जानिए पूरी बात

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AK-47 राइफल के बारे में आपने खूब सुना होगा, इस राइफल की निर्माता कंपनी क्लाशनिकोव हाल में फिर चर्चित है जिसका कारण है उसके द्वारा बनाया गया ‘सुसाइड ड्रोन’। यह ड्रोन साधारण ड्रोन से कई प्रकार से अलग है। जिसे कहीं भी बैठकर कंप्यूटर के जरिए किसी दुश्मन के ऊपर गिराकर बम विस्फोट द्वारा नष्ट किया जा सकता है और ऐसी आतंकवादी गतिविधियों पर ध्यान रखा जा सकता है।

क्लाशनिकोव कंपनी द्वारा साइज में बेहद छोटे और कम दाम वाले इस विस्फोटक ड्रोन विमान को इस सप्ताह संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबु धाबी में लगी रक्षा प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया। इस बार प्रदर्शनी में खास आकर्षण यह सुसाइड ड्रोन ही था। कंपनी अपने इस शक्तिशाली ड्रोन को लेकर काफी उत्साहित है। क्लाशनिकोव ने ‘सुसाइड’ ड्रोन विमान तैयार किया है।

ड्रोन कामिकाजे या KUB-BLA की खासियत
सुसाइड ड्रोन क्लाशिनकोव कंपनी द्वारा बनाया गया एक शक्तिशाली ड्रोन है। इस ड्रोन की खासियत जानकर हर कोई हैरान हो सकता है।

यह 4 फीट के के आकार का है पर इसकी रफ्तार 128.7 किमी. (80 मील) तक हो सकती है। इसकी उड़ान क्षमता 30 मिनट तक है। इस ड्रोन में 2.9 किग्रा तक विस्फोटक भी रखा जा सकता है। लक्ष्य तक पहुंचने की इसकी क्षमता व्यावसायिक ड्रोन से काफी अधिक है।

सुसाइड ड्रोन को रिमोट कंट्रोल से चलाया जा सकता है।
यह 64 किमी. तक का फासला तय करने में सक्षम है।
यह ड्रोन अपने निशाने पर अचूक वार करने में सक्षम है।
गाइडेंस सिस्टम में अटैक के दौरान तस्वीरें भी ड्रोन से अपलोड की जा सकती हैं।

कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि ड्रोन की दुनिया में KUB-BLA की लोकप्रियता एके-47 जैसी साबित होगी। उन्होंने कहा इस ड्रोन का अचूक निशाना और मारक क्षमता मार्केट में मौजूद ड्रोन से इसे बहुत अलग बनाता है।

कौन था क्लाशनिकोव, जिसने दुनिया को दी एके-47

दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली एके-47 की रूपरेखा को किसी विज्ञान की प्रयोगशाला में तैयार नहीं किया गया था, बल्कि युद्ध में घायल हुए क्लाशिनकोव के द्वारा अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ के दौरान उनके दिमाग में आया था।

एके-47 राइफल के निर्माता मिखाइल क्लाशनिकोव का जन्म 10 नवम्बर 1919 को रूस (USSR) में अटलाई प्रांत के कुर्या गांव में हुआ था। 1938 में द्वितीय विश्व युद्ध की आशंका के चलते उन्हें “लाल-सेना” में भर्ती करने के लिए बुलाया।

1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भीषण युद्ध में क्लाशिनकोव बुरी तरह घायल हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। अस्पताल के बिस्तर पर बिताए 6 महीनों में क्लाशिनकोव ने अपने दिमाग में एक सब-मशीनगन का रफ डिजाइन तैयार कर लिया था। वह वापस अपने डिपो में लौटे और उन्होंने उसे अपने नेताओं और कामरेडों की मदद से मूर्तरूप दिया।

मिखाइल क्लाशनिकोव के नाम से ही इस स्वचालित रायफल का नाम रखा गया है और यह दुनिया का सबसे ज्यादा प्रचलित और व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला हथियार है। इसका निर्माण भी अन्य बंदूकों के मुकाबले सस्ता है, इसके साथ ही यह विश्वसनीय है और इसकी मरम्मत भी आसान है। बताया जाता है कि मिखाइल ने कई सालों तक इसका पेटेंट भी नहीं करवाया था और ना ही इससे ज्यादा पैसे कमाए थे।

23 दिसंबर, 2013 को 94 वर्ष की उम्र में मिखाइल क्लाशनिकोव का निधन हो गया था।

क्यों खास है एके-47

 

  • एके-47 राइफल विश्व में सबसे अधिक उपयोग किया जाने वाला हथियार है, इसका कारण यह है कि यह राइफल उपयोग करने में बेहद आसान है और इसे किसी भी मौसम में किसी भी एंगल पर चलाया जा सकता है।
  • यह एक ऐसी राइफल है जिसे बच्चे भी आसानी से चला सकते है।
  • यह एक मात्र ऐसा हथियार है, जो हर प्रकार के पर्यावरण में चलाया जा सकता है और एक मिनट के अंदर इसे साफ किया जा सकता है। इस राइफल में पहले की सभी राइफल तकनीकों का मिश्रण है।

AK-47 के बारे में कुछ रोचक तथ्य –

  • एके-47 यानि ‘आटोमैटिक क्लाशनिकोव 47’ जिसमें छिपा है इसके निर्माता का नाम और किस वर्ष में इसका निर्माण हुआ। जो स्वचालित राइफल है जिसके निर्माता क्लाशनिकोव है और उसने इसे 1947 में बनाया था।
  • दुनिया में सबसे ज्यादा हत्याएं युद्ध व आतंकवादी हमलों में इसके द्वारा की जाती है।
    एके-47 राइफल में आटोमैटिक और सैमीआटोमैटिक दोनो तरह के गुण होते है।
  • आटोमैटिक का मतलब है एक बार ट्रिगर दबाकर रखने से गोलियां लगातार चलती रहती है और सैमी आटोमैटिक का मतलब है एक बार ट्रिगर दबाने से एक गोली ही चलती है।
  • इसका वजन लगभग साढ़े 4 किलो होता है और लंबाई मात्र 3 फुट होती है।
  • एके-47 से एक मिनट में बिना रूके 600 गोलियां दागी जा सकती है। यानि प्रति सैकेंड 10 गोलियां। इसका सेहरा एके 47 की शानदार गैस चेम्बर और स्प्रिंग को जाता है।
  • मिखाइल कलाशनिकोव को अपनी इस खोज़ पर बहुत गर्व था पर वह इस बात पर दुखी भी होते थे कि इसकी वजह से हर साल हज़ारो बेगुनाह इंसान आतंकवादियों द्वारा मार दिए जाते हैं। इस राइफल का सबसे ज्यादा गलत इस्तेमाल तालिबानी आतंकवादियों द्वारा अफ़गानिस्तान में हुआ था।
  • इस समय विश्व में लगभग 10 करोड़ एके-47 राइफलस हैं। यह संख्या बाकी किसी भी बड़े हथियार से कहीं ज्यादा है।
  • लगभग सभी देशों में किसी आम नागरिक का अपने पास एके-47 रखना गैरकानूनी है। भारत में संजय दत्त को भी एके-47 रखने की वजह से 5 साल की सज़ा भुगतनी पड़ी।
  • वर्तमान समय में नई किस्म की बंदूके एके-47 के डिजाइन को कॉपी करके ही बनाई जातीं है।
  • एके-47 रूस के अलावा दुनिया के 30 अन्य देशों को भी इसे बनाने का लाइसेंस प्राप्त है। भारत, चीन, इज़रायल, मिस्र, नाइजीरिया आदि। इनमें चीन सबसे ज्यादा एके-47 बनाता है।
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