गर्मियां शुरू होते ही फलों का राजा आम बाजार में लगभग हर फल बेचने वाले की दुकान या ठेले पर नजर आता है। आम खाने का शौक हर किसी को होता है क्योंकि इसमें कई किस्में होती है और बहुत ही मीठे के साथ सेहत के लिए फायदेमंद भी होता है। आम जब कच्चा होता है तो वह सब्जी, आचार के रूप में काम आता है और पकने पर स्वादिष्ट और मीठा फल बन जाता है।
आम है इन तत्वों की खान
आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा जाता है। आम न केवल स्वादिष्ट और रसीला होता है, बल्कि गुणों की खान भी है। आम के पेड़ की पत्तियां, तने की छाल और गुठली भी बड़ी काम की होती हैं।इसमें अनेक विटामिन और खनिज पाये जाते हैं। आम में विटामिन—ए एवं सी, विटामिन B-6 प्रचुर मात्र में पायी जाती है। जहां कच्चे आम में विटामिन सी होती है तो पक्के आम में विटामिन ए भरपूर मात्र में होती है।
वहीं इसमें खनिज के रूप में कॉपर, पोटैशियम और मैग्नेशियम आदि पाए जाते हैं। आम में संतृप्त वसा, कोलेस्ट्रॉल और सोडियम की मात्रा काफी कम होती है। साथ ही यह आहार संबंधी फाइबर का भी अच्छा स्रोत माना जाता है।
इसके पेड़ की पत्तियां विटामिन ए, बी और सी का स्रोत हैं। इनमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटीमाइक्रोबियल (सूक्ष्मजीवरोधी) गुण होते हैं।
आम को मानव जीवन में खाद्य उपभोग के साथ ही, भारत में समृद्धि का प्रतीक भी माना जाता है। इसी कारण से इसकी पत्तियां पूजा—अर्चना में कलश के ऊपर सजाई जाती है। घर के द्वार पर आम की पत्तियों का तोरण बांधा जाता है।
आम का इतिहास और रोचक तथ्य
मन में कई बार आता होगा कि आम के पेड़ की उत्पत्ति कहां हुई? इसके जबाव में यह पेड़ भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का प्रतिनिधि वृक्ष था और उत्पत्ति 2.5-3 करोड़ वर्ष पहले हुई। आम अपने मिठास के कारण धीरे—धीरे दक्षिण भारत में पहुंचा और इसे नाम दिया गया आम्र फल।
आम का वनस्पति विज्ञान में नाम मैंजीफेरा इंडिका है। वैदिक साहित्य में इसे रसाला व साहकारा नाम से भी जाना गया। मलयाली लोगों ने इसे बदलकर ‘मांगा’ कर दिया। पुर्तगाली यहां पहुंचे, तो वे इससे इतने प्रभावित हुए कि इसे अपने साथ ले गए और नाम दिया मैंगो।
आम भारत का ‘राष्ट्रीय फल’ है ही साथ में यह पाकिस्तान और फिलीपींस का भी ‘राष्ट्रीय फल’ है। बांग्लादेश ने इसे अपना ‘राष्ट्रीय वृक्ष’ माना है।
विश्वभर में आम की करीब 1365 प्रजातियाँ पायी जाती हैं, जिनमें से भारत में लगभग 1000 प्रजातियों का उत्पादन होता है। भारत ही आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है। समस्त विश्व का 50 प्रतिशत आम भारत में ही उत्पादित होता है।
सिरकी, सुवर्ण, नीलेश्वरी, रॉयल रेसिपी, रेड्डी पसंद, हिमसागर, केसिंग्तन, बंगनपल्ली, अलफांसो, बेनिशान, केसरी आम, दशहरी आम और लंगड़ा आदि भारत में पायी जाने वाली आम की किस्मे हैं।
आम की ‘अलफांसो’ किस्म दुनिया भर के लोगों की पहली पसंद बना हुआ है और सबसे महंगा भी है।
आम के खाने के फायदे
आम का पूरा पेड़ हमारे लिए काफी उपयोगी है। इसकी पत्तियां डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मददगार होती हैं।
पथरी, श्वसन संबंधी समस्याओं में आम की पत्तियों का उपयोग दवा के रूप में किया जाता है। आम के भीतर की गुठली खून का संचार को नियंत्रित करने का काम करती है और खराब कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम करती है।
बैड कोलेस्ट्रॉल सही रहने पर हृदय से संबंधित बीमारियों से बचा जा सकता है।
पेड़ की छाल डायरिया के इलाज में काम आती है।
आम हमारी सेहत के लिए फायदेमंद है यह पेट से संबंधित बीमारियों से भी बचाता है।
कच्चा आम आंत में होने वाले संक्रमण से बचाता है।
अपच और कब्ज की परेशानी को ठीक करता है क्योंकि इसमें फाइबर पाये जाते हैं।
वहीं, कच्चे आम के सेवन से लीवर की परेशानी भी दूर होती है।
कच्चा आम गर्मियों में लू से बचाता है, जिसे भी लू लग जाए वह कच्चे आम को पानी में उबाल कर या आग में भुनकर छाछ या पानी में मथकर सेवन करना लाभदायक है।
कच्चा आम एसीडिटी में भी लाभदायक है।
आम हमारे शरीर में रक्त प्रवाह को सही रखने में भी उपयोगी है। यह रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ता है।
अगर किसी को उल्टी और जी मिचलाने की समस्या हो तो वह काले नमक के साथ कच्चे आम का सेवन करके इस पर काबू पा सकता है।
मोटापा घटता है आम
जहां कई लोग अपना मोटापा कम करने व नियंत्रित करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं, जिसके बावजूद वजन कम नहीं होता है। ऐसे लोगों का मोटापा आम खाने से कम हो सकता है।
कई आहार-विशेषज्ञों ने आम को वजन घटाने की औषधी माना है, क्योंकि इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है।
इस तरह से उपयोग में ले आम
ज्यादातर लोग आम को सीधा खाना पसंद करते हैं परंतु आम के सेवन करते समय यह बात याद रखनी चाहिए कि इसकी तासीर गर्म होती है, इसलिए आम को अकेले उपयोग न करके इसमें दूध का प्रयोग करना चाहिए। इस प्रकार आम हमारे शरीर के लिए लाभदायक हो सकता है।