विश्व कप में इन कप्तानों ने संभाली भारतीय क्रिकेट टीम की कमान, पढ़े पूरी खबर

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अगर क्रिकेट की दुनिया में देखा जाए तो भारतीय क्रिकेट टीम का पिछले कुछ महीनों का रिकॉर्ड देखे तो काफी उम्दा प्रदर्शन रहा है। हाल में अपनी ही सरजमीं पर ऑस्ट्रेलिया के हाथों वन-डे सीरीज मे मिली 2-3 से हार को अगर छोड़ दिया जाए भारतीय टीम ने केवल देश में बल्कि विदेशी सरजमीं पर जमकर धमाल मचाते आ रही है। अब देखना होगा कि भारतीय टीम अपने कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में कितनी खरी उतरती है।

क्रिकेट विश्व कप के इतिहास में भारतीय टीम के कप्तानों की सफलता पर नजर डाल तो दो ही कप्तानों ने भारतीय टीम को अपने नेतृत्व विश्व कप का खिताब दिलाया है। जिसमें वर्ष 1983 में पहला विश्व कप कपिल देव की कप्तानी में तो दूसरा विश्व कप 28 साल बाद 2011 में मेहन्द्र सिंह धोनी की कप्तानी में जीता है।

30 मई से इंग्लैंड में शुरू होने जा रहे 12वें विश्व कप में भारतीय टीम अपने नये कप्तान विराट कोहली के नेतृत्व में खेलेगी और खिताब के लिए दावेदारी पेश करेगी।

अब तक के भारतीय क्रिकेट टीम का विश्व कप में नेतृत्व करने वाले कप्तानों का प्रदर्शन के बारे में जानते हैं:—

श्री. वेंकटराघवन शुरूआती दो विश्व कप में किया टीम का नेतृत्व

अपने समय के एक चतुर रणनीतिकार के तौर पर मशहूर कप्तान वेंकटराघवन ने पहले विश्व कप 1975 और 1979 के दूसरे विश्व कप में भारतीय टीम की कमान संभाली थी। पर वे दोनों ही विश्व कप में ज्यादा कुछ नहीं कर पाए।

1975 के विश्व कप में भारतीय टीम ने तीन मैच खेले,​ जिसमें से केवल एक ही मैच में जीत दर्ज कर सके। भारत ने इकलौता मैच ईस्ट अफ्रीका के खिलाफ 10 विकेट से जीता था। जिसमें फारुख इंजीनियर को मैन ऑफ द मैच चुना गया। इसी के साथ फारुख किसी वर्ल्ड कप में पहला मैन ऑफ द मैच जीतने वाले भारतीय खिलाड़ी बने।

कपिल देव ने दिलाया भारत को पहला खिताब

 

भारत क्रिकेट टीम ने 1983 में पहला विश्व कप जीता था। जिसका श्रेय तत्कालीन कप्तान कपिल देव को जाता है। कपिल देव में वे सभी गुण और काबिलियित मौजूद थी जो किसी आदर्श खिलाड़ी में होने चाहिए। वे शारीरिक रूप से हमेशा चुस्त-फुर्तीले बने रहे। ​इस विश्व कप में कपिल देव ने एक आलराउण्डर की भूमिका निभाई थी। उन्होंने टीम को ऐसी मु​सीबत से निकाला जब जिम्बॉब्वे के खिलाफ भारतीय टीम का शीर्ष बल्लेबाजी क्रम ध्वस्त हो चुका था। तब कपिल ने जिम्बॉब्वे के खिलाफ 175 रन की नाबाद पारी विश्व कप में भारत की जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

खिताबी मुकाबले में पीछे भागते हुए विवियन रिचर्ड्स का कैच इतिहास में दर्ज हो गया।

मोहम्मद अजहरुद्दीन (1992-96-99)

मोहम्मद अजहरुद्दीन एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने लगातार तीन विश्व कप में भारतीय टीम की कप्तानी की। उनके नेतृत्व भारतीय टीम को खास सफलता नहीं मिल पायी। 1992 के विश्व कप में टीम ने आठ में से सिर्फ 2 ही मुकाबले जीते थे।

परन्तु वर्ष 1996 के विश्व कप में उनकी अगुवाई में मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के दम पर टीम को सेमीफाइनल तक पहुंच सकी। उन्होंने सात मैचों में सर्वाधिक 523 रन बनाए। बावजूद इसके अजहर की टीम 1996 में विश्व कप जीतने का सुनहरा मौका गंवा बैठी। फिर 1999 के अगले विश्व कप में अजहरुद्दीन की कप्तानी में टीम सुपर सिक्स स्टेज भी पार नहीं कर पाई।

सौरव गांगुली के नेतृत्व में फाइनल तक पहुंची भारतीय टीम

 

Most Sixes in ODI Cricketअपने आक्रामक रवैये के चलते कप्तान सौरव गांगुली ने भारतीय टीम को 2003 में फाइनल तक का सफर तो तय करवा दिया पर वे 1983 के इतिहास को दोहराने से चूक गये और फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया के हाथों मात खा बैठे।

बेहद खराब दौर से गुजर रहे भारतीय क्रिकेट को उठना, लड़ना और भिड़ना सिखाने वाले गांगुली की लीडरशिप का लोहा पूरी दुनिया ने माना। खुद इस बाएं हाथ के बल्लेबाज ने विश्व कप में जमकर रन ठोके। सचिन तेंदुलकर के बाद यह खब्बू बल्लेबाज टूर्नामेंट का दूसरा सर्वोच्च रन स्कोरर रहा।

राहुल द्रविड़

सौरव गांगुली के बाद भारतीय टीम की कमान मिस्टर भरोसेमंद के हाथों में आयी। पर वे गांगुली की तरह टीम का नेतृत्व नहीं कर सके। मगर कैरेबियाई जमीन पर हुए क्रिकेट के इस महासंग्राम में सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, सौरव गांगुली, युवराज सिंह जैसे सितारों से सजी टीम कोच ग्रैग चैपल के प्रशिक्षण में शर्मनाक हार के साथ 2007 विश्व कप के पहले ही दौर में बाहर हो गई।

एमएस धोनी के नेतृत्व में 28 साल बाद दोहराया इतिहास

वर्ष 2011 का विश्व कप जब भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ तो सब की निगाहे कप्तान धोनी पर टिक गई और कैप्टन कूल ने देशवासियों को निराश नहीं किया। 1983 के बाद भारत ने 2 अप्रैल 2011 को दूसरी बार वर्ल्ड कप का खिताब जीता था।

इस बार पूरी भारतीय टीम उत्साह से भरी हुई थी। सब ही खिलाड़ियों ने अपनी भूमिका के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए भारत को जीत की दहलीज पर पहुंचा दिया।

भारत ने खिताबी मुकाबले में श्रीलंका को 6 विकेट से हराकर 28 साल बाद वर्ल्ड कप पर कब्जा किया था। खिताबी मुकाबले में खुद माही ने नाबाद 91 रन की ऐतिहासिक पारी खेली। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ जीत आज भी भारतीय क्रिकेट इतिहास की यादगार विजय में शामिल है।

परंतु कप्तान धोनी वर्ष 2015 के विश्व कप में ऑस्ट्रेलियाई महाद्वीप में हुए विश्व कप में अपना खिताब नहीं बचा पाई। सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया के हाथों 95 से हार मिलने के साथ ही भारत का तीसरी बार विश्व कप जीतने का सपना धूमिल हो गया।

इस बार भारतीय टीम की कमान दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के हाथों में है देखना है उनके नेतृत्व में भारतीय टीम अपना प्रदर्शन बरकार रख पायेगी या नहीं।

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