आजाद भारत की आखिरी सती थी रूपकंवर, 32 साल बाद आज आएगा अंतिम फैसला

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राजस्थान के सीकर जिले के दिवराला गांव का बहुचर्चित रूपकंवर सती मामला खबरों मे बना हुआ है। आपको जानकर हैरानी होगी मगर इस मामले पर पिछले 32 साल से सुनवाई चल रही है। जिसपर अंतिम फैसला आज आने वाला है। साल 1987 का आखिर क्या है ये मामला जिसने देशभर में तूफान ला दिया था।

4 सितंबर 1987 की घटना

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साल 1987 में जयपुर की रहने वाली रूपकंवर की शादी सीकर के दिवराला गांव में रहने वाले माल सिंह शेखावत के साथ हुई थी। शादी के सात महीने बाद रूपकंवर अपने मायके जयपुर आई हुई थी। दो-तीन दिन बाद ही उन्हें पति के बीमार होने की सूचना मिली। यह घटना 2 सितंबर की बताई जाती है। पति की बीमारी की खबर मिलने के बाद रूपकंवर अपने पिता और भाई के साथ ससुराल रवाना हो गई और दूसरे दिन ही पति माल सिंह को सीकर के अस्पताल में भर्ती करा दिया। माल सिंह के स्वास्थ्य में सुधार होते ही उसने पिता और भाई को जाने के लिए कहा लेकिन दो दिन बाद ही माल सिंह की मौत हो गई।

क्या है विवाद

राजपूताना में सती प्रथा का चलन था। जिसकी भेंट रूपकंवर चढ़ी या नहीं ये फैसला पिछले 32 साल से कोर्ट में लटका हुआ है। खबरों के अनुसार पति माल सिंह की मौत के बाद महज 18 साल की रूपकंवर अपनी गोद में पति का सिर रखकर सती हो गई। बताया जाता है कि रूपकंवर स्वेच्छा से सती हुई थी।

इस घटना का समूचा गांव साक्षी था। रूपकंवर के सती होने के बाद गांव में उनका भव्य मंदिर बनवाया गया और महोत्सव का आयोजन भी किया गया। राजस्थान की ये घटना देशभर में आग की तरह फैल गई और विवाद का रुप धारण कर लिया। उस वक्त राजस्थान के मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी थे। जिन्होंने इस मामले में जांच के निर्देश दिए थे। जब इस मामले की जांच की गई तो सामने आया कि रूपकंवर अपनी इच्छा से सती नहीं हुई थी।

इस मामले में पुलिस ने करीब 45 लोगों को हिरासत में लिया था। खबरों की मानें तो इस मामले में अब तक करीब 25 लोग सबूतों के अभाव में बरी किए जा चुके हैं। वहीं 6 लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले में अब 8 लोगों पर मुकदमा चल रहा हैं। जिनमें सिंह, निहाल सिंह, महेंद्र सिंह, उदय सिंह, जितेंद्र सिंह, नारायण सिंह, भंवर सिंह और दशरथ सिंह हैं। इस मामले मे बहस पूरी हो गई है अंतिम फैसला आना बाकी है।

आजाद भारत की अंतिम सती रूपकंवर

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इस मामले के बाद देश में सती प्रथा को रोकने के लिए सती निवारण कानून बनाया गया और सती मामलों के निपटारे के लिए विशेष कोर्ट का भी गठन किया गया। आपको जानकर हैरानी हो मगर देश आजाद होने के बाद सती होने के करीब 29 मामले सामने आए थे। जिसमें रूपकंवर आखिरी सती थी।

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