देश की राजनीति में अपराध के वर्चस्व को खत्म करने के लिए चुनाव आयोग तैयार करेगा फ्रेमवर्क

Views : 3681  |  2 Minute read

सुप्रीम कोर्ट ने देश में राजनीति के अपराधीकरण को समाप्त करने पर सख्ती दिखाई। शुक्रवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति रवीन्द्र भट की पीठ ने चुनाव आयोग से कहा, ‘राजनीति में अपराध के वर्चस्व को खत्म करने के लिए एक फ्रेमवर्क तैयार किया जाए।’ जिसके जवाब के लिए आयोग को एक सप्ताह का समय भी दिया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश में राजनीति के अपराधीकरण को रोकने के लिए कुछ तो करना ही होगा।

भारतीय चुनाव आयोग का कहना है कि चुनाव लड़ने वाले सभी उम्मीदवारों द्वारा उनके आपराधिक रिकॉर्ड देने मात्र से समस्‍या हल नहीं हो सकती। आयोग ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दिए गए उस फैसले की याद दिलाई जिसके अंतर्गत उम्मीदवारों से उनके आपराधिक आपराधिक रिकॉर्ड को इलेक्‍ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया में घोषित करने को कहा गया था। लेकिन आयोग को ऐसे अपराधी प्रवृत्ति वाले नेताओं को रोकने में कोई मदद नहीं मिली है।

वहीं चुनाव पैनल ने यह सुझाव दिया कि ऐसे आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों के रिकॉर्ड को मीडिया में घोषित करने के बजाए उन्हें ​टिकट ही न दिया जाए, जिनका पिछला रिकॉर्ड आपराधिक रहा हो।

सुप्रीम कोर्ट ने यह सुझाव याचिकाकर्ता और भाजपा नेता व एडवोकेट अश्‍विनी उपाध्‍याय और चुनाव पैनल को साथ बैठने और ऐसे सुझाव और निष्‍कर्ष निकालने को कहा जो राजनीति के अपराधीकरण को रोकने में उनकी मदद करे।

वर्ष 2018 से किया गया आपराधिक रिकॉर्ड सावर्जनिक

चुनावों में प्रत्याशी के आपराधिक रिकॉर्ड पर वर्ष 2018 के सितंबर में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने सर्वसम्‍मति से फैसला दिया था। जिसमें कहा गया कि चुनाव लड़ने से पहले सभी उम्‍मीदवारों को चुनाव आयोग के पास अपना आपराधिक रिकॉर्ड तो देना होगा और साथ ही उसे इलेक्‍ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया के जरिए इसे सार्वजनिक भी कराया जाना चाहिए।

उम्मीदवार को अपने ऊपर लगे आपराधिक रिकॉर्ड को बड़े अक्षरों में प्रकाशित कराना होगा। जिसे मतदान के दो दिन पहले तक जारी रखनी होगी। वहीं इलेकट्रॉनिक मीडिया के जरिए तीन दिन स्‍वयं अपने ऊपर लगे आरोपों को बताना होगा।

COMMENT