हिंगोनिया गौशाला में बढ़ रहा गायों की मौत का आंकड़ा, मौत का जिम्मेदार कौन?

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राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित हिंगोनिया गौशाला में पिछले 10 दिनों में बड़ी संख्या में गायों की मौत हो गई है। यह आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। लेकिन इस ओर अभी तक किसी का ध्यान नहीं गया है। एक अखबार के अनुसार हिंगोनिया गौ पुनर्वास केन्द्र में भूख से तड़पकर 10 दिनों के भीतर ही करीब 850 गायों ने दम तोड़ दिया है। जानकारी के अनुसार, हिंगोनिया गौशाला में पिछले दस दिनों से चारा नहीं आ रहा है। इस कारण गायों ने भूख से प्राण त्याग दिए हैं। गौशाला के पास जो स्टॉक में था वह पांच दिनों के भीतर ही खत्म हो गया था। इस मामले से अभी तक जयपुर नगर निगम, गौशाला प्रशासन, गौ प्रबंधन एनजीओ और राज्य सरकार अनजान नज़र आ रही है। इस बड़ी गलती को स्वीकार करने से अभी तक सभी बचते नज़र आ रहे हैं। सवाल उठना लाज़िमी है कि इतनी बड़ी संख्या में हुई गायों की मौत का आखिर जिम्मेदार कौन है?

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गौशाला में औसतन 100 गायों की प्रतिदिन हो रही है भूख से मौत

जानकारी के अनुसार, हिंगोनिया गौशाला में गायों के लिए करीब 23 छोटे-बड़े बाड़े हैं। इनमें से रोजाना 100 गायों की भूख से तड़पकर मौत हो रही है। आम दिनों में 20 से 22 गायों की औसत मौत होती रही है। लेकिन पिछले 10 दिनों में गायों की मौतों का आंकड़ा बढ़ गया है। यहां तक कि इस बार तो हॉस्पिटल व आईसीयू में भी चारा नहीं आया है। गौशाला निगम उपायुक्त, आरके मीना का इस मामले पर कहना है कि इतनी गायों के मरने की हमारे पास सूचना नहीं थी। उन्होंने कि बताया कि भुगतान की फाइल गौशाला शाखा से तो कभी की निकाल दी गई। अब कहां अटकी यह पता नहीं हैं। सार संभाल की जिम्मेदारी अक्षयपात्र की है।

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हिंगोनिया गौशाला को अक्षयपात्र ने लिया हुआ है गोद

हिंगोनिया गौशाला को अक्षयपात्र फाउंडेशन ने गोद लिया हुआ है। गायों के लिए चारे की व्यवस्था जयपुर नगर निगम के पैसे से की जाती है। पिछले पांच माह से नगर निगम ने अक्षयपात्र को करीब 15 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया। जिसकी वजह से गायों के चारे की व्यवस्था नहीं हो सकी। इस कारण से गायें भूख के मारे दम तोड़ रही है। हिंगोनिया गौशाला में करीब 70 टन चारे की रोजाना आवश्यकता होती है। यहां फिलहाल करीब 2300 की संख्या में गोवंश हैं, जिसमें बछड़े व सांड भी शामिल हैं। तीन साल पहले बारिश की वजह से सैकड़ों गायों की मौत का गवाह बने हिंगोनिया गौ पुनर्वास केन्द्र में फिर से यह सिलसिला शुरू हो गया। इस ओर अभी तक किसी का भी ध्यान नहीं गया है।

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जयपुर नगर निगम की ओर से वर्ष 2004 में 800 बीघा में हिंगोनिया गौशाला को स्थापित किया गया था। 2016 में गायों की कब्रगाह बनी इस गौशाला की दुर्दशा का मामला इतना बढ़ गया था कि तत्कालीन महापौर निर्मल नाहटा को इस्तीफा तक देना पड़ गया था। निगम की समितियों के अध्यक्षों से इस्तीफा लेने के कारण गौशाला समिति के अध्यक्ष भगवत सिंह देवल को भी पद गंवाना पड़ा था। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने अक्षयपात्र फाउंडेशन कोे 1 अक्टूबर, 2016 को इस गौशाला की जिम्मेदारी दी थी। लेकिन निजी हाथों में गायों की सार-संभाल का यह फैसला भी फेल हो गया है।

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अब तक एक भी गौ रक्षक संगठन सामने नहीं आया

हालिया वर्षों में देशभर में मॉब लिंचिंग की सौ से ज्यादा घटनाएं हुई हैं। इसमें बड़ी संख्या गौ तस्करी के शक़ में की गई मॉब लिंचिंग की है। गौ तस्करी के शक़ में कई राज्यों में इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया गया है। गौ रक्षक संगठनों द्वारा गौ तस्करी के शक़ में की गई मॉब लिंचिंग की कई घटनाएं उजागर हो चुकी है। गौ तस्करी की झूठी अफवाहों के चलते कई बार मॉब लिंचिंग की घटना को अंजाम देने वाले गौ रक्षक संगठनों का 800 से ज्यादा गायों की मौतों के मामले में अभी तक चुप्पी साधे बैठना सवाल खड़ा करता है।

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