हाल में दिल्ली हाई कोर्ट में पीएम केयर्स फंड मामले की सुनवाई में पीएमओ की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायाधीश नवीन चावला को जवाब देते हुए कहा था कि वह इस संबंध में विस्तृत जवाब दाखिल करेंगे कि इस याचिका पर विचार क्यों नहीं होना चाहिए। अब केंद्र सरकार ने उच्चत्तम न्यायालय में पीएम केयर्स फंड मामले में हलफनामा दायर किया है। केंद्र सरकार द्वारा दायर हलफनामे में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय और राज्यों के आपदा प्रतिक्रिया कोष जैसे राहत कार्यों के लिए सांविधिक निधियों का अस्तित्व उन अन्य निधियों को प्रतिबंधित नहीं करता है, जो स्वैच्छिक दान स्वीकार करते हैं।’
पीएमसीएफ की पारदर्शिता को लेकर विपक्ष ने भी पूछे थे सवाल
गौरतलब है कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘पीएम केयर्स फंड’ नाम से एक राहत कोष की शुरुआत की गई थी। लेकिन विपक्षी पार्टियों और कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने पीएम केयर्स फंड की पारदर्शिता और पैसे को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किए, वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में भी एक पीआईएल दर्ज कर इसकी जल्द ही जांच करवाने की मांग की गई है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस फंड पर अपने सुझाव भी पीएमओ को दिए थे।
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आपको बता दें कि इससे पहले एक मई को एक याचिकाकर्ता ने आरटीआई डाली थी, जिसमें पीएम केयर्स फंड के ट्रस्ट के दस्तावेज, जिस पर फंड का गठन हुआ वह पत्र या दस्तावेज और सभी नोट शीट, पत्र, संचार मेमो और आदेश या पत्र की प्रति की मांग की गई थी। इस याचिका में कहा गया कि दो जून को सीपीआईओ और पीएमओ ने ये जानकारियां देने से इनकार कर दिया। जानकारी देने से इंकार करने के पीछे वजह यह बताई गई कि पीएम केयर्स फंड सूचना के अधिकार के तहत कोई सार्वजनिक प्राधिकरण नहीं है।
Centre has filed an affidavit before Supreme Court on PM CARES fund. The affidavit filed by Central government said, "the existence of statutory funds for relief work like National and States' disaster response funds do not prohibit other funds which accept voluntary donations."
— ANI (@ANI) July 9, 2020