जिन क्षेत्रों में पानी ज्यादा खारा नहीं, वहां सरकार करे आरओ को प्रतिबंधित: एनजीटी

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आज के समय में शहरों के ज्यादातर घरों में रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) यानि पानी में मौजूद हानिकारक पदार्थों को दूर करने के लिए पानी का तकनीक के माध्यम से शुद्ध करने वाली मशीन, बड़े स्तर पर मिल जाती है। इन घरों में आरओ से मिलने वाले शुद्ध पानी के लिए तो व्यवस्था होती है, परंतु दूषित पानी को इकट्ठा करने की समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है। ऐसे में वह पानी बेकार में ही बह जाता है।

ऐसे में व्यर्थ बहते पानी को नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भारत सरकार से कहा है कि जिन क्षेत्रों में पानी ज्यादा खारा नहीं है, वहां आरओ मशीन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया जाए। एनजीटी ने सरकार को कारगर नीति बनाने का भी निर्देश दिया। इसमें कहा गया है कि जिन जगहों पर पानी में कुल घुले हुए ठोस पदार्थ (टीडीएस) की मात्रा 500 मिलीग्राम प्रति लीटर से कम है, उन जगहों से घरों को सप्लाई होने वाले नल का पानी सीधे पीने योग्य है। एनजीटी ने केंद्र सरकार से यह भी कहा है कि लोगों को आरओ मिनरल वाले पानी से सेहत को होने वाले संभावित नुकसानों के बारे में भी जागरूक किया जाए।

एनजीटी ने सरकार से यह भी कहा कि 60 फीसदी से ज्यादा पानी देने वाले आरओ के इस्तेमाल की ही अनुमति दी जाए। सरकार द्वारा प्रस्तावित नीति में आरओ से 75 फीसदी शुद्ध पानी मिलने और बेकार पानी का इस्तेमाल बर्तनों की धुलाई, बागवानी, फर्श और गा​ड़ियों की धुलाई आदि में काम लेने की आदत को विकसित करने का प्रावधान किया है।

इस मामले पर बनाई गई एनजीटी की समिति ने बताया कि पानी में मौजूद टीडीएस 500 एमजी प्रति लीटर होने पर आरओ काम नहीं करता, बल्कि उसके विपरीत वह उसमें मौजूद कई महत्वपूर्ण खनिजों को नष्ट करने के साथ ही पानी की भी बर्बादी करता है।

टीडीएस अकार्बनिक लवण के साथ ही कार्बनिक लवण की थोड़ी सी मात्रा से मिलकर बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन के मुताबिक प्रति लीटर पानी में 300 एमजी से नीचे टीडीएस बेहतरीन माना जाता है, जबकि 900 एमजी खराब और 1200 एमजी अस्वीकार्य है। आरओ के जरिए पानी में मौजूद अशुद्धियां को दूर किया जाता है।

क्या है राष्ट्रीय हरित अधिकरण

भारत में पर्यावरण संरक्षण और वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटारे के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की स्थापना की गई।

संसद द्वारा बनाए गए राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 में इसको इस प्रकार परिभाषित किया गया है –

‘पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार को लागू करने और क्षति के लिए राहत और क्षतिपूर्ति सहित वनों और अन्य प्राकृतिक संसाधनों के पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और शीघ्र निपटान के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना के लिए एक अधिनियम व्यक्तियों और संपत्तियों और उनसे संबंधित मामलों के साथ या प्रासंगिक के लिए है।’

एनजीटी का प्रधान कार्यालय नई दिल्ली में है। इसके अन्य क्षेत्रीय कार्यालय भोपाल, पुणे, कोलकाता तथा चेन्नई में हैं।

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