बॉलीवुड समय—समय पर भारतीय इतिहास को लेकर कोई ने कोई फिल्म बनाते रहे हैं। हाल में पानीपत के तृतीय युद्ध को लेकर ‘पानीपत’ फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ था। अब इतिहास को लेकर एक और फिल्म आ रही है। मंगलवार को ‘तानाजी: द अनसंग वॉरियर’ का ट्रेलर रिलीज हुआ। इस फिल्म का निर्देशन ओम राउत कर रहे हैं।
Savitribai Malusare – Tanhaji ke saahas ka sahara… aur unke bal ki shakti. #TanhajiTheUnsungWarrior in cinemas 10th January 2020. TANHAJI TRAILER TOMORROW@itsKajolD #SaifAliKhan @omraut @itsBhushanKumar @ADFFilms @TSeries @TanhajiFilm pic.twitter.com/i2CcMbWcAa
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) November 18, 2019
इस फिल्म में अजय देवगन, सैफ अली खान और काजोल मुख्य भूमिका में हैं। इस फिल्म के नायक तानाजी मालुसरे, मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के सेनापति थे। तानाजी का रोल अजय देवगन निभा रहे हैं। तानाजी कोंडाणा दुर्ग को जीतने के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे। यह अजय देवगन के फिल्मी कॅरियर की 100वीं फिल्म है।
Udaybhan Ke Darbar Mein Ghalati Ki Maafi Nahi Sirf Sazah Milti Hai…#TanhajiTheUnsungWarrior, in cinemas 10th January 2020. #TanhajiTrailerOnNov19#SaifAliKhan @itsKajolD @omraut @itsBhushanKumar @ADFFilms @TSeries @TanhajiFilm pic.twitter.com/eXrqNOnbzp
— Ajay Devgn (@ajaydevgn) November 13, 2019
इस फिल्म में सैफ अली खान उदयभान राठौड़ का रोल कर रहे हैं। वहीं फिल्म में काजोल ने सावित्री बाई मालसुरे का किरदार निभाया है।
कौन थे तानाजी मालुसरे
तानाजी मालुसरे मराठा साम्राज्य के सेनापति थे। उस समय मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज थे। शिवाजी ने मराठा साम्राज्य को काफी बड़े क्षेत्र में फैलाया था। उनके प्रतिद्वंदी के रूप में मुगल शासक थे। इस समय मुगल शासक औरंगजेब का भारत पर शासन था।
वर्ष 1670 में कोंडाना दुर्ग पर मुगलों का अधिकार था और छत्रपति शिवाजी उस पर अधिकार करना चाहते थे। शिवाजी के सेनापति तानाजी मालुसरे अपने बेटे के विवाह में व्यस्त थे। तानाजी को रात के समय शिवाजी महाराज का संदेश मिला। संदेश सुनकर वह विवाह को बीच में छोड़, तुरंत महाराज के पास पहुंचे। तानाजी शिवाजी महाराज से मिले तो उन्हें कोंडाना दुर्ग जीतने की योजना बताई। जिसे जीतना इज्जत का प्रश्न बन गया था।
रात को किया दुर्ग पर आक्रमण
उनकी योजना को जानकार तानाजी ने कसम खाई की जब तक दुर्ग को मुगलों से नहीं जीत नहीं लेंगे तब तक वापस नहीं लौटेंगे। तानाजी ने बिना देर किए अपने सैनिकों को साथ लेकर कोंडाना दुर्ग पर आक्रमण करने की योजना बनाई। उनकी योजना थी कि रात को ही दुर्ग के ऊपर चढ़ा जाए, क्योंकि इस समय दुर्ग में सभी लोग सो रहे थे।
कोंडाणा पहुंच कर तानाजी ने अपने साथ 300 के करीब सैनिकों की एक टुकड़ी के साथ दुर्ग के पश्चिमी भाग से ऊपर चढ़ने के लिए घोरपड़ नामक एक सरीसृप की मदद ली, यह जानवर किसी चट्टान को एक बार पकड़ ले तो फिर कितना ही वजन लटकाओ वह अपनी जगह नहीं छोड़ती है। इस जानवर को किले पर चढ़ाया गया और उससे बंधी रस्सी से सैनिक दुर्ग पर चढ़ें। योजनानुसार तानाजी अपने सैनिकों के साथ किले पर चढ़ गए और किले का कल्याण दरवाजा खोलने के बाद मुगलों पर आक्रमण कर दिया।
इस किले पर उदयभान राठौड़ का नियंत्रण था। जिसे मिर्जा राजा जयसिंह प्रथम द्वारा नियुक्त किया गया था। अचानक हुए इस हमले को वह समझ नहीं पाया और मराठों ने सोते हुए मुगल सैनिकों पर आक्रमण कर हक्का—बक्का कर दिया।
तानाजी के नाम पर किले का सिंहगढ़ नाम रखा
इस घमासान युद्ध में मराठों की विजय हुई लेकिन उन्होंने अपना सेनापति तानाजी को खो दिया। जब शिवाजी महाराज को इसकी खबर मिली तो वे बहुत दु:खी हुए। उन्होंने अपने दु:ख व्यक्त करते हुए कहा, ‘गढ़ आया, पर सिंह गया। तानाजी को श्रद्धांजलि देने के लिए इस किले का नाम सिंहगढ़ रखा गया।