जब आप घर परिवार के बीच होते हैं तो अक्सर आप अपने निर्णय खुद नहीं लेते हैं। यानी आप हमेशा अपने लोगों की राय पर निर्भर होते हैं। ऐसे में कई बार आप करना कुछ चाहते हैं लेकिन बाकी सबके विचारों के आगे अपने निर्णय को दरकिनार कर देते हैं। यह कई बार सही भी होता है लेकिन एक व्यक्तित्व के तौर पर यह आपको नुकसान भी पहुंचाता है। इससे ना सिर्फ आप निर्णय लेने की क्षमता में कमजोर हो जाते हैं बल्कि कई बार जिंदगी में पिछड़ भी जाते हैं। अपने निर्णय ना ले पाने के पीछे एक अहम वजह डर भी होता है।
हम इसलिए निर्णय नहीं लेते क्योंकि हमें लगता है कि यदि निर्णय गलत हो गया तो सब हमको सुनाएंगे या फिर निर्णय गलत होने पर हम जिंदगी में पीछे चले जाएंगे लेकिन इन बातों के कारण हम असल मायने में जिंदगी नहीं जी पाते हैं। जिंदगी में कितने दिन हैं, यह कोई नहीं जानता। ऐसे में जिंदगी में हमेशा कुछ नया करते रहने का सोचना चाहिए और इसके लिए खुद से निर्णय लेना जरूरी है।
निर्णय लेने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है आत्मविश्लेषण। जब भी कोई निर्णय लें उससे पहले कुछ देर खुद के साथ वक्त गुजारें और निष्पक्ष रूप से सोचें कि फलां निर्णय का किस तरह आपकी जिंदगी में असर पड़ेगा। तब यदि आपको लगता है कि जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए वह निर्णय जरूरी है तो अपने दिल की सुनें और अपने निर्णय को आगे लेकर जाएं।
यहां एक सबसे जरूरी बात यह है कि खुद को नई चुनौतियों के लिए तैयार रखना। निश्चित तौर पर जब कोई निर्णय लेंगे तो उसके दो परिणाम होंगे या तो वह सफल साबित होगा या फिर असफलता हाथ लगेगी। ऐसे में जो नई चुनौतियां सामने आने वाली हैं उसके लिए खुद को तैयार रखिए। निराशा को अपने से दूर रखने की कोशिश कीजिए। जब भी चुनौती आए उसका डटकर सामना करिए ताकि आप एक इंसान के तौर पर मजबूत हो सकें। साथ ही हमेशा अपने निर्णय को लेकर खुश रहिए कभी अपने निर्णय पर पछताइए मत क्योंकि बदलाव तब ही होगा जब आप कदम उठाएंगे।
सकारात्मक सोच के साथ नए निर्णय लीजिए और फिर पीछे मत देखिए…।
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