पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का निधन मंगलवार रात 11 बजकर 18 मिनट पर हो गया। वह 67 वर्ष की थीं। सुषमा को बीती रात करीब साढ़े नौ बजे दिल का दौरा पड़ने पर उन्हें नाजुक हालात में एम्स हॉस्पिटल ले जाया गया और उन्हें इमरजेंसी वॉर्ड में भर्ती किया गया। लेकिन डॉक्टर्स ने उन्हें कुछ देर बार मृत घोषित कर दिया। उनके निधन पर पूरे देश में शोक की लहर है। बता दें कि दोपहर 3 बजे उनका अंतिम संस्कार होगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘भारतीय राजनीति में एक गौरवशाली अध्याय का अंत हो गया। भारत एक असाधारण नेता के निधन से शोकसंतप्त है, जिन्होंने जनसेवा और निर्धनों के जीवन में सुधार के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। सुषमा जी अपने आप में अलग थीं और करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थीं।’ आपको बता दें कि सुषमाजी के अंतिम दर्शन के दौरान मोदी भावुक हो गए और उनके परिवार वालों के सामने अपने आंसू नहीं रोक पाए।
#WATCH Prime Minister Narendra Modi pays last respects to former External Affairs Minister and BJP leader #SushmaSwaraj. pic.twitter.com/Sv02MtoSiH
— ANI (@ANI) August 7, 2019
सुषमा स्वराज ने जम्मू-कश्मीर पर से धारा 370 हटाने पर अपने ट्वीटर से अंतिम ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा,’प्रधान मंत्री जी-आपका हार्दिक अभिनन्दन। मैं अपने जीवन में इस दिन को देखने की प्रतीक्षा कर रही थी।’
एनसीसी की बेस्ट कैडेट थी सुषमा
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी, 1952 को हरियाणा के अंबाला में हरदेव शर्मा तथा लक्ष्मी देवी के घरा हुआ। उन्होंने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेजेस संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। वह लगातार तीन साल तक एन.सी.सी. की सर्वश्रेष्ठ कैडेट चुनी गई। इसके बाद उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। सुषमा ने महज 21 साल की उम्र में सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू कर दी थी। यहीं पर सुषमा की मुलाकात स्वराज कौशल से हुई, जो उस समय देश के सबसे युवा एडवोकेट जनरल थे।
दोनों की पहली मुलाकात कॉलेज के दिनों में हुई। सुषमा स्वराज और स्वराज कौशल दोनों पंजाब यूनिवर्सिटी लॉ डिपार्टमेंट में एक साथ पढ़ते थे। दोनों के बीच होने वाली जुगलबंदी आखिरकार प्यार में बदली और दोनों ने शादी करने का फैसला किया। स्वराज हरियाणा से थी और उस समय वहां किसी का लव मैरिज करना बहुत बड़ी बात थी। दोनों ने अपने परिवार वालों को मनाया और 13 जुलाई, 1975 को शादी कर ली। सुषमा का यह साहस आगे चलकर राजनीति में भी देखने को मिला।
सुषमा स्वराज के पति स्वराज कौशल को भी देश के सबसे कम उम्र में राज्यपाल बनने का गौरव हासिल है। 6 साल तक राज्यसभा सदस्य रहने वाले कौशल एक राजनीतिज्ञ तथा सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ वकील हैं।
कॉलेज के दिनों में इंदिरा सरकार के खिलाफ किए कई प्रदर्शन
पेशे से वकील सुषमा वर्ष 1970 से ही छात्र नेता के तौर पर राजनीति में सक्रिय हो गई। कॉलेज के दिनों में सुषमा ने इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ कई विरोध प्रदर्शनों की अगुवाई की। इसके अलावा वो कई सामाजिक और सांस्कृतिक संगठनों से जुड़ी रही।
सुषमा स्वराज ने आपातकाल समाप्त होने के बाद जनता पार्टी की सदस्य बन गई। सुषमा स्वराज ने अपना राजनीतिक कॅरियर वर्ष 1977 से किया और वह हरियाणा से विधायक चुनी गईं और चौधरी देवी लाल की सरकार में श्रम मंत्री बनीं। वह मात्र 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनी थी।
80 के दशक में सुषमा बीजेपी शामिल हो गई। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1987 से 1990 तक वह अम्बाला छावनी से विधायक चुनी गई और भाजपा-लोकदल की गठबंधन सरकार में शिक्षा मंत्री रही।
दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं
वर्ष 1990 में सुषमा को राज्यसभा सदस्य बनाकर संसद में भेजा। राज्यसभा में उन्होंने अपनी निडर और बेबाक भाषणों से विरोधियों को पस्त किया। वर्ष 1996 में दक्षिणी दिल्ली सीट से चुनकर वह लोकसभा में पहुंची थीं। सुषमा को अटल बिहारी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया। इसके बाद वर्ष 1998 में सुषमा दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं। भाजपा की ओर से भी मुख्यमंत्री पद तक पहुंचने वाली वो पहली महिला नेता थीं।
सुषमा को अप्रैल 2006 में मध्य प्रदेश राज्य से राज्यसभा में तीसरी बार चुना गया। इसके बाद वर्ष 2009 में वह मध्य प्रदेश के विदिशा लोकसभा संसदीय क्षेत्र से सांसद चुनी गई और सुषमा 21 दिसंबर 2009 को 15वीं लोकसभा में विपक्ष की नेता बनी। वह मई 2014 तक इस पद पर बनी रही। वर्ष 2014 में सुषमा विदिशा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से दोबारा लोकसभा की सांसद निर्वाचित हुई और इस बार उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा ने कई महत्वपूर्ण और जन हितैषी कदम उठाए।
सुषमा स्वराज भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला थी। वह कैबिनेट मन्त्री बनने वाली भी भाजपा की पहली महिला थीं। इसके अलावा सुषमा संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी बनीं।
खास रहा विदेश मंत्री के तौर पर सफर
साल 2014 में मोदी सरकार आने के बाद स्वराज को विदेश मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। अपने कार्यकाल में सुषमा स्वराज विदेश में रहने वाले भारतीयों के लिए एक मसीहा साबित हुई। जब भी विदेशी भारतीयों ने मदद के लिए हाथ बढ़ाया सुषमा हमेशा उनके लिए खड़ी रही।
यमन में फंसे भारतीयों के लिए सुषमा स्वराज के ऑपरेशन राहत को खूब तारीफ मिली जिसमें साढ़े पांच हजार से ज्यादा लोगों को सकुशल देश वापस लाया गया। वहीं सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद 15 साल पहले सरहद पार पाकिस्तान में फंसी 8 साल की मासूम गीता की भारत वापसी के रास्ते खुल सके।
अपने बेबाक और खुशनुमा स्वभाव से सुषमा ने कई लोगों का दिल जीता। राजनीतिज्ञ के तौर पर उन्होंने देश के लिए बहुत कुछ किया, वहीं पारिवारिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाई। यह कहना गलत नहीें होगा कि वे एक सफल महिला थी और उनका निधन पूरे देश के लिए एक बहुत बड़ी क्षति है।