सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों वाली बेंच ने अयोध्या मामले पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। इस फैसले में कोर्ट ने दोनों ही पक्ष की दलील सुनी। 40 दिन तक लगातर हुई सुनवाई के बाद शनिवार को फैसला सुनाया गया।
पढ़िए, सिलसिलेवार अयोध्या केस के बारे में। कैसे सालों तक चला ये केस…..
पिछले छह दशक से लंबित अयोध्या राम मंदिर मामले का हल निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक मध्यस्थता कमिटी का गठन किया था। इस कमिटी में पूर्व जज जस्टिस एफ.एम.कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल थे। मामले का हल निकालने के लिए करीब पांच महीने पहले गठित की गई मध्यस्थता कमिटी की कोशिशें भी असफ़ल रही थीं। जिसके बाद अदालत ने मध्यस्थता कमिटी को भंग करते हुए 6 अगस्त, 2019 से प्रतिदिन सुनवाई का फैसला किया। इसके बाद से अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट में तेजी से सुनवाई हो रही है। इस बीच मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफ़र के परिवार सदस्य ने राम मंदिर का निर्माण के लिए बड़ी पेशकश की है।
मंदिर की नींव के लिए सोने की शिला दान करने की पेशकश
खुद को मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक बहादुर शाह जफ़र के परिवार के सदस्य बताने वाले याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का खुला समर्थन किया है। तुसी ने अपना समर्थन देते हुए कहा है कि अगर अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण किया जाता है, तो हमारे परिवार की तरफ़ से पहली ईंट लगाई जाएगी और हम मंदिर की नींव के लिए सोने की शिला दान करेंगे।
इससे पहले तुसी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उन्हें अयोध्या मामले में पक्षकार बनाने की भी मांग की थी। हालांकि तुसी की इस याचिका पर कोर्ट ने अब तक कोई जवाब नहीं दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जिस जमीन को लेकर विवाद हो रहा है, उसके मालिकाना हक का काग़ज किसी व्यक्ति के पास नहीं है। इस स्थिति में मेरा यह अधिकार है कि मैं मुगल वंश का वंशज होने के हक से अदालत में अपना पक्ष रखूंगा। तुसी का यह भी कहना है कि वह पहले ही तय कर चुके हैं कि वो पूरी जमीन मंदिर निर्माण के लिए दान कर देंगे।
तीन बार राम लला की पूजा कर चुके हैं याकूब हबीबुद्दीन तुसी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुगल शासक के परिवार सदस्य याकूब हबीबुद्दीन तुसी अब तक तीन बार अयोध्या जाकर राम लला की पूजा कर चुके हैं। उन्होंने पिछले साल अपनी यात्रा के दौरान राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन दान करने का प्रण लिया था। यही नहीं उन्होंने अयोध्या राम मंदिर का मुगलों द्वारा किए गए विध्वंस के लिए हिंदुओं से माफ़ी भी मांगी थी। इस दौरान तुसी ने अपने सिर पर चरण पादुका रखकर सांकेतिक रूप से माफ़ी मांगी थी।
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भगवान श्री राम के वंशज मामले में जयपुर और मेवाड़ के बाद अब उत्तर प्रदेश के रहने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने भी दावा किया है। उन्होंने कहा कि वे राम के असली वंशज हैं। टिकैत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में अगर सबूत देने की जरूरत पड़ी तो वह जरूर देंगे। उन्होंने आगे कहा कि सभी को मालूम है कि अयोध्या में भगवान राम का जन्म हुआ है और वहां हुई खुदाई से साबित हो चुका है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था।