पुलिसकर्मियों को वेतन कटौती मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने कोविड-19 महामारी के दौरान कुछ राज्यों में पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती के प्रस्ताव के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर मंगलवार को सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत निर्णय है और इस बारे में निर्णय लेना पूरी तरह से सरकार का काम है। इस मामले में सरकार ही कोई निर्णय ले सकती है।
बेंच ने प्रतिवेदन पेश करने की दी अनुमति
इस मामले में न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बीआर गवई की बैंच ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग माध्यम से सुनवाई करते हुए विचार करने से इनकार कर दिया। बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता को राहत के लिए इस बारे में उचित प्राधिकारी को प्रतिवेदन देना होगा। हालांकि, बेंच ने इसके साथ ही याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त सहायक पुलिस आयुक्त भानु प्रताप बर्ग को उचित प्राधिकारी के समक्ष अपना प्रतिवेदन पेश करने की अनुमति प्रदान कर दी। याचिका में कुछ स्थानों पर कोरोना वायरस संक्रमण से ग्रस्त होने की वजह से कुछ पुलिस अधिकारियों की मृत्यु की ओर भी न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया गया।
पीपीई उपलब्ध कराने का भी किया था अनुरोध
इस याचिका में सभी पुलिसकर्मियों को शारीरिक सुरक्षा उपकरण यानी पीपीई उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध भी किया गया था। इसमें कहा गया था कि कोविड-19 महामारी के खिलाफ चल रही लड़ाई में अग्रिम पंक्ति में खड़े इन पुलिसकर्मियों को इस संक्रमण की चपेट में आने का सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। ऐसे में सरकारें पीपीई किट उपलब्ध कराएं।
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पूर्व पुलिस अधिकारी भानु प्रताप बर्ग के वकील ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ संघर्ष में प्रथम पंक्ति मे डटे पुलिस अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को जोखिम भत्ता देने का प्रावधान करने का मुद्दा उठाया जा रहा है, लेकिन दूसरी ओर कुछ राज्यों में सरकारें पुलिसकर्मियों के वेतन में कटौती का प्रस्ताव कर रही हैं जो कर्मियों को आर्थिक नुकसान पहुंचाएगा।