जब भी मेकओवर की बात आती है, तो हमारे मन में सबसे पहले हेयरकट का खयाल आता है। बाल कटवाने के बाद आप तो सैलून से निकल जाते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो कटे हुए बाल जिन्हें कचरा समझ कर फेंक दिया जाता है, वास्तव में बेहद कीमती होते हैं। इन बालों की कीमत हजारों रुपयों में है और पूरी दुनिया में इसका सालाना कारोबार कई अरब रुपयों का है। बता दें कि वैश्विक बाजार में भारत और पाकिस्तान इस मार्केट के प्रमुख निर्यातक हैं।
खबरों की मानें तो दोनों देशों में इस कारोबार पर कब्जा करने की होड़ मची हुई है। दुनिया के कई विकसित देश इसके खरीदार हैं। भले ही आपको ये जानकर काफी अटपटा लग रहा हो, मगर मानव बाल भारत-पाकिस्तान की अर्थ व्यवस्था का मजबूत हिस्सा बनते जा रहे हैं। हम भले ही इन्हें कचरा समझ कर फेंक देते हों, मगर बहुत से लोग ऐसे भी हैं जिनके लिए ये कमाई का सबसे अहम ज़रिया है। बता दें कि भारत-पाक इसके टॉप 10 निर्यातकों में से एक हैं।
भारत में तीन हजार करोड़ का है कारोबार :
बालों का ये कारोबार अब भारत के लगभग हर राज्य में फैल चुका है। इनकी मांग कोलकाता और चेन्नई में सबसे अधिक है। वहां इनका ट्रीटमेंट कर इन्हें चीन भेजा जाता है। व्यापारियों के अनुसार पूरे देश में बालों का कारोबार तकरीबन तीन हजार करोड़ रुपये का है। बालों के इस कारोबार में सैलून, विशेषकर महिला पार्लरों की प्रमुख भूमिका मानी जाती है। कई महिला पार्लर अपने यहां काटे जाने वाले बालों को 500—1000 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचते हैं।
800 से 2000 रुपये प्रति किलो है कीमत :
जानकारी के अनुसार कोलकाता में एक किलो बाल की कीमत 800 से 1200 रुपये तक है। वहीं होली से पहले इन बालों की कीमत 2000 रुपये प्रति किलो तक भी पहुंच जाती है, क्योंकि होली में रंगीन विग की डिमांड काफी बढ़ जाती है। भारत में सैलून में कटे हुए बालों के साथ-साथ कंघी से झड़े हुए बालों की बिक्री का फीसद भी पिछले पांच सालों में काफी बढ़ा है। सबसे ज्यादा कीमत कंघी में टूटे ऐसे बालों की होती है, जिसकी लंबाई आठ इंच से ज्यादा हो।
झड़े बालों की मांग ज्यादा क्यों ?
कारोबारियों का मानना है कि कंघी से झड़े बालों को ट्रांसप्लांट करना और इससे विग बनाना आसान होता है। इन झड़े बालों को साफ करके एक तरह के कैमिकल में रखा जाता है। फिर इसे सीधा कर अलग-अलग डिजाइन के विग बनाये जाते हैं। बाजार में फिलहाल गुजरात के बालों की मांग सबसे अधिक है। वहां के बाल मजबूत और चमकदार होते हैं। जबकि मध्य प्रदेश के बालों की क्वालिटी उतनी बेहतर नहीं मानी जाती, क्योंकि ये रुखे और कमजोर होते हैं।
ऐसे होता है व्यापार :
बालों के व्यापार का सबसे अच्छा सीजन क्रिसमस के बाद शुरू होता है जो अप्रैल-मई तक चलता है। वहीं बारिश में बालों का व्यवसाय बंद रहने के बाद अक्टूबर यानी दिवाली के समय फिर शुरू होता है। जबलपुर शहर के आसपास के इलाकों में फेरी वाले कंघी से झड़े बालों को खरीदते हैं और स्थानीय स्तर पर बड़े व्यापारियों को बेचते हैं। ये व्यापारी फिर कोलकाता, चेन्नई और आंध्रप्रदेश में इन्हें बेचते हैं। कोलकाता से 90 फीसद बाल चीन भेजा जाता है।
तिरुपति मंदिर से हुआ 220 करोड़ का कारोबार :
वर्ष 2014 में तिरुपति मंदिर से ही करीब 220 करोड़ रुपये के बालों की बिक्री हुई थी। जिसके बाद से ही साल दर साल ये आंकड़ा बढ़ता जा रहा है। दरअसल आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में मुंडन कराने की परंपरा काफी पुरानी है। यहां काफी संख्या में महिलाएं भी मुंडन कराती हैं। लिहाजा महिला बालों के लिए तिरुपति प्रमुख स्थान है। 2017 की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में मानव बाल के निर्यात का कुल कारोबार करीब 5800 करोड़ रुपये का रहा था।
नितिन गड़करी खरीदते हैं रोजाना पांच ट्रक बाल :
पिछले साल एक कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया था कि वह तिरुपति मंदिर से रोजाना पांच ट्रक बाल खरीदते हैं। इन बालों से उनकी फैक्ट्री में एमिनो एसिड आधारित माइक्रो न्यूट्रिएंट बनाया जाता है, जिसका प्रयोग खेती में होता है। इसके अलावा दुबई ने भी उन्हें 180 कंटेनर एमिनो एसिड का ऑर्डर दिया है। इस कार्यक्रम में उन्होने बताया कि कटे हुए बालों से तैयार एमिनो एसिड से उन्हें सालाना लगभग 12 से 15 करोड़ रुपये का मुनाफा होता है।
पाक ने पेश की कमाई कर रिपोर्ट :
हाल ही पाकिस्तानी संसद के निचले सदन में पहली बार मानव बालों के निर्यात की वाणिज्यिक कीमत के बारे में रिपोर्ट पेश की गई थी। पाकिस्तान के वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से पेश इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच साल में उन्होंने मानव बाल के निर्यात से 1.6 मिलियन यूएस डॉलर (11,43,60,000 रुपये) का व्यापार किया। पाकिस्तान से मानव बाल खरीदने वाले देशों में प्रमुख रूप से चीन, अमेरिका और यूनाइटेड अरब अमीरात समेति कई देश शामिल हैं।