आपके कितने दोस्त हैं? नहीं, हम फेसबुक या इंस्टाग्राम पर आपके दोस्त की लिस्ट नहीं पूछ रहे। वर्चुवल जगत में आपके हजारों दोस्त हो सकते हैं। मगर क्या वो सच में आपके दोस्त हैं? ये सवाल खुद से पूछिए। आप दिनभर आॅनलाइन नजर आते हैं तो क्या आप अकेले नहीं हैं?
अगर आपको भी लगता है कि सोशल मीडिया पर मिल रही फ्रेंड रिकवेस्ट और लाइक्स से आप सबके चहेते बनते जा रहे हैं तो आप बिल्कुल गलत हैं। सच है कि ये सोशल मीडिया आपको अपनों से दूर ले जा रहा है। आपके करीब बैठा दोस्त आपके लिए गैरजरूरी हो चुका है मगर जिसने व्हाट्सअप पर हाल पूछा है वो ज्यादा जरूरी है। मोबाइल पर आया एक भी नोटिफिकेशन आप मिस नहीं करते। रात में भी जब—जब नींद खुल जाए आप अपने फोन के मैसेज और नोटिफिकेशन चैक करते हैं।
छुट्टी पर बाहर नहीं निकलते और निकलते हैं तो सिर्फ सोशल मीडिया के अपडेट करने के लिए। फेसबुक या इंस्टाग्राम की स्टोरी के लिए अपनों के साथ तस्वीरें खिंचवाते हैं। भीड़ में भी बस सेल्फी लेते हैं। अगर ये सब आपके साथ भी हो रहा है तो जान लीजिए आप अकेलेपन से जूझ रहे हैं। वो अकेलापन जो अभी आपको दिखाई नहीं दे रहा। एक दिन अपने स्मार्टफोन और इंटरनेट को बंद करके देखिए समझ आएगा आप कितने अकेले हैं।
आपने शायद कई दिनों से सामने किसी से बैठकर बात ही नहीं की। शायद आपके ही बच्चे आपके साथ खेलने को तरस रहे हैं। मगर इससे बचने के लिए बच्चों के हाथों में भी मोबाइल पकड़ा दिया है जिससे वो भी आपको डिस्टर्ब ना करे। मोबाइल चैट, मोबाइल गेम या कोई वेब सीरिज इन सबने आपको अकेला कर दिया है। यही वर्चुवल दुनिया आपको डिप्रेशन की तरफ ले जा रहा है।
जिंदगी का मजा लेना है तो सबसे पहले इस काल्पनिक जगत से निकलकर असल दुनिया में आएं। दोस्त बनाएं सोशल मीडिया पर नहीं बल्कि अपने आसपास। एडवेंचर करें फेसबुक स्टोरी के लिए खुद की स्टोरी के लिए। बच्चों को मोबाइल नहीं अपना साथ दें। प्रियजनों से ढेर सारी बातें करें व्हाट्सअप पर नहीं सामने बैठकर।