भारतीय क्रिकेट प्रशासक, पूर्व आईसीसी अध्यक्ष और बिजनेसमैन जगमोहन डालमिया की आज चौथी डेथ एनिवर्सरी है। डालमिया का निधन 75 वर्ष की उम्र में 20 सितंबर, 2015 को हुआ था। वह अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद् (आईसीसी), भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) और बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे थे। मैदान के बाहर आज बीसीसीआई की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में जो हैसियत है उसे बनाने का काम पहली बार डालमिया ने शुरु किया था।
इससे पहले अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देशों का दबदबा रहता था। उन्होंने न केवल अच्छी क्रिकेट नीतियां बनाई बल्कि विश्व क्रिकेट में बीसीसीआई को सबसे अमीर बना दिया। हालांकि, वे विवादों से भी नहीं बच सके। आज जगमोहन डालमिया की पुण्यतिथि के अवसर पर जानते हैं उनकी प्रोफेशनल लाइफ़ के बारे में कुछ ख़ास बातें..
राजस्थान के एक मारवाड़ी परिवार में जन्मे थे
जगमोहन डालमिया का जन्म 30 मई, 1940 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ था। उनका परिवार मूल रूप से राजस्थान के झुंझुनूं जिले के चिड़ावा से आता है। उनके पिता अर्जुन प्रसाद डालमिया कोलकाता में बिजनेस करते थे। जगमोहन ने स्कॉटिश चर्च कॉलेज, कलकत्ता से पढ़ाई की थी। उन्हें बचपन से क्रिकेट के प्रति शौक था। कॉलेज के दौरान उन्होंने एक बार दोहरा शतक बनाया था। वह विकेटकीपर और ओपनर बल्लेबाज के रूप में कोलकाता के एक बड़े क्लब से जुड़े हुए थे। अपने पिता की मृत्यु के बाद 19 वर्ष की उम्र में जगमोहन डालमिया ने उनके पिता की फर्म एमएल डालमिया एंड कंपनी को आगे बढ़ाया। उनकी इस फर्म ने साल 1963 में कलकत्ता की बिरला प्लेनेटेरियम का निर्माण किया था।
जगमोहन डालमिया का विवाह चंद्रलेखा घोष डालमिया से हुआ था। चंद्रलेखा का जन्म एक जमींदार बंगाली कायस्थ परिवार में हुआ था। इन दोनों के एक पुत्र अविषेक और एक पुत्री वैशाली डालमिया हैं। डालमिया के निधन के बाद उनके बेटे अविषेक डालमिया अपने पिता की फर्म और क्रिकेट आगे बढ़ा रहे हैं। वहीं, उनकी बेटी वैशाली अपने पिता के निधन के करीब एक साल बाद वर्ष 2016 में तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गई। पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव में बल्ली विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा और वह विधायक चुनकर आईं।
1979 में बीसीसीआई से जुड़े थे डालमिया
जगमोहन डालमिया ने वर्ष 1979 में बंगाल क्रिकेट एसोसिएशन के प्रतिनिधि के रूप में बीसीसीआई जॉइन किया था। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। एक कुशल और चतुर क्रिकेट प्रशासक की तरह अंत का काम किया। साल 1987 में भारत ने पहली बार जगमोहन डालमिया की अगुवाई में विश्व कप की मेजबानी की थी। यह डालमिया का व्यावसायिक दिमाग ही था कि उन्होंने आईसीसी को यह समझाया कि क्रिकेट से किस तरह पैसा कमाया जा सकता है।
रिलायंस वर्ल्ड कप में पहली बार क्रिकेट प्रसारण अधिकार बेचे गए और यही से आईसीसी के मालामाल बनने की शुरुआत हुई थी। इससे पहले तक क्रिकेट विश्व कप आयोजित करने वाला देश हमेशा घाटे में ही रहते आया था। साल 1997 में डालमिया आईसीसी के अध्यक्ष चुने गए थे। उस समय आईसीसी के पास मात्र 16,000 रुपए फंड के तौर पर थे। उनके अध्यक्ष बनने के बाद वर्ष 2000 के समाप्ति तक आईसीसी के ख़जाने में 15 बिलियन डॉलर की बड़ी रकम थी। यह सब भारतीय बनिये जगमोहन डालमिया की चतुर रणनीति का कमाल था।
आईसीसी में बढ़ाया भारत का रूतबा, बीसीसीआई के तीन बार बने अध्यक्ष
जगमोहन डालमिया साल 1997 से 2000 तक आईसीसी के चेयरमैन पद पर रहे। यह पहला मौका था जब बीसीसीआई का प्रतिनिधित्व करने वाला आईसीसी के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ। डालमिया के बाद शरद पवार (2010 से 2012) चेयरमैन बने, उसके बाद साल 2016 में शशांक मनोहर तीसरे भारतीय के रूप में आईसीसी अध्यक्ष बने। भारत ने अब तक आईसीसी को 3 चेयरमैन-अध्यक्ष दिए हैं और ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। जगमोहन डालमिया से पहले आईसीसी पर गोरे लोगों का कब्जा रहता था और वीटो पावर के जरिए एशियाई देशों को हाशिए पर रखा जाता था।
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जगमोहन डालमिया तीन बार बीसीसीआई के अध्यक्ष रहे थे। वर्ष 2015 में जब डालमिया का निधन हुआ था उस वक़्त वह तीसरी बार बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर थे। वह पहली बार साल 2001 से 2004 तक, दूसरी बार साल 2013 से इसी वर्ष तक अध्यक्ष रहे। इस दौरान उनके ख़िलाफ़ भ्रष्ट्राचार के आरोप लगे थे और उन्हें बीसीसीआई से बाहर कर दिया गया था। डालमिया आरोपों से बरी होकर वर्ष 2015 में तीसरी बार भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष बने थे। बीसीसीआई अध्यक्ष रहते हुए ही 20 सितंबर, 2015 को जगमोहन डालमिया का 75 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था।