आपने कई बार सुना होगा कि फलां व्यक्ति का चेहरा बहुत खुशनुमा है, जिसे देखकर अच्छा फील होता है या शायद आपके आस—पास भी ऐसे लोग होंगे जिनका मुस्कान भरा चेहरा आपको अच्छा लगता होगा। इंसान की प्रवृत्ति भी ऐसी ही है कि हम खुशी देने वाली चीजों की ओर स्वत: ही आकर्षित हो जाते हैं क्योंकि यह हमारे अंदर भी एक ताजगी का अहसास भर देता है। अब सवाल यह है कि क्या आपके अंदर भी यह गुण है कि कोई आपको देखकर मुस्कुरा सके। हो सकता है कि आपका जवाब हो कि सबका अपना—अपना व्यक्तित्व होता है। हां, यह सही भी है लेकिन चेहरे पर मुस्कान रखना और दिन प्रतिदिन के कामों को हंसते हुए करने के लिए किसी खास तरह के नेचर की जरूरत नहीं है। बस, जरूरत है तो उस दिशा में सोचने की…।
किसी को देखकर जब मुस्कुराहट के जरिए अभिवादन किया जाता है तो एक मुस्कुराहट ही कई शब्दों की जगह ले लेती है। तब कहना या सुनना नहीं पड़ता, अपने आप मुस्कान के पीछे छिपी भावनाएं सामने वाले व्यक्ति तक पहुंच जाती हैं। इससे एक फायदा यह होता है कि सामने वाले के जहन में आपका मुस्कुराता हुआ चेहरा जगह ले लेता है और वह आपकी छवि को इसी रूप में कैद कर लेता है।
इसी तरह अक्सर अपने आस-पास हम ऐसेे लोगों को देखते हैं, जो बेहद तनाव में अपनी नियमित जिम्मेदारियां उठाते हैं। चाहे वह आॅफिस का काम हो, व्यवसाय हो या फिर घर का ही काम हो। ऐसे में यदि थोड़ी-सी भी समस्या आ जाए तो उनकी शक्ल पर और भी परेशानी झलकने लगती है। काम तो परेशान होकर भी होगा और हंसते हुए भी। ऐसे में यही फैसला हमें लेना है कि हंसते हुए काम को निपटाना है या चेहरे पर शिकन लेकर। जब दिल में काम करने का सूकुन हो तो चेहरे पर खुशी खुद आ जाती है। मुस्कुराते हुए बड़े से बड़ा काम कब हो जाता है पता ही नहीं लगता, वहीं परेशान होकर किया गया काम ना खुद को संतुष्टि देता है और ना ही आस-पास मौजूद लोगों को।
अक्सर आपने बड़ों को कहते सुना होगा कि चार दिन की जिंदगी है…। यह सही भी है कि जिंदगी कितनी है यह किसी को नहीं पता लेकिन जितनी भी जिंदगी है उसे खुशनुमा अंदाज में जी लिया जाए तो क्या बुराई है?