हिंदी सिनेमा की मशहूर पार्श्वगायिका व अभिनेत्री नूरजहां की आज 97वीं बर्थ एनिवर्सरी है। उन्होंने अपने दौर में ना सिर्फ अभिनय से बल्कि, अपनी आवाज से लोगों के दिलों पर राज किया। नूरजहां का जन्म 21 सितंबर, 1926 को देश के विभाजन से पहले पंजाब के एक छोटे से शहर कसूर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। नूरजहां का असली नाम अल्लाह राखी वसाई था। उनकी माता और पिता थियेटर से जुड़े हुए थे और संगीत में अच्छी खासी रुचि रखते थे।
घर में संगीत और अभिनय का माहौल होने के कारण नूरजहां की दिलचस्पी भी संगीत में बढ़ने लगीं। उन्होंने संगीत के गुर उस्ताद गुलाम मोहम्मद तथा उस्ताद बडे़ गुलाम अली खां से सीखे थे। इस खास अवसर पर जानिये उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुने किस्से…
सात दशक तक अपनी आवाज़ से दिल जीता
बंटवारे के बाद नूरजहां पाकिस्तान की सबसे पॉपुलर सिंगर बन गईं। 1930 से 1990 तक यानि करीब सात दशक तक अपनी जादुई आवाज से दर्शकों का दिल जीतने वाली नूरजहां को पाकिस्तान ने ‘मल्लिका-ए-तरन्नुम’ के खिताब से नवाज़ा था। उन्होंने पहली शादी शौक़त हुसैन रिज़वी से वर्ष 1942 में की जो साल 1953 तक चलीं। तलाक के बाद उनकी दूसरी शादी एजाज़ दुर्रानी से वर्ष 1959 में हुई जो साल 1971 में टूट गई। इसके बाद उन्होंने शादी तो नहीं की, लेकिन उनके कई लोगों के साथ नज़दीकी संबंध रहे।
करीब डेढ़ बजे के आस-पास शुरू करती थीं रिकॉर्डिंग
गायिका फरीदा खानम जो कि नूरजहां की दोस्त भी हुआ करती थीं और नूरजहां की कार जब लड़कों के सामने से गुजरती थी तो धीमी हो जाया करती थीं, ताकि ये दोनों मशहूर गायिकाएं उन नौजवान लड़कों को जी भर के देख सके। गाना रिकॉर्ड करते समय नूरजहां उसमें अपना दिल, आत्मा और दिमाग सब कुछ झोंक देती थीं। वो जो ब्लाउज पहनती थीं उसका गला काफी डीप होता था और कमर से भी उसका बहुत सा हिस्सा पीछे बैठे शख़्स को साफ दिखता था। नूरजहां करीब डेढ़ बजे के आसपास रिकॉर्डिंग शुरू करती थीं, लेकिन घंटे भर के अंदर उनकी पीठ पर पसीने की बूंदें दिखनी शुरू हो जाती थीं। रिकॉर्डिंग ख़त्म होते-होते वो पसीने से सराबोर होती थीं।
ताउम्र जिंदगी को अपनी शर्तों पर जिया
गायिका नूरजहां ने महान बनने के लिए बहुत मेहनत की थी और अपनी शर्तों पर जिंदगी को जिया था। उनकी ज़िंदगी में अच्छे मोड़ भी आए और बुरे भी। उन्होंने शादियां की, तलाक लिए, प्रेम संबंध बनाए, नाम कमाया और अपनी जिंदगी के अंतिम क्षणों में बेइंतहा तकलीफ भी झेली। एक बार पाकिस्तान की एक नामी शख़्सियत राजा तजम्मुल हुसैन ने उनसे हिम्मत कर पूछा कि आपके कितने आशिक रहे हैं अब तक? तो आधे सच ही बता दीजिए- तजम्मुल ने जोर दिया। उन्होंने गिनाना शुरू किया। कुछ मिनटों बाद उन्होंने तजम्मुल से पूछा, कितने हुए अब तक? तजम्मुल ने बिना पलक झपकाए जवाब दिया- अब तक सोलह। नूरजहां ने पंजाबी में क्लासिक टिप्पणी की- ‘हाय अल्लाह! ना-ना करदियां वी 16 हो गए ने।’
जब मेहमान के जूते पर गिरी चाय साड़ी से साफ की
अपने करियर के शिखर पर पहुंचने के बावजूद भी नूरजहां की मानवीय मूल्यों में आस्था कम नहीं हुई थी। लेखक एजाज गुल बताते हैं नूरजहां अक्सर अपने घर पर गानों का रिहर्सल किया करती थीं। एक बार वे उनसे मिलने गए तो उन्होंने चाय मंगवाई। जब वो निसार को चाय दे रही थीं तो उसकी कुछ बूंदें प्याली से छलक कर उनके जूतों पर गिर गई। वो फौरन झुकीं और अपनी साड़ी के पल्लू से उन्होंने गिरी हुई चाय की बूंदों को साफ किया। निसार ने उन्हें बहुत रोका, लेकिन उन्होंने कहा, ‘आप जैसे लोगों की वजह से ही मैं इस मुकाम तक पहुंची हूं।’
क्रिकेटर नजर का नूरजहां की वजह से खत्म हुआ करियर
पाकिस्तान में नूरजहां और नजर मोहम्मद के किस्से आज भी काफी मशहूर हैं। कहा जाता है पाकिस्तान के क्रिकेटर नजर मोहम्मद का टेस्ट करियर वक्त से पहले ही नूरजहां की वजह से खत्म हो गया। दरअसल, नूरजहां को पुरुष बहुत पसंद थे। कहा जाता है एक बार उनको और नजर मोहम्मद को उनके पति ने एक कमरे में रंगे हाथ पकड़ लिया। नजर ने पहली मंजिल की खिड़की से नीचे छलांग लगा दी, जिसकी वजह से उनका हाथ टूट गया। उन्होंने एक पहलवान से अपना हाथ बैठवाया, लेकिन वो गलत जुड़ गया और उनको वक्त से पहले ही टेस्ट क्रिकेट से रिटायर होना पड़ा।
90 के दशक में संगीत को कहा अलविदा
वर्ष 1992 में उन्होंने संगीत की दुनिया को भी अलविदा कह दिया था। जब साल 1998 में नूरजहां को दिल का दौरा पड़ा, तो उनके एक मुरीद और नामी पाकिस्तानी पत्रकार खालिद हसन ने लिखा था- ‘दिल का दौरा तो उन्हें पड़ना ही था। पता नहीं कितने दावेदार थे उसके! और पता नहीं कितनी बार वह धड़का था उन लोगों के लिए जिन पर मुस्कराने की इनायत की थी उन्होंने।’ साल 2000 में 23 दिसम्बर को दिल का दौरा पड़ने से नूरजहां की मौत हो गई, उस समय वह 74 साल की थीं।
मन को सुकून देने वाले हैं नूरजहां के ये गीत..
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