भारतीय महिलाएं अब रक्षा क्षेत्र में भी अपना लौहा मनवा रही हैं। देश की सुरक्षा का सपना लेकर रक्षा क्षेत्र को अपना कॅरियर चुनने वाली ये महिलाएं हर मोर्चे पर पुरूषों से कमतर नज़र नहीं आती है। इसका ताज़ा उदाहरण है शिवांगी स्वरूप। वायुसेना के बाद अब नौसेना को भी शिवांगी के रूप में देश की पहली महिला पायलट मिलने जा रही है। शिवांगी स्वरूप देश की पहली नेवी पायलट होंगी। बता दें, उनसे पहले भावना कांत भारतीय वायुसेना में पहली महिला पायलट बनी थीं। शिवांगी मूल रूप से बिहार के मुज़फ़्फ़रपुर ज़िले में स्थित तिलहर की रहने वाली हैं।
नौसेना दिवस पर समारोह में लगाया जाएगा बैज
फिलहाल शिवांगी स्वरूप केरल के कोच्चि में अपनी पायलट ट्रेनिंग ले रही हैं। इस युवा महिला ऑफिसर को 4 दिसम्बर को नौसेना दिवस पर होने वाले समारोह में बैज लगाया जाएगा। शिवांगी नौसेना कोच्चि में ऑपरेशन ड्यूटी में शामिल होंगी। वे फिक्स्ड-विंग डोर्नियर सर्विलांस विमान उड़ाएंगी। उल्लेखनीय है कि ये विमान अक्सर कम दूरी के समुद्री मिशन पर भेजे जाते हैं। इसमें एडवांस सर्विलांस, रडार, नेटवर्किंग और इलेक्ट्रॉनिक सेंसर लगे होते हैं। भारतीय नेवी ऑफिसर शिवांगी को जून 2018 में वाइस एडमिरल एके चावला ने औपचारिक तौर पर नौसेना में शामिल किया था।
एम.टेक के दौरान पास की एसएसबी की परीक्षा
शिवांगी स्वरूप के एजुकेशन के बारे में बात करें तो उन्होंने वर्ष 2010 में डीएवी पब्लिक स्कूल से सीबीएसई 10वीं बोर्ड की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की। उन्होंने इस परीक्षा में 10 सीजीपीए प्राप्त किया था। इसके बाद उन्होंने साइंस स्ट्रीम से पढ़ाई करते हुए 12वीं क्लास पास की और फिर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। एम.टेक में एडमिशन लेने के कुछ समय बाद ही वे एसएसबी की परीक्षा में पास हो गयी और नेवी में सब लेफ्टिनेंट के रूप में चयनित हुईं। कड़ी ट्रेनिंग लेने के बाद उन्हें नेवी की पहली महिला पायलट के रूप में चयनित किया गया।
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नौसेना की पहली महिला डिफेंस अताशे हैं कराबी गोगाई
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि असम की रहने वाली कराबी गोगोई नौसेना की पहली महिला डिफेंस अताशे हैं। उन्हें दूसरी महिला सैन्य राजनयिक के रूप में असिस्टेंट नेवी अताशे नियुक्त किया गया है। असिस्टेंट लेफ्टिनेंट कमांडर गोगोई की अगले माह रूस में तैनात की जाएंगी। फिलहाल वे कर्नाटक के करवार बेस पर रूसी भाषा में कोर्स कर रही हैं। गोगोई युद्धपोत के निर्माण और उनकी मरम्मत में काफ़ी लंबा अनुभव भी है। उनसे पहले विंग कमांडर अंजलि सिंह भारत की पहली महिला डिप्लोमैट बनी थीं।