सिने पर्दे पर अपनी डायलॉग डिलीवरी से कई दशकों तक दर्शकों के दिलों पर राज करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा 9 दिसंबर को अपना जन्मदिन मना रहे हैं। शत्रुघ्न का जन्म आज ही के दिन 1945 को बिहार के पटना में हुआ था। शत्रुघ्न ने फिल्म इंडस्ट्री में साल 1969 में आई फिल्म साजन से अपनी अभिनय पारी की शुरुआत की थी। इस फिल्म की सफलता के बाद शत्रुघ्न ने कभी पलटकर नहीं देखा और जल्द ही फिल्म इंडस्ट्री में उनकी पहचान बतौर कामयाब अभिनेता के रूप में होने लगी। जन्मदिन के इस खास मौके पर आइए एक नजर डाले उनके सिने सफर के कुछ यादगार डायलॉग्स पर।
“अब तक तेरी जुंबान तुझसे सवाल पूछ रही थी, लेकिन अब जवाब देगी तेरी जुबान और सवाल करेगा हमारा इंतकाम”- दिल तेरा दिवाना
“आजकल जो जितना ज्यादा नमक खाता है…उतनी ही ज्यादा नमक हरामी करता है।”–असली नकली
“पहली गलती माफ कर देता हूं, दूसरी बर्दाश्त नहीं करता।”–असली नकली
“मैं तेरी इतनी बोटियां करूंगा…कि आज गांव का कोई भी कुत्ता भूखा नहीं सोएगा।”–जीने नहीं दूंगा
“खामोश…”
“जब दो शेर आमने सामने खड़े होते हैं…तो भेड़िए उनके आसपास खड़े नहीं रहते।”–बेताज बादशाह
“जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं…जिस राख से बारूद बने, उसे विश्वनाथ कहते हैं।”-विश्वनाथ
“तुम्हारा गुड भी अच्छा…बैड भी अच्छा”- रक्त चरित्र
“अमीरों से गरीबों की हड्डियां तो चबाई जा सकती है”…उनके घर की रोटी नहीं-हम से ना टकराना
“जिंदगी इंसान को लाती है, मौत ले जाती है…य़े शराब बीच में कहां आती है”- नसीब
“अबे साले घौंचू”
“हम वो पंडित है जो शादी भी करते हैं, और श्राध्द भी”-बेताज बादशाह
“जिनके बदन कागज के होते हैं वो अगनी देवता की पूजा नहीं करते।”
“न्याय और धर्म के लिए युध्द करना हिंसा नहीं…वीरता है”-महाभारत
“बिल्ली के नाखुन बढ़ जाने से…बिल्ली शेर नहीं बन जाती”-आन
“औरत पर हाथ उठाना…नामर्द की पहली निशानी है”-आन
“वक्त है…वक्त से पहले संभल जाओ”- आन
“अपने देश में लड़कियां कपड़े उतारकर नहीं…बल्कि पहनकर खूबसूरत लगती है”-नसीब
“मर्द के बच्चे औरत के दामन से नहीं…शेर के पंजो से खेला करते है”-कालीचरण
“हमें जो चीज पसंद आ जाए…पहले हम हाथ जोड़कर मांगते हैं..और अगर ना मिले तो, हाथ तोड़कर ले लेते हैं।”