केंद्रीय सतर्कता आयोग यानि सीवीसी ने सरकारी अधिकारियों के अपनी सेवानिवत्ति के तत्काल बाद निजी सेक्टर में नौकरी शुरू कर देने को लेकर चिंता जाहिर की। सीवीसी ने बृहस्पतिवार को कहा कि सेवानिवृत्त अधिकारियों का अनिवार्य ‘कूलिंग ऑफ पीरियड’ पूरा किए बिना निजी संस्थानों में नौकरी स्वीकार करना गंभीर कदाचार है। सीवीसी ने आदेश में कहा गया है कि देखने में आया है कुछ अवसरों पर सरकारी संस्थाओं से सेवानिवृत्ति के तत्काल बाद अधिकारी निजी क्षेत्र की संस्थाओं में पूर्णकालिक या करार पर नौकरी करने लगते हैं। अक्सर, संबंधित संस्थाओं द्वारा बनाए गए कूलिंग ऑफ पीरियड संबंधी नियमों पर ऐसे प्रस्ताव देने से पहले गौर नहीं किया जाता है। सेवानिवृत्त सरकारी अधिकारियों द्वारा सेवानिवृत्त होने के बाद कूलिंग ऑफ पीरियड का पालन न कर नौकरी हासिल करना गंभीर कदाचार है।
उचित कार्रवाई के लिए सरकारी संस्थान बनाएं नियम
सीवीसी ने कहा है कि सभी सरकारी संस्थानों को अपने कर्मचारियों के लिए उचित नियम और दिशानिर्देश बनाने चाहिए ताकि वे सेवानिवृत्ति के बाद अनिवार्य कूलिंग ऑफ पीरियड पूरा करने से पहले निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं कर सकें। नियमों और दिशानिर्देशों में कूलिंग ऑफ पीरियड के दौरान निजी क्षेत्र की संस्थाओं से प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले अनुमति लेने की प्रक्रिया यदि शामिल नहीं है तो इसका प्रावधान किया जाए। पहले से लागू सेवा या आचार नियमों को भी यह सुनिश्चित करने के लिए संशोधित किया जाए ताकि आवश्यकता पड़ने पर इसका उल्लंघन करने वाले सेवानिवृत्त कर्मचारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जा सके।
सरकारी संस्थान भी लें सतर्कता मंजूरी
सीवीसी ने यह भी कहा है कि सभी सरकारी संस्थाओं को बाबूओं को सेवानिवृत्ति के बाद नौकरी का प्रस्ताव देने से पहले अनिवार्य रूप से सतर्कता मंजूरी लेनी चाहिए। आदेश में कहा गया है कि सरकारी संस्थानों के सेवानिवृत्त कर्मचारियों या अधिकारियों को अपने यहां पूर्णकालिक आधार पर नौकरी देने से पहले उन्हें सेवानिवृत्ति देने वाली सरकारी संस्थानों से सतर्कता जानकारी लेने का कोई तय प्रावधान नहीं है। ऐसे किसी प्रावधान की अनुपस्थिति में कई बार दागी या लंबित मुकदमों वाले कर्मचारी या अधिकारी भी दोबारा नौकरी पाने में सफल हो जाते हैं।
सरकार ने कोरोना से माता-पिता को खोने वाले बच्चों की देखभाल के लिए जारी किए दिशा-निर्देश