कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता ‘भारती’ की इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा हत्या पर जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल जीसी मुर्मू के सख्त रुख के बाद पुलिस महकमे ने सुरक्षा बढ़ाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए घाटी में रहने वाले कश्मीरी पंडितों के साथ ही अन्य अल्पसंख्यकों का भी ब्यौरा जुटाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, घाटी के विभिन्न जिलों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों और अन्य अल्पसंख्यकों के बारे में जानकारी जुटाने को कहा गया है। इसके साथ ही इनके धर्मस्थल तथा अन्य महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में भी ब्यौरा मांगा गया है।
मृतक सरपंच के परिवार से राज्यपाल ने किया संवाद
आपको बता दें कि एकमात्र कश्मीरी पंडित सरपंच अजय पंडिता की हत्या से पहले श्रीनगर में अमर कौल मंदिर तथा शिया समुदाय के एक धर्मस्थल पर भी हमले हुए थे, जिन्हें गंभीरता से लिया गया है। यह आशंका जताई जा रही है कि पाकिस्तान के इशारे पर अल्पसंख्यकों पर हमले कर फिर से घाटी का माहौल बिगाड़ा जा सकता है। जानकारी के अनुसार, राज्य के उपराज्यपाल जीसी मुर्मू ने घाटी में मारे गए सरपंच अजय पंडिता के परिवारजनों से संवाद किया और उन्हें तत्काल राहत उपलब्ध कराई।
गांवों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं
बता दें कि कश्मीर घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए बने ट्रांजिट कैंप में सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं। गांदरबल, शेखपोरा (बडगाम) व वेसू (अनंतनाग) में बने ट्रांजिट कैंप में माइनॉरिटी पिकेट हैं, लेकिन गांवों में रहने वाले कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं। करीब दो साल पहले तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक के कार्यकाल में सुरक्षा समीक्षा के बाद कई राजनीतिक कार्यकर्ताओं तथा अन्य लोगों से सुरक्षा हटा ली गई थी। उस दौरान कुछ गांवों में तैनात पुलिसकर्मियों को भी हटा लिया गया था।
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प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त कर्मचारियों में दहशत
घाटी में कश्मीरी पंडित समेत अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे हमलों के बाद प्रधानमंत्री पैकेज के तहत नियुक्त होने वाले सरकारी कर्मचारी दहशत में हैं। कश्मीर घाटी के विभिन्न जिलों में नियुक्त लगभग 3000 कर्मचारी अब अपनी जम्मू में तैनाती चाहते हैं। इन कर्मचारियों का कहना है कि असुरक्षित माहौल में कश्मीर वैली में काम करना मुश्किल हो गया है। यहां आए दिन किसी अनहोनी की आशंका बनी रहती है।