ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए साइंटिस्ट ने बनाई डिवाइस, जानें कैसे काम करती है तकनीक

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हालिया वर्षों में ध्वनि प्रदूषण तेजी के साथ बढ़ा है। पिछले कुछ वर्षों से मोटर गाड़ियों, स्वचालित वाहनों, लाउडस्पीकरों, कल-कारखानों एवं मशीनों का उपयोग अधिक होने लगा है। इनसे निकलने वाली आवाज इंसान और जीव-जंतुओं को परेशान करने के साथ-साथ बहरेपन की ओर ले जा रही हैं। तेजी से बढ़ रहे इस ध्वनि प्रदूषण से निपटने के लिए अब वैज्ञानिकों ने एक खास डिवाइस की खोज की है। वैज्ञानिकों ने दावा किया कि इसकी मदद से ध्वनि प्रदूषण पर लगभग नियंत्रण पाया जा सकेगा। आइए जानते हैं वैज्ञानिकों द्वारा की गई इस डिवाइस की खोज और इसके काम करने के तरीकों के बारे में..

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मैथमेटिक तकनीक का उपयोग करके बनाया गयी है डिवाइस

साइंटिस्ट का कहना है कि एक खुले छल्ले जैसी डिवाइस से ध्वनि प्रदूषण को आसानी के साथ नियंत्रित किया जा सकता है। यह छल्ला मैथमेटिक तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है। वैज्ञानिकों द्वारा ईजाद इस खास तकनीक के माध्यम से हवा के प्रवाह को जारी रखकर वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। अमेरिका की बोस्टन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक कहते हैं कि वर्तमान में ध्वनि प्रदूषण को कम करने वाले बैरीकेट्स हैं जिन्हें हम साउंड बफेल कहते हैं, लेकिन इनकी एक कमी है कि यह वायु के प्रवाह को रोक देते हैं। चूंकि ध्वनि हमें वायु के माध्यम से ही सुनाई पड़ती है इसलिए वायु का प्रवाह रुकने से ध्वनि भी रुक जाती है। ये साउंड बफेल उसके जैसे ही काम करते हैं, जब कान में कोई ऑब्जेक्ट लगा लेने से वायु अंदर नहीं जा पाती जिसकी वजह से बाहर की आवाज भी अंदर नहीं आ पाती है।

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मैथमेटिक का उपयोग करके एकॉस्टिक मेटामैटेरियल किया तैयार

हालिया प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक़ साइंटिस्ट ने मैथमेटिक का उपयोग करके एकॉस्टिक मेटामैटेरियल यानी ध्वनिक मेटामेट्री का एक डिजाइन तैयार किया था। बता दें, एकॉस्टिक मेटामैटेरियल एक ऐसी सामाग्री है जिसके माध्यम से ध्वनि तरंगों को नियंत्रित और निर्देशित किया जा सकता है। इसके साथ ही तरंगो में बदलाव भी किया जा सकता है। रिसचर्स ने उन आयामों और विशिष्टताओं की गणना की जिसके जरिए मेटामैटेरियल को ध्वनि तरंगो में बेहतर तरीके से हस्ताक्षेप करने में मदद मिल सके। इससे खुले वातावरण में केवल ध्वनि को फैलने से रोका जा सके, जबकि हवा का संचार वैसे ही चलता रहे। रिसचर्स ने बताया कि इसका मूल आधार यह था कि मेटामैटेरियल को इस तरह से डिजाइन किया जाए जिससे ध्वनि तरंगों को उसी जगह वापस भेजा जा सके जहां से वह उत्पन्न हो रही हैं। रिसचर्स बड़ी मेहनत के साथ यह करने में कामयाब रहे और उन्होंने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए यह डिवाइस ईजाद कर दी।

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डिवाइस 90 प्रतिशत से अधिक तक कम कर देती है ध्वनि प्रदूषण

साइंटिस्ट ने बताया कि उन्होंने इस ध्वनि प्रदूषण नियंत्रक डिवाइस का खुले और बंद दोनों वातावरण में प्रयोग कर देखा। इसके बाद यह पता लगाया जा सका कि इस डिवाइस के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण को 94 फीसद तक कम किया जा सकता है। अमेजन जैसी बड़ी कंपनियां ड्रोन के माध्यम से होम डिलीवरी करने की योजना बना रही हैं। वहीं, लोगों की शिकायत है कि ड्रोन से बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण होता है। ऐसे में साइंटिस्ट का कहना है कि उनकी इस डिवाइस से ड्रोन व अन्य वाहनों की आवाज कम करने में भी मदद मिल सकेगी।

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रिसचर्स ने इस तरह ईजाद की डिवाइस

साइंटिस्ट ने अपने परीक्षण के दौरान एक ऐसा स्ट्रक्चर बनाया जो लाउडस्पीकर से निकलने वाली ध्वनि को रोक सके। उन्होंने अपनी गणना के आधार पर उन भौतिक आयामों का मॉडल तैयार किया। फिर उन्होंने उस मॉडल को थ्री-डी प्रिंटिंग से प्लास्टिक के जरिए जरुरत के हिसाब से आकार दिया। रिसचर्स ने लाउडस्पीकर के मुख्य सिरे पर उस डिवाइस को लगा दिया। इसके बाद जैसे ही लाउडस्पीकर को तेज वॉल्यूम में चलाया गया तो बहुत ही धीमी केवल एक इंसान के सुनने लायक आवाज ही सुनाई पड़ी।

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इन शोधकर्ताओं ने बताया कि मेटामैटेरियल की डिवाइस उन ध्वनि तरंगो को बाहर निकलने से रोकने का काम कर रही थी। डिवाइस उन तरंगों को वापस उसी दिशा में भेज रही थी जहां से वह निकल रहीं थीं। इसके बाद डिवाइस बनाने वाले रिसचर्स ने जैसे ही डिवाइस को हटाया तो वहां लाउडस्पीकर से अचानक बहुत तेज आवाज आ रही थीं। रिसचर्स द्ववारा इस तकनीक की खोज से आगे बहुत फायदा होने वाला है। जिन क्षेत्रों या जगहों पर ज्यादा ध्वनि प्रदूषण होता है वहां इनका उपयोग कर इसे कम किया जा सकेगा।

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