जब भी भारतीय फिल्मी दुनिया का जिक्र किया जाता है तो देश के सबसे महान फिल्मकार सत्यजीत रे का नाम जरूर आता है। एक चित्रकार के तौर पर अपना सफर शुरू करने वाले रे भारतीय सिनेमा के इतिहास में महान डायरेक्टर कहलाए। वो कई कलाओं के धनी थे और हर काम बड़ी शिद्दत से करते थे। सत्यजीत रे साहब की 23 अप्रैल को 31वीं डेथ एनिवर्सरी है। इस खास अवसर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें..
लंदन में फिल्म देखकर डायरेक्टर बनने की ठान ली
सत्यजीत रे का जन्म 2 मई, 1921 को कला और साहित्य की भूमि कोलकाता, पश्चिम बंगाल में हुआ था। चित्रकार बनने निकले सत्यजीत का मुकाम तब बदल गया, जब उन्होंने लंदन में इतालवी फिल्म ‘लाद्री दी बिसिक्लेत’ यानि फिल्म ‘बाइसिकल चोर देखी’ और उसी दिन उन्होंने फिल्म डायरेक्टर बनने की ठान ली।
रे की पहली फिल्म थी ‘पथेर पांचाली’
डायरेक्टर बनने के सफर पर निकले सत्यजीत रे ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ ही समय में वो भारत के सबसे बड़े फिल्म डायरेक्टर बनकर उभरे। अपनी पहली फिल्म ‘पथेर पांचाली’ के बाद रे ने एक से बढ़कर एक फिल्मों की लाइन लगा दी।
वर्ष 1992 में मिला था ऑस्कर अवार्ड
कुछ समय में ही सत्यजीत रे की फिल्में हर तरफ पसंद की जाने लगी, जिसके बाद उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों के अलावा 11 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिले। रे को ‘भारतीय सिनेमा का गॉडफादर’ कहा जाता है। 23 अप्रैल 1992 को कोलकाता में उन्होंने आखिरी सांस ली और इस महान कलाकार-निर्देशक ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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