साक्षी मलिक ने ओलंपिक मेडल जीतकर रचा था इतिहास, बस कंडक्टर हैं पिता

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भारत की फ्रीस्टाइल कुश्ती पहलवान (Wrestler) और ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल विनर साक्षी मलिक 3 सितंबर को अपना 30वां जन्मदिन मना रही हैं। उन्होंने वर्ष 2016 के रियो ओलंपिक में 58 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक अपने नाम कर रिकॉर्ड बनाया था। साक्षी ने ओलंपिक में पदक जीतकर रेसलिंग में पहली भारतीय महिला पदक विजेता होने का गौरव हासिल किया। साथ ही वह देश की चौथी महिला ओलंपिक पदक विजेता भी बनीं। इसके बाद उन्हें कई बड़े सम्मानों से सम्मानित किया गया। साक्षी ने हाल में बर्मिंघम काॅमनवेल्थ गेम्स में भारत को पदक दिलाया था। इस खास मौके पर जानिए उनकी अबतक की जीवन यात्रा के बारे में…

साक्षी को बचपन से था कुश्ती के प्रति जुनून

रेसलर साक्षी मलिक का जन्म 3 सितंबर, 1992 को हरियाणा राज्य के रोहतक जिले स्थित मोखरा गांव में हुआ था। उनके पिता सुखबीर मलिक दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन में बस कंडक्टर और मां सुदेश मलिक सरकारी स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी हैं। वह अपने दादा बदलु राम, जोकि खुद एक पहलवान थे उन्हें देखकर बचपन से ही कुश्ती के लिए प्रेरित हुईं। साक्षी ने 12 साल की उम्र में रोहतक के छोटू राम स्टेडियम के एक अखाड़े में ईश्वर दहिया से कुश्ती में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। हालांकि, शुरूआत में कई लोगों ने कोच के लड़कियों को कुश्ती के गुर सिखाने का विरोध किया, लेकिन बाद में धीरे-धीरे हालात सामान्य हो गए।

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रेसलिंग में ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली महिला

पहलवान साक्षी मलिक का पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट वर्ष 2010 में जूनियर विश्व चैम्पियनशिप था, जिसमें उन्होंने कांस्य पदक जीता था। इसके बाद साल 2014 में उन्होंने डेव शुल्ज रेसलिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक अपने नाम किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वर्ष 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ में साक्षी ने देश को कुश्ती में रजत पदक दिलाया। साल 2015 में दोहा में हुई सीनियर एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता। वर्ष 2018 के गोल्ड कोस्ट कॉमनवेल्थ खेलों में उसने कांस्य पदक जीता। साक्षी के लिए 2016 का रियो ओलंपिक यादगार रहा, इसमें उन्होंने देश को महिला कुश्ती में पहला कांस्य पदक दिलाया था।

भारतीय रेलवे में बतौर अधिकारी कार्यरत है साक्षी

प्रसिद्ध महिला रेसलर साक्षी मलिक रोहतक के महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से शारीरिक शिक्षा में मास्टर डिग्री होल्डर हैं। उन्हें यूनिवर्सिटी में सितंबर 2016 में कुश्ती निदेशक के पद पर नियुक्त किया गया था। साक्षी वर्तमान में भारतीय रेलवे के उत्तर-पश्चिम जोन में दिल्ली डिवीजन के वाणिज्यिक विभाग में कार्यरत हैं और JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम का भी एक हिस्सा है। इस महिला रेसलर को रियो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद वरिष्ठ क्लर्क पद से राजपत्रित अधिकारी रैंक में पदोन्नत किया गया।

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रेसलर सत्यव्रत कादियान से रचाई शादी

पहलवान साक्षी मलिक 2 अप्रैल, 2017 को हरियाणा के रोहतक में भारतीय पहलवान सत्यव्रत कादियान के साथ शादी के बंधन में बंध गई। दोनों का फिलहाल पूरा ध्यान खेल पर है, ​इसलिए अभी तक फैमिली बढ़ाने का कोई प्लान सामने नहीं आया है। गौरतलब है कि रियो ओलंपिक की पदक ​विजेता साक्षी साल 2021 में टोक्यो ओलंपिक- 2020 के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाई थी।

‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित हैं साक्षी

ओलंपिक पदक विजेता साक्षी मलिक को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2017 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया। इससे पहले साक्षी को ओलंपिक गेम्स में पदक जीतने के बाद साल 2016 में खेलों के सर्वोच्च ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ से नवाज़ा गया था। इस पुरस्कार का नाम बदलकर ‘मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड’ कर दिया गया है। साक्षी मलिक ने हाल में बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेल-2022 में शानदार प्रदर्शन करते हुए अपने भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता था।

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