17 अप्रैल की सुबह जब भोपाल के भाजपा कार्यालय के बाहर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की उसी दिन से देश की राजनीति में भाजपा की हिंदुत्ववादी राजनीति के एजेंडे का सूरज दिखने लगा। कुछ ही देर बाद भारतीय जनता पार्टी ने ठाकुर को भोपाल से दिग्विजय सिंह के सामने अपना उम्मीदवार घोषित कर इस बात पर मुहर लगा दी।
साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को टिकट मिलने की जितनी चर्चा हुई उससे कहीं ज्यादा उनके बयान अखबारों और टीवी की सुर्खियां बनें। ध्रुवीकरण और हिंदुत्व के शब्दों में लिपटी साध्वी की जुबान हर दूसरे दिन कोई नया विवाद खड़ा करने लगी। साध्वी के बयान और चुनाव आयोग का नोटिस भेजना, कुछ दिनों बाद यह सिलसिला अब मानो हर किसी को सामान्य सा लगने लगा लेकिन साध्वी हैं कि मानती नहीं!
ताजा बयान जिससे मचा है बवाल
अब ताजा विवाद छिड़ा है साध्वी प्रज्ञा के नाथूराम गोडसे वाले बयान पर जिसमें ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताते हुए साध्वी बोली “नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे। उन्हें हिंदू आतंकवादी बताने वाले अपने गिरेबान में झांककर देखें। अबकी बार चुनाव में ऐसे लोगों को जवाब दे दिया जाएगा”। बयान सामने आते ही पूरे देश के राजनीतिक माहौल में एक नई बहस छिड़ गई ।
शाम होते-होते पार्टी ने बयान से किनारा कर लिया और दिन ढ़लते-ढ़लते साध्वी प्रज्ञा ने माफी मांग कर पार्टी की हां में हां मिलाई। यह पहली बार नहीं है जब साध्वी की जुबान फिसली हो, इससे पहले भी प्रज्ञा ठाकुर ने कुछ ऐसे बयान दिए जिनके लिए उनको फजीहत का सामना करना पड़ा।
चुनाव को बताया धर्मयुद्ध
टिकट मिलते ही साध्वी प्रज्ञा से जब अपनी चुनावी चुनौती के बारे में पूछा गया तो दिग्विजय सिंह के नाम पर उनका कहना था कि वो मेरे लिए कोई चुनौती नहीं हैं। यह धर्मयुद्ध है और हम इसे जीतकर रहेंगे।
बाबरी मस्जिद को तोड़ने का दावा किया
अयोध्या के राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद पर बोलते हुए साध्वी ने कहा, ‘मैं अयोध्या गई थी। मैंने वहां के ढांचे को तोड़ा था। मैं वहां जाकर राम मंदिर निर्माण में भी मदद करूंगी। कोई हमें ऐसा करने से नहीं रोक सकता। ‘राम राष्ट्र हैं, राष्ट्र राम है।’ जिसके बाद उन्हें चुनाव आयोग के नोटिस का सामना करना पड़ा।
हेमंत करकरे की मौत की वजह खुद का श्राप बताया
साध्वी प्रज्ञा ने मालेगांव हमले में शहीद हुए आईपीएस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर कहा, “हेमंत करकरे ने मुझे मालेगांव ब्लास्ट मामले में झूठे आरोप में फंसाया और मेरे साथ जानवरों की तरह बर्ताव किया। मैंने उससे कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने तक सूतक लगा, जिस दिन मैं गई थी उस दिन से ही उसको सूतक लग गया था। ठीक सवा महीने में आतंकवादियों ने उसको मारा, उस दिन उसका अंत हुआ”।
हर बार की तरह इस बार भी भाजपा ने इस बयान को उनका निजी बताकर अपना पल्ला झाड़ा झाड़ लिया ।