किस घोटाले के दाग लगे हैं राहुल गांधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा पर, पूरा मामला यहां समझिए

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देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के राजनीतिक वारिस राहुल गांधी और उनकी बहन प्रियंका गांधी एक बार फिर सुर्खियों में है। लोकसभा चुनाव को देखते हुए जहां राहुल गांधी सरकार पर अटैकिंग मोड में हैं तो कल पूरे दिन प्रियंका गांधी भी हर जगह छाई रही। जी हां, मौका था प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने का।

कांग्रेस आलाकमान ने प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के दरवाजे से राजनीति में एंट्री दिलवाई है। ऐसे में अब प्रियंका चुनाव लड़ेंगी या नहीं ये अभी असमंजस वाली स्थिति में है, लेकिन एक बात जरूर है कि चर्चे हर जगह प्रियंका गांधी के हैं, कोई उन्हें इंदिरा रिटर्न्स कह रहा है तो कुछ उनकी निजी जिंदगी के पन्नों को पलट रहे हैं।

अब निजी जिंदगी की बात करें तो प्रियंका के पति या सोनिया गांधी के दामाद या राहुल गांधी के जीजाजी या फिर कारोबारी (जिन्हें विरोधी देश के जीजा जी भी कहते हैं) रॉबर्ट वाड्रा (सारे परिचय एक ही व्यक्ति के हैं।) की बात जरूर होती है।

रॉबर्ट वाड्रा काफी वजहों से सुर्खियों में रहते हैं। रॉबर्ट वाड्रा बीकानेर के एक जमीन घोटाले को लेकर काफी समय से चर्चा में हैं। रॉबर्ट वाड्रा पर आरोप हैं कि लोगों ने बीकानेर में जमीन खरीदकर उसे मोटे दाम में बेच दिया जिसके बाद प्रवर्तन निदेशालय की नजर इस पर पड़ी और रॉबर्ट पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया।

तो चलिए आज हम आपको बताते हैं क्या था पूरा मामला जिसको लेकर रॉबर्ट वाड्रा को हमेशा मीडिया निशाने पर लेता रहता है।

क्या मामला है ?

रॉबर्ट वाड्रा को लेकर जिस घोटाले का जिक्र किया जाता है वो हरियाणा-कैडर के आईएएस अधिकारी अशोक खेमका, वाड्रा और उनकी कंपनी के आसपास घूमता है। वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने अपने कुछ लोगों के जरिए मानेसर के पास शिकोहपुर गांव में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। उसी प्लॉट को बाद में भारी मुनाफे पर डीएलएफ को बेच दिया गया था।

तहलका मैग्जीन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वाड्रा की कंपनी ने लगभग 7 करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेच दिया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसकी खरीदने और बेचने के बीच के समय में राज्य में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली सरकार थी। सरकार पर आरोप हैं कि उसने जमीन के लिए भूमि उपयोग परिवर्तन (सीएलयू) की अनुमति दी। सीएलयू की अनुमति के कारण, रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन के भाव इतने तेजी से बढ़े।

विभिन्न अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए, खेमका ने 2012 के आखिर में, वाड्रा द्वारा डीएलएफ को बेची गई इस जमीन के मसले को अलग रखा। हालाँकि, तत्कालीन कांग्रेस की राज्य सरकार ने बाद में वाड्रा को क्लीन चिट दे दी थी।

बाद में क्या हुआ ?

जब राजस्थान में 2013 में बीजेपी सत्ता में आई तो रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जांच शुरू हुई। जांच में तहसीलदार ने बताया कि जमीनी की खरीद और बिक्री में गलत तरीके का इस्तेमाल हुआ है। साल 2014 में केस फाइल हुआ। बीकानेर के गजनेर थाने में 16 केस और कोलायत थाने में 2 केस। राजस्थान पुलिस की जांच को ईडी ने भी माना और संज्ञान लेते हुए साल 2015 में वाड्रा पर प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग ऐक्ट के तहत केस फाइल किया जिसमें उन लोगों पर केस बनता है जो काली कमाई को सफेद करने की कोशिश करते हैं।

रॉबर्ट वाड्रा का क्या कहना है ?

कांग्रेस और रॉबर्ट वाड्रा शुरू से ही इस आरोप को नकारते रहे हैं। ईडी संज्ञान लेने के बाद से ही रॉबर्ट वाड्रा से इस केस में पूछताछ करने के लिए कई बार समन भेज चुका है। मगर वाड्रा इस मामले में हर बार राजस्थान हाईकोर्ट से स्टे लाकर बच निकलते हैं। ईडी का कहना है कि उनके पास इस मामले को लेकर कई सबूत हैं और वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी से जुड़े 12 और लोगों का नाम भी इसमें शामिल है।

अब क्या चल रहा है ?

अब वापस लोकसभा चुनाव का मौका है, ऐसे में कांग्रेस ने रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी और सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका गांधी को मैदान में उतारा है। जहां बीजेपी आने वाले समय में वाड्रा के जरिए कांग्रेस पर हमला तेज कर सकती है वहीं कांग्रेस प्रियंका गांधी के नाम पर वोटबैंक तैयार करने की फिराक में है।

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