आजकल हर दूसरे मोबाइल गेम लवर को PUBG (प्लेयर अननोन्स बैटल ग्राउंड) खेलते देखा जा सकता है। इस गेम का बुखार लोगों में जबरदस्त है। हाल में इस प्रसिद्ध मोबाइल गेम पीयूबीजी पर गुजरात में प्रतिबंध को लेकर विवाद खड़ा हो गया था। गेम की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कुछ महीने पहले बीसीसीआई ने भारतीय क्रिकेट के कुछ सदस्यों की एयरपोर्ट पर PUBG खेलते हुए तस्वीर व वीडियो अपलोड की थी। बड़ी संख्या में युवाओं को इस गेम की ऐसी लत लगी है कि अब एक दिन में कई घंटे गेम खेलकर बिताते हैं। इसी बीच पीयूबीजी पर एक रिसर्च रिपोर्ट आई है। इसके साथ ही सिगरेट और गांजा जैसे हानिकारक पदार्थों पर भी अध्ययन में बताया गया है। आइये जानते हैं वीडियो गेम्स और सिगरेट पर आई हालिया रिपोर्ट क्या कहती है..
40 फीसदी की PUBG और सिगरेट पर यह चाह
मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, लगभग 40 प्रतिशत भारतीय चाहते हैं कि सिंगरेट, ई-सिगरेट, गांजा, हिंसक वीडियो गेम्स और ऑनलाइन जुआ पर पूर्ण प्रतिबंध हो। अध्ययन में कहा गया है कि लगभग 45 फीसदी भारतीय महसूस करते हैं कि ई-सिगरेट और वैपिंग डिवाइसेस का इस्तेमाल अगले 10 वर्षों में बढ़ेगा। रिसर्च में सामने आया कि 68 प्रतिशत प्रतिभागियों ने संयम के साथ सोशल मीडिया के उपयोग का समर्थन किया। वहीं, 62 प्रतिशत ने पैकेटबंद नमकीन का संयम के साथ उपभोग का समर्थन किया, जबकि 57 प्रतिशत शहरी भारतीयों ने संयम के साथ मीठे सॉफ्ट ड्रिंक के उपयोग का समर्थन किया।
नवंबर और दिसंबर में किए सर्वे पर आधारित रिपोर्ट
इप्सोस पब्लिक अफेयर्स, कॉरपोरेट रिपुटेशन एंड कस्टमर एक्सपीरियंस में सर्विस लाइन लीडर पारिजात चक्रवर्ती ने एक बयान में कहा कि दोष को ज्यादातर सामाजिक कलंक के रूप में परिभाषित किया जाता है और सर्वे इस बात को सत्यापित करता है कि क्या सामाजिक रूप से स्वीकार्य है और क्या स्वीकार्य नहीं है, खेल के नियम बदलने वाले नहीं लगते।
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इप्सोस हेल्थकेयर इंडिया में कंट्री सर्विस लाइन हेड मोनिका गंगवानी का कहना है कि चाकलेट, नमकीन और मीठे सॉफ्ट पेय के लिए भी संयम जरूरी है। इन चीजों के अधिक इस्तेमाल से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और इससे मोटापा, रक्तचाप और मधुमेह जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
अध्ययन में कहा गया है कि मात्र 36 फीसदी भारतीय महसूस करते हैं कि गांजा का चिकित्सा महत्व है। रिसर्च में पाया गया कि लगभग 39 प्रतिशत भारतीय इस बात से सहमत हैं कि गांजा चिकित्सा उपयोग के लिए वैध होना चाहिए। ये सभी परिणाम भारत में 26 नवम्बर से सात दिसंबर 2018 तक के बीच करीब 1000 लोगों पर किए गए एक सर्वेक्षण पर आधारित है।