देश में कम उम्र में होने वाले विवाहों में भारी गिरावट देखने को मिल रह रही है। ख़ासकर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर बढ़ने से अब अधिकतर परिवार अपने बच्चों की कम उम्र में शादी करने से बच रहे हैं। सरकार का भी इस बात पर जोर है कि किसी भी स्थिति में बाल विवाह नहीं हो पाए। इसका असर यह हुआ कि अब किशोरियों की विवाह दर में भारी कमी आई है। यूके के ‘सेव द चिल्ड्रन’ एनजीओ की सालाना ग्लोबल चाइल्डहुड रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि भारत में वर्ष 2000 से अब तक 15 से 19 साल की लड़कियों की विवाह दर में 51 फीसदी की गिरावट आई है।
सेहत, शिक्षा, श्रम और शादी जैसे मानकों पर स्थिति बेहतर
‘सेव द चिल्ड्रन’ एनजीओ की सालाना ग्लोबल चाइल्डहुड रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि बच्चों की सेहत, शिक्षा, श्रम और शादी जैसे मानकों पर भी देश की स्थिति पहले से कई गुना बेहतर हुई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत बच्चों और किशोरों से जुड़े अधिकतर क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन किया है। पिछले 19 सालों में देश में किशोरों के माता-पिता बनने की दर में भी 63 प्रतिशत की कमी आई है। 1990 के मुकाबले यह गिरावट करीब 75 फीसदी की है। इसी कारण इंडेक्स में भारत का स्कोर 632 से बढ़ाकर 769 किया गया। भारत की इस इंडेक्स में पहले से कुल 137 अंकों की बढ़ोतरी हो गई है।
किशोरियों के मां बनने की संख्या में 20 लाख की कमी
कम उम्र या अर्धवयस्क किशोरियों की शादी में भारी कमी से कई अच्छे नतीजे सामने आ रहे है। इसकी कमी से किशोरियों के मां बनने की संख्या में करीब 20 लाख की कमी आई है जोकि अपने आप में बड़ा सुधार दिख रहा है। सन् 2000 में जहां 35 लाख किशोरियां हर साल मां बनती थीं, वहीं फिलहाल यह संख्या घटकर अब 14 लाख पर आ गई है। दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आबादी वाले देश भारत में किशोरियों के मां बनने की दर में कमी का असर यह हुआ है कि अब दुनियाभर में यह संख्या एक-तिहाई तक घट गई है। क्योंकि विश्व में सबसे अधिक कम उम्र में किशोरियों की शादी भारत में ही होती थी।
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इस एनजीओ की रिपोर्ट के मुताबिक़, अगर भारत में किशोरियों का कम उम्र में विवाह में बदलाव नहीं होता तो भारत में करीब 90 लाख किशोरियां अब तक ओर शादीशुदा होतीं। संस्था ने इस रिपोर्ट के लिए 176 देशों में जाकर जानकारी जुटाई। रिसर्च में बच्चों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, पोषण जैसे मानकों को मापा गया। इसके अलावा बाल श्रम और बाल विवाह जैसी कुरीतियों का भी विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले 19 साल में 173 देशों की स्थिति में सुधार आया है।
देश के ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बाल-विवाह बड़ी समस्या
देश में राज्य सरकारें भले ही बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए कई तरह के प्रयास कर रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी स्थिति में बहुत सुधार होना बाकी है। शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में बाल विवाह दर दोगुनी से ज्यादा है। शहरों में किशोरियों के विवाह दर 6.9 फीसदी है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा दोगुना से ज्यादा 14.1 प्रतिशत है। एनजीओ की रिपोर्ट में सामने आया है कि बच्चों का जीवन स्तर सुधारने में भारत ने काफी काम किया है, जो अब दिखने भी लगा है। लेकिन शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच अभी भी अंतर है। ऐसे में जब तक यह अंतर खत्म नहीं हो जाएगा, तब तक समस्या से निपटना आसान नहीं होगा।