अवसर था राष्ट्रपति भवन में उन वीर जवानों को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा शौर्य चक्र पुरस्कार देकर उनकी वीरता को सम्मानित करने का। यह सम्मान उन वीरों को प्रदान किया जाता है, जिन्होंने देश सेवा में अपना अदम्य साहस और शौर्य का प्रदर्शन किया। इन वीर जवानों के बीच एक ऐसा युवा भी सम्मलित था, जिसकी उम्र अभी 17 साल थी और उसे राष्ट्रपति ने शौर्य चक्र से सम्मानित किया। यह लड़का था इरफान रमजान शेख जिसने साहसपूर्वक आतंकियों का सामना किया था।
President Kovind presents Shaurya Chakra to Irfan Ramzan Sheikh. He exhibited courage and maturity and fought off militants, safeguarding the life of his father and other family members in Jammu & Kashmir pic.twitter.com/FVnWkOaOja
— President of India (@rashtrapatibhvn) March 19, 2019
आतंकियों को भागने को मजबूर किया और परिवार को बचाया इरफान ने
जम्मू-कश्मीर में आतंक के गढ़ रहे शोफियां में 14 साल का निहत्था जांबाज इरफान रमजान शेख ने 2017 में उनके घर पर तीन आतंकियों द्वारा किए गये हमले के खिलाफ भिड़ गया और उसे असफल कर दिया।
इरफान के पिता रमजान शेख एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे। 16-17 अक्टूबर (मध्य रात को) को आतंकियों ने उनके घर को घेर लिया और डराने-धमकाने लगे। उसी समय उनके बड़े बेटे इरफान ने जैसे ही घर का दरवाजा खोला तो उसने देखा कि बरामदे में एके-47 राइफल और ग्रेनेड के साथ तीन आतंकी खड़े हुए थे। इरफान ने तुरंत अपनी सूझ-बूझ और साहस का परिचय देते हुए उन्हें अंदर घुसने नहीं दिया।
इसी बीच इरफान के पिता जब बाहर आये तो आतंकियों द्वारा उन पर हमला बोल दिया जिससे वे घायल हो गये। स्थिति को देखते हुए उसने अपने पिता और परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए आतंकवादियों से जा भिड़ा।
आतंकियों द्वारा अंधाधुंध गोलाबारी करने के कारण इरफान के पिता बुरी तरह घायल हो गए। उसने आतंकियों से वीरतापूर्वक मुकाबला करते हुए न केवल पिता पर गोली चलाने वाले आतंकी को बुरी तरह घायल किया बल्कि उन्हें वहां से भागने को मजबूर कर दिया था। ऐसे में वे आतंकी अपने साथी की लाश को वहीं छोड़कर भाग गए।