भारत के सबसे युवा और देश के नौवें प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 78वीं जयंती है। राजीव अपनी मां और पहली भारतीय महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की वर्ष 1984 में हत्या के बाद 40 वर्ष की उम्र में देश के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि, उनकी हत्या अलगाववादी संगठन लिट्टे (एलटीटीई) ने एक चुनावी रैली में करा दी थी। बतौर युवा प्रधानमंत्री राजीव ने अपने कार्यकाल में कई ऐसे फैसले लिए, जिनकी मिसाल आज भी दी जाती है। इस खास मौके पर जानिए उनके जीवन के बारे में कुछ रोचक बातें…
राजीव गांधी का आरंभिक जीवन
देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को बॉम्बे में मशहूर राजनीतिक गांधी-नेहरू परिवार हुआ था। राजीव के जन्मदिन को भारत में हर वर्ष ‘सद्भावना दिवस’ के रूप में मनाया जाता है, जिसे ‘समरसता दिवस’ और ‘राजीव गांधी अक्षय ऊर्जा दिवस’ के तौर पर भी जाना जाता है। उनकी माता पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पिता फिरोज खान गांधी थे। राजीव को पढ़ने के लिए वर्ष 1951 में शिव निकेतन स्कूल में भर्ती कराया गया। बाद में उन्हें वर्ष 1954 में देहरादून के वेल्हम बॉयज़ स्कूल और दून स्कूल में दाखिला कराया। राजीव को वर्ष 1961 में उच्च शिक्षा के लिए लंदन भेज दिया गया।
उन्होंने वर्ष 1962 से 1965 तक ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की, लेकिन डिग्री नहीं लीं। बाद में उन्होंने इंपीरियल कॉलेज लंदन में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई कीं। राजीव गांधी को राजनीति में शुरुआत से ही कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थीं। उनकी रुचि दर्शन, राजनीति या इतिहास में न होकर विज्ञान और इंजीनियरिंग जैसे विषयों में थीं, जिसका बाद में देश को भी फायदा हुआ।
राजीव की हवाई उड़ान में थी दिलचस्पी
वर्ष 1966 में राजीव भारत लौट आए। उनकी दिलचस्पी हवाई उड़ान में अधिक थी इसलिए वह दिल्ली एक फ्लाइंग क्लब के सदस्य बने, जहां उन्हें एक पायलट के रूप में प्रशिक्षित किया गया। यहां से उन्हें वाणिज्यिक पायलट का लाइसेंस प्राप्त हुआ। वर्ष 1970 में वह एयर इंडिया में पायलट के रूप में कार्य करने लगे। कैम्ब्रिज में उनकी मुलाकात इतालवी एडविज एंटोनिया अल्बिना माइनो से हुई, दोनों आपसे में एक-दूजे को पसंद करने लगे। वर्ष 1968 में दोनों ने दिल्ली में शादी कर ली। बाद में एंटोनिया ने अपना नाम बदल सोनिया गांधी रख लिया। उनके एक बेटा राहुल गांधी और एक बेटी प्रियंका हैं। बेटी प्रियंका ने रॉबर्ट वाड्रा से शादी की।
प्रधानमंत्री के रूप में योगदान
राजीव गांधी को राजनीति में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन वर्ष 1980 में एक विमान दुर्घटना में भाई संजय गांधी की मौत हो जाने के बाद उन्हें राजनीति में प्रवेश करने का मौका मिला। उन्हें पहली बार भारतीय राजनीति में मौका तब मिला, जब 4 मई, 1981 को उन्हें अमेठी निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक उम्मीदवार के रूप में कांग्रेस पार्टी द्वारा स्वीकार किया गया। उन्होंने इस उपचुनाव में लोकदल के उम्मीदवार शरद यादव को 2,37,000 मतों के भारी अंतर से हराया। इसके बाद राजीव गांधी ने 17 अगस्त को संसद सदस्य के रूप में शपथ ली थी।
राजीव ने नवंबर 1982 में भारत की मेजबानी में हुए एशियाई खेलों में अहम जिम्मेदारी निभाई थी। उन्होंने इन खेलों के लिए ऐसी व्यवस्था की थी कि बिना किसी रूकावट एवं खामियों के खेल का आयोजन सफलता पूर्वक संपन्न हुआ। राजीव की मां और देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हो जाने के बाद राजीव गांधी को 31 दिसंबर, 1984 को 40 साल की बेहद कम उम्र में प्रधानमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। हालांकि पीएम के रूप में उनका कार्यकाल ज्यादा लंबा नहीं रहा, लेकिन इस दौरान उन्होंने देश के लिए कई बड़े काम किए।
भारत में डिजिटल क्रांति लेकर आए
राजीव गांधी को भारत में दूरसंचार क्रांति लाने का श्रेय है। उनकी पहल पर अगस्त 1984 में भारतीय दूरसंचार नेटवर्क की स्थापना के लिए सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) की स्थापना हुई। उन्हें डिजिटल इंडिया का आर्किटेक्ट और सूचना तकनीक और दूरसंचार क्रांति का जनक कहा जाता है।
उन्होंने देश में तकनीक के प्रयोग को बढ़ाने पर बल दिया। उन्होंने भारत में कंप्यूटर के व्यापक प्रयोग पर जोर दिया। इसके लिए उन्हें कई प्रकार के विरोधों और आरोपों का सामना करना पड़ा। उनके कार्यकाल में वर्ष 1989 में संविधान के 61वें संशोधन द्वारा मतदान करने की उम्र 21 साल से घटाकर 18 साल की गई। 18 वर्ष की उम्र के युवाओं को मताधिकार देकर उन्हें देश के प्रति और जिम्मेदार तथा सशक्त बनाने की पहल की।
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में सुधार
राजीव गांधी ने भारत की अर्थव्यवस्था को उदार बनाने की कोशिश की। उन्होंने निजी उत्पादन को बढ़ाने के लिए व्यापारियों को प्रोत्साहन दिया। औद्योगिक उत्पादन बढ़ाने के लिए कॉर्पोरेट कंपनियों को सब्सिडी दी गई। उन्होंने इनकम और कॉर्पोरेट टैक्स को घटाया था। इसके अलावा लाइसेंस सिस्टम सरल करना और कंप्यूटर, ड्रग और कपड़ा जैसे क्षेत्रों को सरकारी नियंत्रण से आजाद करवाया था। इससे अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले और निवेश की गुणवत्ता में सुधार हो सके। जानकार बताते हैं कि इनके कार्यकाल के बाद ही देश को समझ आया कि निवेश बढ़ाना क्यों जरूरी है और खर्च करना देश की मुद्रा के लिए क्यों आवश्यक है।
प्रचार के दौरान राजीव की आत्मघाती हमले में हुई हत्या
तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान एक हादसे में हुई थी। उनकी अंतिम चुनावी सभा 21 मई, 1991 को चेन्नई से लगभग 40 किलोमीटर (25 मील) दूर श्रीपेरुम्बुदूर में थीं। जहां कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार करते समय एक महिला उनसे संपर्क के लिए आगे बढ़ी, इस दौरान वह उनके पैरों को छूने के लिए नीचे झुकी और बम विस्फोट हो गया, जिसमें राजीव गांधी की मौत हो गई। उनका अंतिम संस्कार 24 मई, 1991 को राजकीय सम्मान के साथ यमुना नदी के तट पर ‘वीर भूमि‘ में किया गया।
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