रजनीकांत का एक कारपेंटर से सुपरस्टार बनने तक का आसान नहीं था सफ़र

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Rajinikanth-Biography

साउथ इंडियन फिल्मों के सुपरस्टार रजनीकांत उन लोगों में से हैं, जिन्होने फर्श से अर्श तक का कठिनाइयों भरा सफ़र बेहद ही सादगी से तय किया है। अभिनेता रजनीकांत आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहे हैं। दुनिया में ऐसी बहुत सी शख्सियत हैं, जिन्होंने बड़ी-बड़ी सफलताएं हासिल की हैं। मगर, जिस तरह रजनी ने अभावों के बावजूद कड़े संघर्षों के साथ इतिहास रचा है, उसका मुकाबला कर पाना काफी मुश्किल है।

रजनीकांत के एक कारपेंटर से कुली बनने, कुली से बी.टी.एस. कंडक्टर और फिर कंडक्टर से पॉपुलर सुपरस्टार बनने तक का सफ़र कैसा रहा होगा, इसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते। उनका फिल्मी सफ़र भी आसान नहीं रहा था। उस दौरान भी उन्होंने कई तरह के उतार-चढ़ाव देखे थे। साउथ में लोग उन्हें ‘भगवान’ के बराबर दर्जा देते हैं। ऐसे में इस ख़ास अवसर पर जानिए साउथ सुपरस्टार रजनीकांत के जीवन के बारे में कुछ दिलचस्प बातें…

बचपन में ही सीख लिया था संघर्ष के लड़ना

रजनीकांत का जन्म 12 दिसम्बर, 1950 को बैंगलोर में एक बेहद मध्यमवर्गीय मराठी परिवार में हुआ था। उनका जीवन शुरुआत से ही मुश्किलों भरा रहा था। मात्र पांच साल की उम्र में उन्होंने अपनी माँ को खो दिया था। उनके पिता पुलिस में एक हवलदार थे, ऐसे में उनके घर की स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। घर खर्च में हाथ बंटाने के लिए उन्होनें युवावस्था में ही एक कुली के तौर पर काम करना शुरू कर दिया था। बाद में वे ब.टी.एस में बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे|

कंडक्टर रजनीकांत के स्टाइल ने भी बना लिए थे लाखों फैन

एक कंडक्टर के तौर पर काम करते हुए भी उनका अंदाज़ सबसे अलग था। वो अपने टिकट काटने के स्टाइल और सीटी मारने की शैली को लेकर यात्रियों और दुसरे बस कंडक्टरों के बीच काफी पॉपुलर हो गए थे। इस दौरान रजनीकांत नाटकों में भी काम किया करते थे और यहीं से ही एक्टिंग की तरफ उनका रूझान बढ़ने लगा था। उनका यही शौक धीरे—धीरे जुनून में तब्दील होने लगा और उन्होने अपना काम छोड़ कर चेन्नई के अद्यार फिल्म इंस्टिट्यूट में दाखिला ले लिया।

निर्देशक के. बालाचंदर ने पहचाना था रजनी का टैलेंट

एक्टिंग इंस्टिट्यूट में एक नाटक के दौरान उस समय के मशहूर फिल्म निर्देशक के. बालाचंदर की नज़र रजनीकांत पर पड़ी और वो रजनीकांत से इतना प्रभावित हुए कि वहीँ उन्हें अपनी फिल्म में एक किरदार निभाने का प्रस्ताव दे डाला| फिल्म का नाम था अपूर्व रागांगल, जो कि रजनी की पहली फिल्म थी। इस फिल्म में उनका किरदार बेहद छोटा था, जिसके चलते उन्हें वो पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वे योग्य थे। लेकिन ​फिर भी रजनीकांत ने हिम्मत नहीं हारी।

विलेन के रोल से हुई थी काम की शुरूआत

रजनीकांत का फिल्मी सफ़र एक विलेन के तौर पर शुरू हुआ था। उसके बाद उन्होने कई फिल्मों में सपोर्टिंग आर्टिस्ट के रूप में भी काम किया। काफी लम्बे इंतज़ार के बाद उन्हें निर्देशक एस.पी मुथुरामन की फिल्म चिलकम्मा चेप्पिंडी से पहचान मिली। इसके बाद एस.पी. की ही अगली फिल्म ओरु केल्विकुर्री में वे पहली बार हीरो के तौर पर नज़र आए। इसके बाद रजनी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वो एक के बाद एक हिट फिल्में देते चले गए।

उम्र कोई मायने नहीं रखती

रजनीकांत उन अभिनेताओं में से हैं जिन्होने यह साबित कर दिया की उम्र केवल एक संख्या है और अगर व्यक्ति में कुछ करने की लगन है तो उम्र कोई मायने नहीं रखती| 68 साल की उम्र में भी उनकी लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। रजनीकांत के फैंस उन्हें कितना चाहते हैं, ये तो इसी बात से जाहिर होता है कि दक्षिण में उनके नाम से उनके प्रशंशकों ने एक मंदिर बनाया है| इस तरह का प्यार और सत्कार शायद ही दुनिया के किसी सितारे को मिला होगा।

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