राजस्थान के नंदकिशाेर आचार्य और रामस्वरूप किसान को मिलेगा साल 2019 का केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार

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Sahitya-Akademi-Award-2019

केन्द्रीय साहित्य अकादमी ने 23 भाषाओं के लिए साहित्य पुरस्कारों की घोषणा कर दी है। इस बार राजस्थान के दो साहित्यकारों को केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार-2019 मिलेगा। प्रदेश के बीकानेर के रहने वाले डाॅ. नंदकिशाेर आचार्य और हनुमानगढ़ के रामस्वरूप किसान को इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। डॉ. आचार्य को उनके हिंदी भाषा में काव्य ‘छीलते हुए अपने काे’ के लिए तथा रामस्वरूप को उनकी राजस्थानी कृति ‘बारीक बात’ के लिए अवॉर्ड मिलेगा। कांग्रेस नेता एवं लेखक शशि थरूर को अंग्रेजी भाषा के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ये पुरस्कार वर्ष 1955 में शुरु किए गए थे।

पहली बार राजस्थानी ने हिंदी भाषा में जीता अवॉर्ड

केन्द्रीय साहित्य अकादमी के बुधवार काे साल 2019 के लिए वार्षिक पुरस्कारों की घोषणा की। डॉ. नंदकिशाेर आचार्य को वर्ष 2013 में प्रकाशित उनके हिंदी कविता संग्रह ‘छीलते हुए अपने काे’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार 2019 दिया जाएगा। साहित्य अकादमी पुरस्कारों की शुरुआत के बाद पहली बार किसी राजस्थानी कवि को हिंदी भाषा के लिए इस अवॉर्ड से सम्मानित किया जाएगा। 75 वर्षीय डॉ. आचार्य को कवि, नाटककार, चिंतक, गांधीवादी विचारक एवं मानवाधिकाराें का प्रखर पक्षधर माना जाता है।

डॉ. नंदकिशाेर आचार्य को गांधी पर लिखे उनके एक नाटक ‘बापू’ और ‘मानवाधिकार के आयाम’ नामक पुस्तक के लिए काफ़ी सराहना मिली हैं। अकादमी अवॉर्ड से पहले उन्हें बिहारी, भुवालका, मीरा, भुवनेश्वर, केन्द्रीय संगीत नाटक अकादमी सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। दुनिया भर में अपनी तरह का पहला ‘अहिंसा का विश्वकाेश’ लिख चुके डॉ. आचार्य काे हाल में जयपुर की प्राकृत भारती ने ‘अहिंसा शांति ग्रंथमाला’ का संपादक बनाया है। बता दें, डॉ. आचार्य ने ‘बुरा ताे नहीं मानाेगे, यदि मुझे अब तुम्हारी बांसुरी बने रहना स्वीकार नहीं’ कविता के जरिए हिंदी साहित्य जगत में अपनी अलग पहचान बनाई।

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‘बारीक बात’ में छाेटी-छाेटी मर्मस्पर्शी कहानियां शामिल

इस वर्ष राजस्थानी भाषा के लिए केन्द्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार हनुमानगढ़ के परलीका के साहित्यकार रामस्वरूप किसान काे उनके लघुकथा संग्रह ‘बारीक बात’ के लिए दिया जाएगा। उनके इस कथा संग्रह में छाेटी-छाेटी मर्मस्पर्शी कहानियां शामिल हैं। 65 वर्षीय रामस्वरूप किसान वर्तमान दाैर के प्रमुख कहानीकाराें में से एक हैं। रामस्वरूप की कहानियां माध्यमिक शिक्षा बाेर्ड राजस्थान, विद्यापीठ विश्व विद्यालय उदयपुर, महात्मा गांधी यूनिवर्सिटी काेट्टायम-केरल के पाठ्यक्रमाें में पढ़ाई जाती हैं। रामस्वरूप किसान की अब तक एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।

 

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