कांग्रेस के “नाराज फूफा” बने रहने से पार्टी की लुटिया डुबो सकते हैं राहुल गांधी !

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देश के नेता चुनाव के बाद एक बार आराम के मूड में चले गए हैं लेकिन राजनीति में किसी ना किसी तरह की उठापटक जारी है। चुनाव में चाहे किसी की भी जीत या हार हुई हो, नेताओं से हमेशा राजनीतिक परिपक्वता दिखाने की उम्मीद की जाती है, लेकिन हमारे राजनेता को परिपक्वता बिल्कुल भी रास नहीं आ रही।

उदाहरण के लिए आप पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ममता बनर्जी को देख सकते हैं जो बड़ी चुनावी हार मिलने के बाद भी नई दिल्ली में हुई नीति आयोग की बैठक में शामिल नहीं होंगी।

वहीं बिहार से जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए से अंदरूनी संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में तीन जेडीयू सांसदों को शामिल करने के लिए कहा लेकिन मोदी कैबिनेट से जदयू को सिर्फ एक पद की पेशकश की गई।

इससे नाराज होकर नीतीश कुमार ने अपनी ताकत दिखाई और बिहार के अपने मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा को सिर्फ एक पद देने की बात कही। लेकिन इन सभी राजनीतिक हालातों के बीच आज जो सबसे अकेला है वो है कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ।

25 मई को कांग्रेस अध्यक्ष पद छोडने का ऐलान करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि पार्टी में औऱ भी कई नेता हैं तो जिन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। कांग्रेस का शीर्ष पद छोड़ने की बात कहकर राहुल अपने लोकसभा क्षेत्र वायनाड चले गए।

गौरतलब है कि खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी कांग्रेस एक ऐसे बुरे दौर से गुजर रही है जहां अगर राहुल गांधी अपने इस्तीफे की जिद्द को नहीं छोड़ते हैं तो उनकी पार्टी धीरे-धीरे गुमनामी की ओर बढ़ जाएगी।

पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान में हलचल

पंजाब, जहां कांग्रेस का गढ़ आज भी खड़ा है वहां के कर्ता-धर्ता मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और क्रिकेटर से राजनेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के बीच दरार दिल्ली तक पहुंच गई है। हाल ही में कैप्टन ने कुछ प्रमुख विभाग सिद्धू् से छीन लिए।

हाल के सालों में कांग्रेस में गुटबाजी को हवा मिली है। मध्य प्रदेश की स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है। वहां भोपाल में कमलनाथ सरकार डांवाडोल है।

ऐसी ही एक कहानी राजस्थान में चलाई जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके डिप्टी सचिन पायलट के बीच कई तरह की मतभेद की खबरें सामने आ रही है।

बहुत सारे कामों की एक लंबी लिस्ट

राहुल गांधी के लिए आने वाले समय में कांग्रेस को एकजुट रखना सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी। कांग्रेस पार्टी का पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, हरियाणा, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में सफाया हो गया है।

राहुल गांधी को अब संगठन के स्तर पर नया खाका तैयार करना चाहिए। प्रियंका गांधी, जो लोगों में कुछ ही समय में काफी अच्छी पैठ जमा पाई हैं उन्हें लोगों के बीच में जाना चाहिए।

जरूरत पड़ने पर कोई एक कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त करें लेकिन इस्तीफा देना कभी भी एक विकल्प नहीं हो सकता है। लोकतंत्र को पनपने के लिए, भारत को कांग्रेस के नेतृत्व में एक मजबूत विपक्ष की आवश्यकता है।

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