पी.वी. सिंधु ने रविवार को भारतीय बैडमिंटन के इतिहास में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज कर लिया। सिंधु बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय बन गई हैं। उन्होंने वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जापान की नोजामी ओकुहारा को सीधे गेमों में 21-7, 21-7 से मात देते हुए खिताब जीता है। वहीं सिंधु ने इस ऐतिहासिक जीत के साथ ही वर्ष 2017 के वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मिली ओकुहारा से हार का हिसाब भी बराबर कर लिया है। इस जीत के साथ ओकुहारा के विरुद्ध सिंधु का कॅरियर रिकॉर्ड 9-7 का हो गया है।
वर्ल्ड चैम्पियनशिप में शुरू से रहा सिंधु का दबदबा
भारतीय बैडमिंटन स्टार पी.वी. सिंधु का स्विट्जरलैंड में बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप-2019 में शुरुआत से ही मजबूत दबदबा दिखा। सिंधु को पहले दौर में बाई मिल गई और दूसरे दौर में सिंधु ने चीन ताइपे की पाई यू पो को 21-14, 21-15 से मात देकर अगले दौर में प्रवेश किया। उन्होंने तीसरे दौर में दुनिया की नौवी वरीयता प्राप्त अमेरिकी खिलाड़ी झांग बेईवेन को 21-14, 21-6 से हरा दिया।
जब उनका मुकाबला क्वार्टर फाइनल दुनिया की दूसरी वरीयता प्राप्त चीन ताइपे की ताई ज़ू यिंग से हुआ तो सिंधु ने बड़ा उलटफेर करते हुए यिंग को 12-21, 23-21, 21-19 से हराकर शानदार जीत के साथ सेमीफाइनल में प्रवेश किया।
सेमीफाइनल में सिंधु ने चौथी वरीयता प्राप्त चीन की ही चेन यू फेई को आसान मुकाबले में 21-7, 21-14 से मात देकर फाइनल में प्रवेश किया। इन जीतों ने सिंधु का हौंसला बुलंद कर दिया और पूरे आत्मविश्वास के साथ फाइनल में पांचवी वरीयता प्राप्त सिंधु ने जापान की तीसरी वरीयता प्राप्त नोज़ोमी ओकूहारा को पूरे गेम में कही भी मुकाबले में टिकने नहीं दिया। सिंधु ने यह मुकाबला शानदार तरीके से जीता और भारतीय बैडमिंटन के एक नया इतिहास दर्ज किया।
पी.वी. सिंधु बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में इससे पहले वर्ष 2013 और 2014 में कांस्य पदक जीत चुकी हैं। वहीं वर्ष 2017 और 2018 में रजत पदक जीत अपने नाम कर चुकी है। इस टूर्नामेंट में वह केवल स्वर्ण पदक से दूर थी जो इस वर्ष 2019 में पूरा हो गया।
सिंधु बनी भारत की पहली विश्व चैम्पियन
भारत की ओर से वर्ष 2019 से पहले न तो पुरुष वर्ग और न महिला वर्ग का कोई खिलाड़ी बीडब्ल्यूएफ बैडमिंटन वर्ल्ड चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया। सिंधु ने पहली बार यह कारनामा किया। साथ ही पीवी सिंधु भारत की पहली स्वर्ण पदक विजेता बन गई हैं। वह इस टूर्नामेंट में लगातार तीसरी बार फाइनल में पहुंची है। इस चैम्पियनशिप में सिंधु के अब तक पांच पदक हो गए हैं। इनमें एक स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं।
पी.वी. सिंधु महिला सिंगल में दुनिया की ऐसी चौथी खिलाड़ी बन गई हैं जिसने तीनों प्रकार के पदक स्वर्ण, रजत और कांस्य जीते हैं। सिंधु से पहले ली लिंगवेई, गोंग रूइना और झांग निंग यह उपलिब्ध हासिल कर चुकी हैं। वहीं हमवतन महिला बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल ने वर्ष 2015 और 2017 में इस चैम्पियनशिप में कांस्य पदक ही जीते हैं। अगर भारतीय पुरुषों की बात करें तो केवल प्रकाश पादुकोण (वर्ष 1983) और बी.साई प्रणीत इस वर्ष 2019 में चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता है।
पहली बार वर्ष 2009 में जीता था अंतर्राष्ट्रीय पदक
पी.वी. सिंधु का जन्म 5 जुलाई, 1995 को तेलंगाना राज्य की राजधानी हैदराबाद में हुआ। उनका पूरा नाम पुसारला वेंकटा सिंधु है। उनके पिता पी.वी. रमन्ना और माता पी. विजया भी वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे हैं। उनके पिता को वर्ष 2000 में अुर्जन पुरस्कार ने नवाजा गया। उन्होंने मेंहदीपट्टनम स्थित सेंट ऐन्स कॉलेज फॉर वुमेन से शिक्षा प्राप्त की।
पुलेला गोपीचंद से मिली शटलर बनने की प्रेरणा
वर्ष 2001 में पुलेला गोपीचंद ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप को विजेता बना तो सिंधु उनसे काफी प्रभावित हुई । गोपीचंद से प्रभावित होकर सिंधु ने बड़ी होकर शटलर बनने का निश्चय किया। सिंधु ने 8 साल की उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। उन्होंने महबूब अली की देखरेख में बेसिक ट्रेनिंग सिकंदराबाद के रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ सिगनल इंजीनियरिंग ग्राउंड से शुरू की थी। बाद में सिंधु ने पूर्व खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद की हैदराबाद स्थित गोपीचंद एकेडमी में प्रशिक्षण प्रारंभ कर दिया था।
2009 में जीता पहला पदक
पीवी सिंधु ने पहली बार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहला पदक वर्ष 2009 में जीता था। वर्ष 2010 में उसने ईरान फजर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैलेंज में महिला एकल वर्ग में रजत पदक जीता। वर्ष 2010 में मैक्सिको में आयोजित जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंची। इसके बाद वर्ष 2013 में उसने उन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में कांस्य पदक अपने नाम किया। उसके बाद वर्ष 2014 में वर्ल्ड चैम्पियनशिप, एशियन गेम्स और राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीते। सिंधु ने वर्ष 2016 में रियो डी जिनेरियो ओलंपिक में रजत पदक जीता। वह एक बार फिर वर्ल्ड चैम्पियनशिप 2017 में फाइनल में जीत से चूक गई और उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा।
पी.वी. सिंधु को उनकी बैडमिंटन की उपलब्धियों को सम्मानित करने के लिए वर्ष 2013 में अर्जुन अवॉर्ड, वर्ष 2015 में पद्मश्री पुरस्कार और वर्ष 2016 में खेल जगत का सर्वोच्च सम्मान राजीव गांधी खेलरत्न पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।