गेम्स की दुनिया : खेल खेल में बढ़ रही व्यावहारिक परेशानी

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खेलना शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अच्छा होता है। यह बात आपने कई बार सुनी होगी। लेकिन ऐसे खेल जो घर के बाहर खेले जाएं ना कि घर के अंदर बैठकर मोबाइल पर खेला जाए। आजकल के यूथ गेम्स खेलना पसंद कर रहे हैं लेकिन मोबाइल पर और यह उनके लिए घातक सिद्ध हो रहा है। ऐसा ही एक गेम है पबजी। पिछले कई समय से इस खेल से हो रही परेशानियों को लेकर बात हो रही है लेकिन अब भी यह गेम यूथ के बीच लोकप्रिय है और लगातार इसका प्रयोग बढ़ रहा है।

 

प्लेयर अननोन बैटलग्राउंड या PUBG, इस वक्त दुनिया का सबसे फेमस ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम बन गया है। इसे खेलने वालों में इस गेम की ऐसी लत लग जाती है कि उनका मानसिक और शारीरिक विकास प्रभावित होने लगता है। हाल ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस NIMHANS में 120 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर PUBG गेम का विपरीत प्रभाव देखा गया।

PUBG गेम सिर्फ बच्चों तक की सीमित नहीं है बल्कि 6 साल के बच्चे से लेकर 30-32 साल के युवाओं तक में इस गेम को लेकर जबरदस्त क्रेज देखा जा रहा है। इस गेम की बढ़ती लत के कारण हजारों युवाओं में व्यवहार संबंधी परेशानियां देखने को मिल रही हैं।

 

ये हो रही हैं परेशानियां

– नींद पूरी ना होना और कुछ समय बाद अनिद्रा की समस्या

– व्यावहारिक जिंदगी से दूरी

– स्कूल-कॉलेज से बंक मारना

– एग्रेसिव होना

– पढ़ाई का नुकसान

— सिरदर्द, आंखों में जलन की समस्या

— चिढ़चिढ़ापन

PUBG गेम दुनियाभर के कई प्लेयर्स के साथ खेला जाता है और सबके टाइम जोन अलग-अलग होते हैं जिस वजह से भारत में इस गेम को खेलने वाले ज्यादातर लोग रात में 3-4 बजे तक जगकर यह गेम खेलते रहते हैं जिस वजह से उन्हें सिर्फ नींद ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी कई समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं।

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