हाल ही सबसे बड़ी पोर्न वेबसाइट पोर्न हब की एक रिपोर्ट सामने आई थी जिसमें पाया गया कि भारत पूरी दुनिया में तीसरे नंबर पर है जहां सबसे ज्यादा पोर्न देखी जाती है।
इसके कई मायने हैं। कुछ लोगों का मानना है कि सेक्स एजुकेशन के लिए पोर्न उनके लिए फायदेमंद है। ये जो आंकड़े सामने आए हैं वो साल 2018 के हैं। इसके अलावा अगर बात करें साल 2017 की तब भी भारत, इंग्लैंड और अमेरिका के बाद तीसरे नंबर पर है।
कुछ लोग पोर्न को हिंसा और गलत व्यवहार से जोड़कर देखते हैं। जो कि अधिकतर बातों में सही भी है। इंडिया में आज एक तरह से मोबाइल की क्रांति है। मल्टीमीडिया मोबाइल गांवों तक पहुंच रहे हैं। वहां पर बच्चे बड़े सब अब पोर्न के संपर्क में आ रहा हैं। कम उम्र में पोर्न देखना बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डाल सकता है।
पोर्न एडिक्शन को लेकर कई तरह के सर्वे भी किए गए। भारत में सेक्स को पहले से ही लोगों के अंदर कई तरह की भ्रांतियां हैं। इसको लेकर भारत में सीधी और सरल बात भी बहुत कम होती है। और ऐसे में जब गांव शहर के बच्चे बड़े सभी सीधे पोर्न के संपर्क में आते हैं तो कई तरह की गलतफहमियां उनके अंदर पनप जाती हैं। सेक्स एजुकेशन बोल कर पोर्न में भ्रमित करने के अलावा कुछ भी नहीं है।
हिंसक पोर्न को लेकर जो सर्वे अब तक सामने आए हैं उनसे साफ पता चलता है कि भारत में इसका गलत असर पड़ रहा है। समाज में महिला की चॉइस को पहले ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता है ऐसे में हिंसक पोर्न जिसमें महिला के साथ जबरदस्ती की जा रही हो, चाइल्ड कंटेंट हो, कहीं ना कहीं भारतीय पुरूषों की सोच और उनके व्यवहार पर बुरा असर डालती हैं।
अधिकतर लोग सामान्य पोर्न देखना पसंद नहीं करते। शोध में सामने भी आया है कि लोग “हार्डकोर” पोर्न देखना पसंद करते हैं जो कि बिलकुल भी नेचुरल नहीं है। ऐसे में इसका एडिक्शन बढ़ता है इसका परिणाम यही होता है कि पुरूष महिलाओं के साथ गलत व्यवहार करते हैं।
व्हाट्सएप पर भी पोर्न वीडियो काफी शेयर किए जाते हैं। गूगल और खुद कई पोर्न वेबसाइट्स भी चाइल्ड कंटेंट और रेप कंटेंट को फिल्टर करता है और इस पर एक्शन भी लेता है। फिर भी व्हाट्सएप पर कई बार बलात्कार और चाइल्ड कटेंट शेयर किए जाते हैं। इसको लेकर व्हाट्सएप ने भी एक्शन लिए हैं फिर भी ऐसे वीडियोज शेयर होते ही हैं।
भारत को सेक्स एजुकेशन की जरूरत है, बिलकुल है। लेकिन वो पोर्न से ही मिले यह जरूरी नहीं है। पोर्न एडिक्शन के भी केस अमेरिका और इंग्लैंड में बढ़ते ही जा रहे हैं। भारत में ऐसे केस सामने आ रहा हैं। इसके लिए पूरी तरह से एक इलाज लोगों का किया जाता है।