सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही एक फैसले के दौरान कहा सिर्फ पटाखों पर ही बैन की बातें क्यों, ऑटोमोबाइल्स से भी तो अधिक प्रदूषण होता है। देखा जाए तो बहुत कुछ कह दिया सुप्रीम कोर्ट ने यदि उदार एवं निष्पक्ष होकर सोचें तो। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों से होेने वाले प्रदूषण संबंधी याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पटाखे ही प्रदूषण को बढ़ाने का एकमात्र कारण नहीं हैं। कार और ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक मात्रा में वातावरण को प्रदूषित करते हैं।
जहां एक ओर आए दिन विज्ञान के क्षेत्र से प्रदूषण को लेकर कई शोध इस बात को दोहराते हैं कि बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए घातक है बल्कि इससे मानव स्वास्थ्य पर भी हानिकारक प्रभाव पड़ रहे हैं। हाल ही जारी एक रिपोर्ट में बताया गया था कि डीलज इंजन वाले वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण से भारत में ज्यादा मौतें हो रही है। केवल वायु प्रदूषण से पूरे विश्व में करीब 50 लाख लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं। जिनमें भारत में सबसे ज्यादा है।
सिर्फ पटाखों पर ही बैन की बातें क्यों?
यही कहा है सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में, जो विकास की बातें करते हैं उनके लिए हर प्रदूषण पर मंथन की जरूरत है। जब मानव का ध्येय विकास है तो फिर हर क्षेत्र में समान विकास क्यों नहीं। जहां एक ओर भौतिक विकास को ही बढ़ावा मिल रहा है और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हम पिछड़ रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘लोग पटाखों पर प्रतिबंध की मांग क्यों करते हैं जबकि साफ महसूस किया जा सकता है कि ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक प्रदूषण करते हैं।’
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने के संबंध में कहा कि सिर्फ पटाखों से ही प्रदूषण नहीं होता है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख 3 अप्रैल रखी है।
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केन्द्र सरकार ने कहा कि पटाखों के निर्माण में बेरियम का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जा चुका है। ग्रीन पटाखों का फॉर्मूला अभी फाइनल किया जाना बाकी है।
सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन से होने वाले बेरोजगारों की ओर ध्यान दिलाते हुए केन्द्र सरकार से पूछा कि, ‘पटाखा कारखानों में बेरोजगार श्रमिकों के अधिकारों के बारे में क्या स्थिति है? हम उन्हें भूखा नहीं छोड़ सकते। हम नहीं चाहते कि बेरोजगारी बढ़े। अगर पटाखा का व्यवसाय कानूनी है और बेचने वाले के पास लाइसेंस है तो आप इसे कैसे रोक सकते हैं?’
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को कहा कि वह पटाखों और ऑटोमोबाइल्स द्वारा होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक अध्ययन कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे।
रिपोर्ट में इस पर भी विचार किया जाए कि लोग ऑटोमोबाइल्स से प्रदूषण जानते हुए भी क्यों पटाखों पर बैन की मांग करते हें जबकि ऑटोमोबाइल ज्यादा प्रदूषण फैलाता है।
पटाखों पर पिछले साल दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से बैन लगाने से मना कर दिया था, हालांकि कोर्ट ने कुछ प्रतिबंध जरूर लगाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अपने आदेश में कहा था कि पटाखों को केवल लाइसेंस पाए व्यवसायी ही बेच सकते हैं।
वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए देशभर में पटाखों के उत्पादन और बिक्री पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क आत्ममंथन के योग्य है
सुप्रीम कोर्ट का यह तर्क हमें यही कहता है कि पटाखों से तो सीमित समय के लिए प्रदूषण फैलाते हैं जबकि ऑटोमोबाइल से तो हर रोज हानिकारक प्रदूषण फैलाते हैं। यह सही है कि वाहन आज के समय में बेहद जरूरी है, पर क्या हम उनका उपयोग मितव्ययता के साथ नहीं कर सकते हैं।
हां, अगर हम सोचे तो क्या असंभव है।
पटाखों से तो त्यौहार विशेष के समय ही प्रदूषण होता है जबकि यातायात वाले वाहन से तो हर दिन प्रदूषण बढ़ता है।
पटाखों पर बैन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो कहा वह उन लोगों की ओर भी इशारा करता है जो अकेले ऑफिस जाने के लिए, बाइक के स्थान पर या पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग न कर चौपहिया वाहन से ही ऑफिस जाने में अपनी शान समझता है।
हमें दिखावे की जरूरत नहीं, एक अच्छी सोच की जरूरत है।