आज 24 फरवरी को भारत दौरे पर आए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके परिवार का भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोरदार स्वागत किया। वह पहले प्रधानमंत्री के साथ साबरमती आश्रम गए और वहां पर गांधीजी के बारे में जाना। उसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी दुनिया के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम मोटेरा गए और वहां उपस्थित जनता को संबोधित किया। दोनों नेताओं ने एक—दूसरे देश की सांस्कृतिक विरासत की जमकर तारीफ की।
PM Modi: India-US relations are no longer just another partnership. It is a far greater and closer relationship. One is 'land of the free' the other believes the world is one family. One feels proud of 'statue of liberty' the other feels proud of 'statue of unity' pic.twitter.com/LuKc4NwA33
— ANI (@ANI) February 24, 2020
इस मौके पर राष्ट्रपति ट्रंप के स्वागत में पीएम मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच विविधताएं एक मजबूत रिश्ते का आधार है। उन्होंने न्यूयॉर्क की स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी और गुजरात के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का जिक्र किया। पीएम मोदी ने कहा कि एक देश के पास स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी है, तो दूसरे के पास स्टैच्यू ऑफ यूनिटी। दोनों को इन पर गर्व है। जहां स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी दुनिया को स्वतंत्रता और लोकतंत्र का संदेश देती है तो वहीं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी एकता का संदेश देती है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी अपने भाषण में गुजरात में स्थापित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तारीफ की।
स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी
गुजरात में स्थापित स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा है। जिसकी लंबाई 182 मीटर है। वहीं स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थापित प्रतिमा है जिसका अनावरण 18 अक्टूबर, 1886 को हुआ। जिसे फ्रांस ने अमेरिका के स्वतंत्रता आंदोलन में निभाई दोस्ती की स्मृति में प्रदान की थी। यह प्रतिमा 93 मीटर उंची है।
वहीं स्टैच्यू ऑफ यूनिटी भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल को समर्पित है जिन्होंने देश को एकसूत्र में पिरोया था। वह एकता का संदेश देती है। वहीं, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी दुनिया को स्वतंत्रता और लोकतंत्र का संदेश देती है।
स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी का निर्माण फ्रांस के सिविल इंजीनियर गस्तावे एफिल ने करवाया था। इसके लिए फंडिंग एक समाचार पत्र के संपादक जोसेफ पुलित्जर ने मदद के लिए एक क्राउड फंडिंग अभियान चलाकर एक लाख डॉलर (वर्तमान के अनुसार करीब 72 लाख रुपये) से ज्यादा राशि इकट्ठा की थी।
इस पर बनी मूर्ति रोमन देवी की है जो स्वतंत्रता को प्रदर्शित करती है। प्रतिमा का दाहिना हाथ ऊपर की ओर है जिसमें एक मशाल है, जबकि बाएं हाथ में टैबुला अंसाटा (टैबलेट) है जिसपर रोमन लिपि में अमेरिका की स्वतंत्रता की तारीख (जुलाई 4, 1776) लिखी है।
इसके पैरों में टूटी हुई जंजीर है और एक कदम को आगे की ओर बढ़ता हुआ दर्शाया गया है, जैसे वह गुलामी की जंजीर तोड़कर आजाद हो गई हो। स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की आंतरिक संरचना लोहे की है और बाहर से यह तांबे से बनाई गई है। इसको वर्ष 1884 में फ्रांस में बनाया गया था।