केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी से लड़ रहे स्वास्थ्य कर्मियों के केंद्रीय बीमा योजना से जुड़े दावों की त्वरित मंजूरी का नया सिस्टम शुरू कर दिया है। अब स्वास्थ्य कर्मियों से जुड़े आवेदन जिलाधिकारियों को प्रमाणित करने होंगे और उसके बाद इस प्रमाण पत्र के आधार पर बीमा कंपनियों को 48 घंटे के अंदर दावा निस्तारित करना होगा। आपको बता दें कि कोरोना महामारी के खिलाफ अग्रिम पंक्ति में काम कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के लिए पिछले साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज (पीएमजीकेपी) बीमा योजना शुरू की गई थी। शुरुआत में महज तीन महीने के लिए घोषित इस योजना को बाद में आगे बढ़ा दिया गया। पीएमजीकेपी योजना को इस साल भी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा 24 अप्रैल को एक साल के लिए आगे बढ़ाया जा चुका है।
दावों की मंजूरी के लिए तैयार किया नया सिस्टम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को बताया कि राज्यों और अन्य हितधारकों की तरफ से इस योजना के तहत बीमा दावों के निस्तारण में देरी का मुद्दा उठाया गया है। अब इस देरी को कम करने के लिए दावों की मंजूरी का एक नया सिस्टम तैयार किया गया है, जिसे राज्य सरकारों को जिलाधिकारी स्तर पर लागू करना है। जिलाधिकारी अब हर मामले में यह प्रमाणित करेंगे कि दावा योजना की मानक संचालन प्रक्रिया के अनुरूप है। जिलाधिकारी के प्रमाण पत्र के आधार पर बीमा कंपनी को 48 घंटे के अंदर दावा मंजूर करते हुए उसको निपटाना जरूरी होगा।
स्वास्थ्य कर्मचारी के परिजनों को मिलते हैं 50 लाख रुपये
आपको जानकारी के लिए बता दें कि न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी की तरफ से दिए गए पीएमजीकेपी योजना के निजी दुर्घटना बीमा कवर में किसी भी स्वास्थ्य कर्मचारी की कोरोना संक्रमण के कारण मौत हो जाने पर 50 लाख रुपये दिए जाने का प्रावधान है। केंद्र सरकार की ओर से यह व्यवस्था सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मचारियों के साथ ही कोरोना ड्यूटी में लगे निजी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी की गई है। कोरोना काल में बीमा कंपनी अब तक दो बार पॉलिसी रिन्यू कर चुकी है। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की चपेट में आने से देश में हजारों स्वास्थ्य कर्मियों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं।
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