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वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण का प्लाज्मा थैरेपी के माध्यम से भी इलाज किया जा रहा है। एक ताज़ा अध्ययन में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने के 90 दिन तक ही प्लाज्मा दान किया जा सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसके बाद प्लाज्मा देने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि एक समयसीमा तक ही संक्रमित मरीज के शरीर में एंटीबॉडी मिल रही हैं। इंग्लैंड में हुए इस चिकित्सकीय अध्ययन से भारतीय वैज्ञानिक और डॉक्टर भी काफी हद तक सहमत है।
एक निश्चित समय के बाद गायब हो रहे हैं एंटीबॉडी
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूरोप के 10 चिकित्सा संस्थानों ने मिलकर 436 मरीजों पर अध्ययन किया, जिसमें यह पता लगाया है कि प्लाज्मा देने के बाद संक्रमित मरीजों के शरीर में तेजी से एंटीबॉडी तो मिल रहे हैं लेकिन एक निश्चित समय के बाद यह गायब भी हो रहे हैं। अभी तक प्लाज्मा थैरेपी के तहत यह कहा जा रहा था कि कोई भी व्यक्ति स्वस्थ होने के बाद छह माह तक 15-15 दिनों के अंतराल से प्लाज्मा दान कर सकता है।
यूरो सर्विलांस डॉट ओआरजी नामक एक वेबसाइट पर प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, 256 में से 254 मरीजों को प्लाज्मा देने के बाद उनमें कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी जरूर देखने को मिले, लेकिन इनमें से 226 मरीजों में कुछ समय बाद वह बेअसर रहे। अध्ययन में यह साबित हुआ है कि कोरोना वायरस की पहचान होने से 90 दिन यानी करीब तीन माह के बीच ही प्लाज्मा देने के बाद मरीज में प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।
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भारत में भी प्लाज्मा थैरेपी पर चल रहा है परीक्षण
आपको बता दें कि कोरोना वायरस संक्रमण के उपचार में गंभीर मरीजों के लिए भारत में भी प्लाज्मा थैरेपी पर परीक्षण चल रहा है। देश के करीब 30 से ज्यादा अस्पतालों में इनदिनों आईसीएमआर की निगरानी में 422 से अधिक मरीजों पर यह परीक्षण लगभग अंतिम चरण में है। हालांकि, प्लाज्मा देने वाले या संक्रमित होने के बाद स्वस्थ्य हुए व्यक्ति में कब तक एंटीबॉडी मिल रहे हैं? इसे लेकर यहां अब तक कोई चिकित्सीय अध्ययन नहीं हुआ है। लंदन में हुए एक अध्ययन के दौरान 30 से 40, 40 से 50 और 50 से अधिक दिन में तीन बार अलग-अलग परीक्षण करते हुए एंटीबॉडी का पता लगाया, जिसका परिणाम है कि 50 दिन बाद 88 से 91 फीसदी तक में एंटीबॉडी बिना असर के दिखाई दिए।