पेगासस मामले में एसआईटी जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

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पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए कथित विपक्षी नेताओं और पत्रकारों की जासूसी का मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंच गया है। सीनियर एडवोकेट मनोहर लाल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। उनकी इस याचिका में सर्वोच्च अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच की मांग की गई है। इसके साथ ही भारत में पेगासस की खरीद पर रोक लगाने की अपील भी की गई है। बता दें, पेगासस जासूसी मामले को लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर हमलावर हैं। संसद में इस मामले पर कई बार जोरदार बहस हो चुकी है। कांग्रेस ने संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की है। वहीं, अन्य विपक्षी दल सरकार से सफाई मांग रहे हैं। जबकि सरकार मामले को पहले ही खारिज कर चुकी है।

बिना किसी जवाबदेही के निगरानी करना गलत: याचिकाकर्ता

अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पेगासस कांड गहरी चिंता का विषय है। यह भारतीय लोकतंत्र, न्यायपालिका और देश की सुरक्षा पर गंभीर हमला है। व्यापक स्तर और बिना किसी जवाबदेही के निगरानी करना नैतिक रूप से गलत है। याचिका में कहा गया है कि पेगासस सॉफ्टवेयर का उपयोग केवल बातचीत सुनने के लिए नहीं होता, बल्कि इसके उपयोग से व्यक्ति के जीवन के बारे में पूरी डिजिटल जानकारी हासिल कर ली जाती है। इससे ना केवल फोन इस्तेमाल करने करने वाला असहाय हो जाता है, बल्कि उसकी संपर्क सूची में शामिल हर व्यक्ति ऐसा महसूस करता है।

याचिका में 50,000 फोन नंबर को बनाया गया निशाना

याचिका में कहा गया है कि जासूसी संबंधी इस खुलासे से राष्ट्रीय सुरक्षा पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि निगरानी प्रौद्योगिकी विक्रेताओं व अत्यधिक बढ़ोतरी वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकार के लिए समस्या है। जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि एनएसओ ग्रुप कंपनी के ग्राहकों ने साल 2016 के बाद से करीब 50,000 फोन नंबर को निशाना बनाया है।

याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में लिखा, ‘पेगासस केवल निगरानी उपकरण नहीं है, यह एक साइबर-हथियार है जिसे भारतीय सरकारी तंत्र के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। भले ही यह आधिकारिक हो (जिसे लेकर संशय है), लेकिन पेगासस का इस्तेमाल राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है।’ याचिका में जासूसी के लिए पेगासस की खरीद को अवैध एवं असंवैधानिक करार देने का अनुरोध किया गया है।

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