इस साल के लोकसभा चुनाव में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल को बनाए रखने के लिए 140 से भी ज्यादा रैलियां की। रैलियों की संख्या पर ध्यान इसीलिए गया है क्योंकि कोई और भी है जो कुछ कुछ ऐसा ही है। सन् 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति अभियान के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प ने लगभग इतनी ही रैलियां की थीं। पर्सनेलिटी या यूं कहें व्यक्तित्व की राजनीति को यहां समझना काफी जरूरी हो जाता है।
नरेन्द्र मोदी की रैली में लोगों का जमावड़ा होता है। लोग मोदी मोदी का नारा लगाते हुए नजर आते हैं। लोग तरह तरह की चीजें बेचते नजर आते हैं। माला, बीजेपी के झंडे और ना जाने क्या क्या। इसी तरह की राजनीतिक भीड़ 2016 में डोनाल्ड ट्रम्प की रैलियों में देखी जाती थीं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने उस वक्त अभियान “मेकिंग अमेरिका ग्रेट अगेन” के वादे पर बनाया गया था। वहीं नरेन्द्र मोदी के लिए ये नारा है “नमो अगेन”
भाजपा समर्थक अक्सर कहते नजर आते हैं कि पाकिस्तान और राष्ट्रीय सुरक्षा चुनाव के मुख्य मुद्दे हैं।
सन् 2016 के चुनावों में ट्रम्प मैक्सिको को लेकर अपने सख्त रवैये के लिए जाने गए वहीं 2019 को कई मायनों में परिभाषित किया गया है कि मोदी पाकिस्तान को लेकर काफी सख्त हैं।
रैली का नजारा यह होता है कि बच्चे भी इसमें भाग लेते हैं। माता पिता बच्चों को मोदी बनाकर या मास्क पहनाकर ऐसा करते हुए नजर आते हैं। फोटो में आप यही देख पा रहे हैं। ऐसा ही नजारा ट्रम्प की रैलियों का होता था। ट्रम्प जैसा बच्चों को तैयार किया जाता था।
नरेन्द्र मोदी की रैली में देशभक्ति के गाने उफान पर होते हैं। जैसे ही हम रैली मैदान में प्रवेश करते हैं, सीटें भरनी शुरू हो जाती हैं। ट्रम्प और नरेन्द्र मोदी का आधार वे इसी तरह से रखते हैं जैसे वे आम जनता से वास्ता रखते हैं।
अगला स्तर कपड़े का है। ट्रम्प और मोदी दोनों की रैलियों में सिर पर सभी कुछ ना कुछ लगा कर चलते हैं। अमेरिका में यह ट्रेडमार्क लाल मागा (MAGA) टोपी है। वहीं इंडिया में लोग नमो अगेन लिखी हुई टोपी पहने नजर आते हैं।
नरेन्द्र मोदी, ट्रम्प की तरह ही सोशल मीडिया का उपयोग सीधे अपनी आधार जनता से बात करने के लिए करते हैं।
2017 की बात है जब ट्रम्प और नरेन्द्र मोदी व्हाइट हाउस में मिले थे तो ट्रम्प ने कहा था कि प्रधान मंत्री मोदी और मैं सोशल मीडिया में विश्व के नेता हैं। राष्ट्रपति ट्रम्प के 60.4 मिलियन फोलोअर्स हैं वहीं पीएम मोदी 47.3 मिलियन के साथ ज्यादा पीछे नहीं हैं।
ट्रम्प की तरह ही मोदी इस बारे में काफी सजग रहते हैं कि वे किसको इंटरव्यू दें। ऐसे में वे उन्हीं चैनलों को इंटरव्यू देते हैं जो भाजपा के लिए ज्यादा चुनौतीपूर्ण नहीं होते हैं। ऐसा ही ट्रम्प के साथ है जो कि फॉक्स न्यूज को ही इंटरव्यू देना पसंद करते हैं।
ट्रम्प की तरह ही मोदी भी स्टेज पर जब होते हैं तो जनता से बातचीत करते हैं और अपने फोलोअर्स को प्रोत्साहित करते हैं।
नरेन्द्र मोदी स्टेज पर खड़े होकर पूछते हैं “क्या हमें आतंकवादियों को उनके घरों में घुसकर नहीं मारना चाहिए बताइए मुझे मारना चाहिए कि नहीं चाहिए?” और फिर जनता जवाब देती है हां।
मोदी अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी की आलोचना करने से भी कभी नहीं चूकते।
नरेन्द्र मोदी और ट्रम्प हमेशा खुद को ऐसा दिखाते हैं कि वे राजनीति में बाहर से आए हैं और इसके लिए अपने प्रतिद्विंदियों का विरोध करते हैं। मोदी नेहरू परिवार के खिलाफ वंशवाद का आरोप लगाते रहते हैं वहीं ट्रम्प हिलेरी क्लिंटन का विरोध करते नजर आते हैं क्योंकि उनके पिता पूर्व राष्ट्रपति थे।
मोदी अपने भाषणों में कहते नजर आते हैं “वे अपने पूर्वजों के नाम पर वोट चाहते हैं, लेकिन मैं सवाल करता हूं कि उनके पूर्वजों ने क्या किया है, उन्होंने हमारे देश के लिए क्या किया है, तो वे चिढ़ जाते हैं।“
विपक्ष पर अपने हमलों में वह पीछे नहीं हटे और कई लोगों ने इसे गलत बताया जब मोदी अपने प्रतिद्वंद्वी के मृत पिता की आलोचना करते हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को “भ्रष्ट नंबर एक” बताया था जो एक आत्मघाती हमले में मारे गए थे।
ऐसा ही कुछ ट्रम्प करते नजर आते हैं उन्होंन सीनेटर जॉन मैक्केन पर गलत टिप्पणी की थी जो कैंसर से पीड़ित थे और पिछले साल ही इस बीमारी से उनकी मौत हुई।
डोनाल्ड ट्रम्प और नरेंद्र मोदी दोनों ही प्रत्यक्ष होने पर गर्व करते हैं, लेकिन उनके भाषण कभी-कभी गलत दिशा में चले जाते हैं।
बहरहाल समर्थकों को कई बार फर्क नहीं पड़ता कि राजनीतिक भाषणों की अगर मर्यादा लांघ दी जाए। व्यक्तित्व राजनीति का पंथ इन दोनों नेताओं को जोड़ता है।