कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों को फिर से नहीं होता संक्रमण: रिसर्च

Views : 2434  |  3 minutes read
Corona-Research-Report

पिछले कुछ महीनों से वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का पूरी दुनिया को सामना करना पड़ रहा है। दुनियाभर में लाखों लोग इसकी वजह से अपनी जान गंवा चुके हैं। इस संक्रमण की वजह से भारत में अब तक 50 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी बीच एक हालिया रिसर्च में इस बात खुलासा हुआ है कि जो लोग कोरोना संक्रमण से एक बार उबर जाते हैं, उन्हें दोबारा वायरस का संक्रमण नहीं होता है। इसका उदाहरण वे तीन लोग बने हैं जो इस खतरनाक वायरस से मुक्त हो चुके थे। हाल के दिनों में वे अमेरिका के सीटल में एक मछली पकड़ने वाले पोत में रहे, जहां बाकी लोगों पर कोरोना का कहर बरपा, लेकिन उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

एंटीबॉडी व आरटी-पीसीआर परीक्षणों पर आधारित है निष्कर्ष

आपको बता दें कि यह निष्कर्ष एंटीबॉडी (सीरोलॉजिकल) के साथ-साथ वायरल डिटेक्शन (रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस-पोलीमरेज चेन रिएक्शन या आरटी-पीसीआर) परीक्षणों पर आधारित है, जो उस पोत के रवाना होने से पहले और उसके लौटने पर किए गए थे। रिसर्च में सामने आया कि समुद्र में कुल 18 दिन बिताने के दौरान चालक दल के 122 सदस्यों में से 104 एक ही स्रोत से कोरोना वायरस की चपेट में आए।

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मेडिसिन क्लिनिकल वायरोलॉजी लेबोरेटरी के सहायक निदेशक और इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में से एक अलेक्जेंडर ग्रेनिंजर ने कहा, ‘इससे पता चलता है कि एंटीबॉडी को बेअसर करने और सार्स-कोव-2 से सुरक्षा के बीच कोई संबंध है। इसपर और ज्यादा शोध करने की आवश्यकता है। चूंकि एन नंबर (एंटीबॉडी वाले लोगों की संख्या) छोटा है।’

प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके रोका जा सकता है संक्रमण

आपको बता दें कि रिसर्च शुक्रवार को प्रीप्रिंट सर्वर मेडरिक्स पर पोस्ट किया गया था। रिसर्च में शामिल रहे शोधकर्ता यूडब्ल्यू और सिएटल के फ्रेड हच कैंसर रिसर्च सेंटर से थे। यह निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि ये अभी तक की निकटतम पुष्टि करते हैं कि प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करके महामारी को रोका जा सकता है। इससे जटिल सवाल का जबाव मिलने में मदद मिल सकती है कि क्या रोग से बचने के लिए एंटीबॉडीज पर्याप्त हैं?

Read More: ब्राह्मी का सेवन करने से मजबूत होती है याददाश्त, जानें इसके अन्य फायदे

इस तरह के डाटा को प्राप्त करना आमतौर पर चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि वैज्ञानिक नैतिकता उन्हें एंटीबॉडी के कारण किसी संकमण को रोकने की जांच करने से रोकता है। शोधकर्ताओं ने अपने रिसर्च में कहा, ‘कुल 104 व्यक्तियों की आरटी-पीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई। वहीं, क्रू के केवल तीन सदस्य सीरोपॉजिटिव पाए गए। इन तीनों सदस्यों के शरीर में कोरोना वायरस संक्रमण के खिलाफ एंटीबॉडी मौजूद थीं। इन तीनों ही क्रू सदस्यों में वायरस के कोई लक्षण नहीं दिखाई दिए।’

COMMENT