आतंकवाद की नर्सरी है पाकिस्तान, जो मानवाधिकारों के हनन का सबसे बुरा रूप: भारत

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कहते हैं ‘लोग दूसरों के तो लाख दोष बता देते हैं और खुद की लाख कमियों पर भी पर्दा डालते हैं’ ऐसा ही कुछ घटित हुआ जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 43वें उच्चस्तरीय सम्मेलन में। गुरुवार को यूएन मानवाधिकार सम्मेलन में पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर चिंता प्रकट की, जिसके प्रतिउत्तर में भारत ने जवाब देते हुए कहा कि आतंकवाद मानवाधिकारों के हनन का सबसे बुरा चेहरा है और पाकिस्तान उसे पनाह दिए हुए हैं।

भारतीय फ‌र्स्ट सेक्रेटरी विमर्श आर्यन ने पाकिस्तान द्वारा जाहिर चिंता पर ‘राइट टु रिप्लाई’ का इस्तेमाल करते हुए कहा कि जम्मू—कश्मीर में पिछले 7 महीनों में भारत ने वहां लोकतांत्रिक और प्रगतिशील विधायी सुधारों के लिए कई कदम उठाए गए हैं। जिसका प्रमुख उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षा दिलाना है और पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम करना है।

उन्होंने कहा, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई ऐसे मौकों आए है जब पाकिस्तान की सनक भरी प्रतिक्रियाएं देखी हैं जो केवल तिल का ताड़ बनाने के मकसद से की जाती रही है। लेकिन ऐसा लगता है कि जैसे लोकतांत्रिक परंपराएं और धार्मिक सहिष्णुता पाकिस्तान के लिए नहीं हैं।

पाकिस्तान में घटी अल्पसंख्यकों की आबादी

उन्होंने कहा कि आतंकवाद की इस नर्सरी के कारण सबसे ज्यादा सीमापार आतंकवाद के शिकार के तौर पर हम परिषद को बताना चाहते हैं कि पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसके पूर्व राष्ट्रपति से लेकर मौजूदा प्रधानमंत्री तक सार्वजनिक तौर पर राज्य मशीनरी और यूएन द्वारा घोषित आतंकी संगठनों के साथ संबंध होने की बात स्वीकार कर चुके हैं।

उन्होंने यूएनएचआरसी में जवाब देते हुए कहा, पाकिस्तान एक ऐसा देश है जहां के अल्पसंख्यक समुदाय का आकार आजादी के बाद से सिकुड़ा है। यहां ईसाई, सिख, अहमदिया, हिंदू, शिया, पश्चून, सिंधी और बलूच आदि की तादाद कम होती गई है। उन्हें लगातार ईशनिंदा कानून, व्यस्थित तरीके से उत्पीड़न और जबरन धर्मांतरण के जरिए प्रताड़ित किया गया है।

साथ ही आर्यन ने तुर्की को भी सचेत करते हुए कहा, ‘मैं तुर्की को सलाह देना चाहता हूं कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करे और लोकतांत्रिक मूल्यों की समझ पैदा करे।’

उन्होंने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और पाकिस्तान को इस पर कब्जा करने की इच्छा छोड़ देनी चाहिए। हम पाकिस्तान से अपने स्वार्थ साधने वाले प्रोपैगैंडा के खातिर झूठ फैलाने के बजाय अपने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों पर सकारात्मक ढंग से काम करना चाहिए।

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