पी.टी. उषा ने केरल के एक छोटे से ​गांव से निकलकर 101 मेडल किए थे अपने नाम

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ओलंपिक फाइनल तक पहुंचने वाली देश की पहली महिला को कौन नहीं जानता है। यह बात अलग है कि उस बात को अब दो दशक से ज्यादा वक़्त हो चुका है। एक ऐसी महिला जिसका जन्म छोटे से गांव में 70 के दशक में हुआ। उसे बचपन में स्वास्थ्य संबंधी परेशान के कारण खेल से जुड़ाव होता है और फिर स्वास्थ्य में तो सुधार होता ही है, देश को एक ऐसी महिला धावक मिल जाती है जो आज भी लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा हैं। उनका नाम हैं पी.टी. उषा। आज इस पूर्व भारतीय महिला एथलीट का देश-दुनिया में बड़ा नाम है। पी.टी. उषा ने वर्ष 1979 से करीब दो दशकों तक अपने टैलेंट से देश को सम्मान दिलाया। आज 27 जून को उनका 59वां जन्मदिन है। इस खास अवसर पर जानते हैं उनके जीवन के बारे में कुछ अनसुनी बातें…

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केरल के एक गांव से निकलकर अपने नाम किए 101 मेडल

पी.टी. उषा का जन्म आज ही के दिन यानी 27 जून, 1964 को केरल के कोझिकोेड जिले के पय्योली गांव में हुआ। वह पूरी दुनिया में पी.टी. उषा के नाम से जानी जाती है, लेकिन इनका पूरा नाम पिलावुल्लकंडी तेक्केपरम्बिल उषा है। इसके अलावा इन्हें ‘क्वीन ऑफ इंडियन ट्रैक एंड फील्ड’ और पय्योली एक्सप्रेस के नाम से भी जाना जाता है। इनके पिता पेशे से व्यापारी और इनकी मां गृहिणी थी।

उषा के बारे में कहा जाता है कि बचपन से ही इनकी खेलकूद में रूचि रही। जब वह 7वीं क्लास में पढ़ती थी तो उनके टीचर ने क्लास की एक चैंपियन छात्रा से उन्हें रेस लगाने को कहा। फिर क्या.. उषा ने रेस लगाई और जीती भी। यहीं से उनका उड़न परी बनने के सफर की शुरुआत हो गई। आगे जाकर इस छात्रा ने इंडिया के लिए कई मेडल जीते और दुनियाभर में सम्मान दिलाया। पी.टी उषा ने अपने कॅरियर में कुल 101 मेडल जीते हैं।

12 साल की उम्र में नेशनल चैंपियनशिप जीत सुर्खियों में आई

पी.टी. उषा ने मात्र 12 वर्ष की उम्र में 1976 में नेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में चैंपयनशिप जीती थी। यही से वह सुर्खियों में गई। हालांकि, उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत 1979 में हुई। वर्ष 1980 में पी.टी. उषा ने ‘पाकिस्तान ओपन नेशनल मीट’ में भाग लिया और चार गोल्ड जीतकर भारत को गौरवान्वित किया। इसके बाद उषा ने भारत के लिए 1980 में मॉस्को, 1984 में लॉस एंजेल्स और 1988 के सिओल ओलंपिक में भाग लिया।

मॉस्को में उनका प्रदर्शन निराशाजनक रहा। लॉस एंजेल्स में वह फाइनल तक पहुंचकर 4th नंबर पर रही और मेडल जीतने से मामूली अंतर से रह गई, जिसका मलाल उन्हें आज तक भी है। करीब 35 साल बाद खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि अमरीका में भारतीय एथलीटों के लिए खाने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए मैं पदक जीतने से चूक गई। इसके बाद 1988 के सिओल ओलंपिक में उषा कोई खास प्रदर्शन नहीं कर पाई थी।

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20 साल उम्र में मिला अर्जुन व पद्मश्री पुरस्कार

वर्ष 1982 में नई दिल्ली में आयोजित हुए एशियाई गेम्स में पी.टी. उषा ने 100 मीटर और 200 मीटर रेस में सिल्वर मेडल जीता। अगले साल यानी 1983 में उन्होंने एशियन ट्रेक और फील्ड चैंपियनशिप में 400 मीटर में देश को गोल्ड मेडल दिलाया। वर्ष 1983 से 89 तक एटीएफ में उषा ने 13 गोल्ड मेडल अपने नाम किए। 20 साल की उम्र में पी.टी. उषा को भारत सरकार की ओर से अर्जुन पुरस्कार (1983) और पद्मश्री पुरस्कार (1985) से सम्मानित किया गया। साल 1985 और 1986 में उन्हें बेस्ट एथलीट के लिए वर्ल्ड ट्रॉफी से सम्मानित किया गया। साल 1990 में बीजिंग एशियन गेम्स में पीटी उषा ने तीन सिल्वर मेडल हासिल किए।

वर्ष 1991 में उन्होंने वी. श्रीनिवासन से शादी कर ली। इसके बाद 1998 में उषा ने फिर एथलेटिक्स में वापसी की। लेकिन दो साल बाद साल 2000 में पीटी उषा ने एथलेटिक्स से संन्यास ले लिया। इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन की तरफ से पीटी उषा को ‘स्पोर्ट्स पर्सन ऑफ द सेंचुरी’ और ‘स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ द मिलेनियम’ का खिताब दिया गया। बता दें, उषा अभी साउथर्न रेलवे बोर्ड में ऑफिसर है और ‘केरल एकेडमी’ की कोच भी है।

उषा की जिंदगी पर बन रही बायोपिक, कैटरीना निभाएगी रोल

खबरें हैं कि कैटरीना कैफ मशहूर पूर्व भारतीय एथलीट पी.टी. उषा की जिंदगी पर बेस्ड बायोपिक करने जा रही है। यह कैटरीना की पहली बायोपिक फिल्म होगी। पहले इस फिल्म के लिए प्रियंका चोपड़ा को अप्रोच किया गया था। प्रियंका विश्व चैंपियन महिला बाॅक्सर एमसी मैरीकाॅम की बायोपिक में काम कर चुकी है। उषा की जिंदगी पर आधारित फिल्म को रेवती एस. वर्मा. डायरेक्ट करेंगे। बता दें कि पी.टी. उषा को वर्ष 2018 में कालीकट यूनिवर्सिटी ने डी.लिट की उपाधि से सम्मानित किया है।

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