बसंत ऋतु के नजदीक आते ही पूरी प्रकृति फूलों से दुल्हन की तरह सज जाती है। ऐसे मौसम में भारत के राष्ट्रपति भवन के पीछे स्थित मुगल गार्डन चर्चा का विषय बन जाता है। आखिर क्या वजह है कि मुगल गार्डन को देखने दिल्ली के स्थानीय लोगों के साथ देशी और विदेशी पर्यटकों का भी तांता लगा रहता है।
All are invited to visit the Mughal Gardens at Rashtrapati Bhavan from Feb 5, 2020 to March 08, 2020! pic.twitter.com/tqyZ1WC5YM
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 4, 2020
हर साल मुगल गार्डन फरवरी महीने की 5 या 6 तारीख को खुलता है और पूरे एक महीने तक आम जनता और सैलानियों का स्वागत करता है। इसके बाद 10 मार्च के आस-पास इसे बंद कर दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक इस साल भी मुगल गार्डन आम जनता के लिए 5 फरवरी से 8 मार्च के बीच खोला जाएगा।
इस गार्डन में दुनियाभर की प्रजातियों के रंग-बिरंगे फूल पर्यटकों को अपनी ओर खींचते है।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने पहली बार मुगल गार्डन आम जनता के लिए खुलवाया
मुगल गार्डन भारत की राजधानी नई दिल्ली में है। यह राष्ट्रपति भवन (नॉर्थ एवेन्यू) के पीछे की तरफ स्थित है। आमतौर पर सैलानियों और आम जनता के लिए प्रवेश व निकासी की व्यवस्था राष्ट्रपति भवन के गेट नंबर 35 से होती है। यह गार्डन करीब 13 एकड़ एरिया में फैला हुआ है। यह गार्डन मुगल और ब्रिटिश स्थापत्य कला का मोहक नमूना है। यहां ब्रिटिश और मुगल स्टाइल में झरने और अन्य कलाकृतियों का निर्माण किया गया है।
खास बात यह है कि इस गार्डन में भरपूर समय बिताने, मुगल कला और ब्रिटिश आर्ट को देखने के लिए आपको किसी तरह का शुल्क नहीं देना होता है यानि एंट्री फ्री। यह गार्डन हर रोज सुबह साढ़े 9 बजे से शाम 4 बजे तक आम लोगों के लिए खुला रहता है। सोमवार को यह गार्डन साफ-सफाई और मेंटेनेंस के लिए बंद रहता है।
पहली बार भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने इस गार्डन को आम जनता के लिए खुलाने का आदेश दिए थे। उसके बाद से हर साल मध्य फरवरी से लेकर मार्च के बीच में आम जनता के लिए खुलने लगा।
मुगल गार्डन का निर्माण कब व किसने करवाया
नाम से ऐसा प्रतीत होता है कि यह गार्डन मुगलकालीन है पर ऐसा नहीं। देश की आजादी से पहले राष्ट्रपति भवन का नाम वायसराय हाउस हुआ करता था। 12 दिसम्बर, 1911 में दिल्ली दरबार में किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक के उपलक्ष में आयोजित दरबार में की गई घोषणा के बाद जब अंग्रेजों ने भारत की राजधानी कोलकाता से दिल्ली स्थानान्तरित की, उस समय वायसराय हाउस को नए तरीके से डिज़ाइन करने के लिए ब्रिटिश वास्तुकार सर एडिवन लूटियंस को इंग्लैंड से भारत बुलाया गया। ताकि वह प्रशासनिक कार्यों के लिए जरूरी इमारतों को डिजाइन करें। लुटियंस मुगल कला से प्रभावित था और उसी कला को ध्यान में रखते हुए उसने इस गार्डन को डिजाइन किया। इसीलिए इस गार्डन का नाम मुगल गार्डन रखा गया।
सर लुट्येन्स ने 1917 में मुगल गार्डन के डिजायन को अंतिम रूप दिया था और 1928-29 के दौरान वृक्षारोपण का कार्य किया गया था। उन्होंने दो बागवानी परंपराओं – मुगल शैली और अंग्रेजी पुष्प उद्यान को गार्डन के लिए एक साथ मिला दिया।
मुगल नालियां, चबूतरों, पुष्पदार झाड़ियों को यूरोपीय क्यारियों, लॉन तथा प्रच्छन्न झाड़ियों के साथ सुन्दर ढंग से मिश्रित किया गया है। मुगल गार्डन जम्मू और कश्मीर के मुगल गार्डन, ताजमहल के आस-पास के गार्डन तथा भारत और फारस की लघु पेंटिंगों से प्रभावित दिखाई देता है।
क्या है खास?
देश में गार्डन और इको पार्क तो बहुत हैं लेकिन मुगल गार्डन में देखने लायक है मुगल कालीन विरासत और कला। साथ ही करीब 13 एकड़ में फैला यह पार्क 175 मीटर चौड़ा है। जो चार भागों में बांटा गया है – चतुर्भुजकार उद्यान, लंबा उद्यान, पर्दा उद्यान और वृत्ताकार उद्यान।
यहां आयताकार गार्डन राष्ट्रपति भवन के सबसे नजदीक है। उत्तर और दक्षिण में दो समानांतर जलधाराएं एक दूसरे को काटती हुई पूर्व से पश्चिम की ओर जाती है। इन जलधाराओं में बलुआ पत्थर के फव्वारे जिनका आकार विक्टोरिया रेगिया लिलि से प्रेरित है।
यहां करीब 3000 से ज्यादा फूलों के पौधे हैं। जिनमें करीब 159 प्रकार के सिर्फ गुलाब के फूलों की किस्में हैं, जिनमें प्रमुख रूप से अडोरा, मृणालिनी, ताजमहल, एफिल टावर, सेंटिमेंटल, ओक्लाहोमा (जिसे काला गुलाब भी कहते हैं), ब्लैक लेडी, ब्लू मून और लेडी एक्स शामिल हैं। गुलाब के अलावा ट्यूलिप्स, एशियाटिक लिलि, डेफोडिल और अन्य मौसमी फूल भी गार्डन की सुन्दरता में चार चांद लगा देते हैं।
गार्डन में लगी दूब मुगल गार्डन के निर्माण के दौरान मूल रूप से कलकत्ता से लायी गई थी। गार्डन में वृक्षों, झाड़ियों और लताओं की करीब 50 किस्में हैं जिनमें मौलश्री, गोल्डन रेन आदि वृक्ष है और 300 तरह की बोनसाई देखने को मिलती हैं।
एंट्री करते समय रखें ध्यान
President Kovind inaugurated the annual Udyanotsav of the Mughal Gardens of Rashtrapati Bhavan.
The Mughal Gardens will be open for the public from Feb 5, 2020 to March 08, 2020 between 1000 hrs to 1600 hrs. The visit can also be booked online on https://t.co/61IkevPAzC pic.twitter.com/eOz2i2LMMr
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 4, 2020
आप जब भी मुगल गार्डन घूमने जाएं तो वहां जाते समय कुछ चीजें अपने साथ लेकर न जाएं। इन चीजों या सामान के साथ आपको मुगल गार्डन में प्रवेश नहीं मिलेगा। यह सामान आपसे लेकर बाहर ही रख दिया जाएगा। जैसे- पानी बोतल, फास्ट फूड या चिप्स के पैकेट, ब्रीफकेस, बड़े हैंडबैग व लेडीज पर्स, कैमरा, रेडियो और ट्रांजिस्टर, खाने के डिब्बे, छाता या अन्य इंस्ट्रूमेंट्स।