केरल राज्य में कोच्चि के एक छात्र को निपाह वायरस के संक्रमण के चपेट में आने का संदेश था, जिसके बाद पुणे स्थित राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान(एनआईवी) में जांच के बाद आयी रिपोर्ट में पॉजिटिव बताया है। इस जांच की पुष्टि के बाद एक बार फिर केरल में निपाह वायरस का प्रकोप देखने का मिल रहा है। केरल की स्वास्थ्य मंत्री केके शैलजा ने भी कोच्चि के एर्नाकुलम के छात्र के निपाह वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि की है।
Kerala Health Minister KK Shailaja confirms a positive case of Nipah virus. One person from Kochi's Ernakulam was tested positive in the results that came from Pune Virology Institute. https://t.co/6NC28mT5CJ
— ANI (@ANI) June 4, 2019
केरल के स्वास्थ्य विभाग ने निपाह के प्रकोप को राज्य में फैलने से रोकने के लिए अपनी तैयार शुरू कर दी है। राज्य को स्वास्थ्य मंत्री शैलजा ने कहा कि पीड़ित छात्र जिन 86 लोगों से संपर्क में आया, उनकी सूची तैयार कर ली गई है और वे चिकित्सीय निगरानी में हैं। उन्होंने तिरुवनंतपुरम में कहा कि कोच्चि के कलामसेरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में अलग वार्ड बनाए गए हैं।
साथ ही उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा है कि डरने की कोई जरुरत नहीं है, सरकार स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह सक्षम है। उन्होंने कहा कि कोझीकोड से चिकित्सा विशेषज्ञ पहले ही कोच्चि पहुंच गए हैं और स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त दवाएं तथा चिकित्सा उपकरण हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर इस बारे में अफवाह न फैलाने की अपील की है।
पिछले वर्ष भी केरल में ली कई जानें
केरल राज्य में कोझिकोड और मलप्पुरम जिले में निपाह वायरस के फैलने से पिछले साल 16 लोगों की मौत हो गई थी।
क्या है निपाह वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार निपाह वायरस का संक्रमण वर्तमान समय में तेजी से उभर रहा है। इस वायरस के संक्रमण के कारण जानवरों और इंसानों में गंभीर बीमारी उत्पन्न होती है। निपाह वायरस संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअरों या अन्य निपाह संक्रमित व्यक्ति से सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलने वाला एक गंभीर रोग है।
निपाह वायरस की पहचान पहली बार सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगाई निपाह नामक स्थान पर हुई।
वर्ष 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग निपाह वायरस की चपेट में आए। इन पीड़ित लोगों ने खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थ का सेवन किया था जिससे वे इस रोग से पीड़ित हो गए। खजूर के तरल तक वायरस को लाने का काम चमगादड़ों ने किया था, जो उस पेड़ पर थे, जिन्हें फ्रूट बैट कहा जाता है।
निपाह वायरस के लक्षण
निपाह वायरस का संक्रमण होने के बाद पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी और बेहोशी का होना।
निपाह वायरस के कारण मनुष्यों में एन्सेफलाइटिस से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन आ जाती है।
इस रोग से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण प्रकट होने में पांच से चौदह दिन लग सकते हैं।
इससे संक्रमित मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं।
संक्रमण बढ़ने से मरीज कोमा में भी जा सकता है और इसके बाद इंसान की मौत भी हो सकती है।
ऐसे करें बचाव
निपाह रोग से बचाव के लिए जरूरी है कि यदि आप फल खा रहे हैं, तो चमगादड़ के कुतरे फलों को खाने से बचें, विशेषकर खजूर खाने से बचना चाहिए।
पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए।
बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए।
संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं रखें।