कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में उद्योग जगत को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश में 23 मार्च से लॉकडाउन जारी है, जिसमें लगभग सभी सेक्टर शामिल हैं। लॉकडाउन के कारण कई कंपनियों को बड़ा घाटा लगा है। ऐसे में ऑटो सेक्टर की देश की जानी-मानी ऐप बेस्ड कैब राइडिंग सर्विस कंपनी ओला ने घाटे से उबरने के लिए 1400 लोगों के स्टाफ को निकालने का फैसला किया है। ओला का कहना है कि लॉकडाउन की वजह से उसकी कमाई में जबरदस्त गिरावट आई है।
कंपनी के रेवेन्यू में 95 फीसदी की आई गिरावट
जानकारी के अनुसार, ओला कंपनी के सीईओ भावेश अग्रवाल ने अपने कर्मचारियों को लिखे ईमेल में कहा है कि महामारी ने कंपनी की कमाई को जबरदस्त तरीके से नुकसान पहुंचाया है। पिछले दो महीने में उनकी कंपनी के रेवेन्यू में 95 फीसदी की गिरावट आई है, जिसके कारण कंपनी बुरी तरह से घाटे में है। उन्होंने आगे लिखा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कोरोना संकट ने देशभर में हमारे लाखों ड्राइवरों और उनके परिवारों की आजीविका के साथ हमारी अंतरराष्ट्रीय भौगोलिक स्थिति को प्रभावित किया है।
ओला सीईओ भावेश अग्रवाल का कहना है कि महामारी के कारण पिछले दो महीनों में सवारी, वित्तीय सेवाओं और खाद्य कारोबार से उसकी आमदनी को बड़ा नुकसान हुआ है और इसकी वजह से कंपनी को अपने कर्मचारियों को निकालने का कठिन फैसला लेना पड़ रहा है। हालांकि, कंपनी सीईओ भावेश अग्रवाल ने साफ करते हुए कहा कि व्यापार का भविष्य ‘बेहद अस्पष्ट और अनिश्चित’ है और निश्चित रूप से इस संकट का असर हम पर लंबे समय तक रहने वाला है।’
कर्मचारियों को तीन महीने की निर्धारित सैलरी दी जाएगी
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ओला कंपनी के प्रत्येक प्रभावित कर्मचारी को नोटिस अवधि के बावजूद उन्हें तीन महीने की निर्धारित सैलरी दी जाएगी। ओला सीईओ अग्रवाल ने कहा कि इस दौरान वे अनुसंधान और विकास में निवेश करेंगे। अपने ईमेल में उन्होंने आगे लिखा कि जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधि लौटेगी, वैसे-वैसे मोबिलिटी की आवश्यकता होगी, लेकिन मानक बदल जाएंगे। इस संकट में डिजिटल कॉमर्स और क्लीन मोबिलिटी की मांग बढ़ेगी और हमारा व्यवसाय इसका लाभ उठाने के लिए तैयार है। उधर, एक और इंटरनेशनल ऑनलाइन कैब सर्विस कंपनी ऊबर ने 6 हजार से ज्यादा कर्मचारी निकालने का फैसला किया है।