अमरीकी शोधकर्ताओं का कहना है कि यह संभव है कि बचपन में वजन बढ़ाना अस्थमा में वृद्धि को बढ़ावा देता है। शोधकर्ताओं ने पाया कि मोटापे से ग्रसित बच्चों में स्वस्थ वजन के बच्चों की तुलना में फेफड़ों की स्थिति खराब होने की ज्यादा संभावना होती है।
निष्कर्ष बताते हैं कि जिन बच्चों का वजन सामान्य से ज्यादा होता है उनमें अस्थमा के लक्षण काफी जल्दी दिखाई देने लग जाते हैं। आपको बता दें कि 23 से 27 प्रतिशत केस जो अस्थमा के आते हैं वो सीधे मोटापे से जुड़ होते हैं।
ऑरलैंडो में निमोर्स चिल्ड्रन हॉस्पिटल के सह-लेखक टेरी फिंकेल के अनुसार बच्चों में अस्थमा के इलाज के लिए काफी अधिक पैसे लगते हैं और कई तरह के अलग फैक्टर इससे जुड़े होते हैं।
अस्थमा की घटनाओं को कम करने के लिए कुछ रोकथाम कारक हैं लेकिन हमारे आंकड़ों से पता चलता है कि बचपन में मोटापे की शुरूआत को ही कम कर देना अस्थमा की समस्या को काफी हद तक कम कर देता है।
जर्नल पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन के लिए शोध दल ने 500,000 से अधिक बच्चों के मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने 2009 से 2015 के बीच छह बाल चिकित्सा अकादमिक चिकित्सा केंद्रों से अस्थमा के इतिहास के बिना दो से 17 वर्ष के मरीजों के आंकड़े जमा किए। अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त मरीजों को उसी उम्र, लिंग, जाति के सामान्य वजन वाले रोगियों से मैच किया गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि अधिक वजन होने के कारण यह अस्थमा के लिए जोखिम कारक के रूप में पहचाना गया। फिंकेल ने कहा कि बचपन में मोटापे से बच्चों को दूर करने व जिंदगी की गुणवत्ता में सुधार करने और बाल चिकित्सा अस्थमा को कम करने में मदद करना सभी की प्राथमिकता होनी चाहिए।